कैथोलिक गिरजाघरों में बच्चों के यौन शोषण के हजारों मामले सामने आने के बाद पोप फ्रांसिस ने एक चिट्ठी लिखी है। लेकिन कई पीड़ित इतने भर से संतुष्ट नहीं, वो डबलिन में पोप के सामने प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं।
दुनिया भर में कैथोलिक गिरजाघरों के कई पादरी और बिशप यौन शोषण के गंभीर आरोपों से जूझ रहे हैं। अमेरिका, चिली और ऑस्ट्रेलिया में बच्चों के यौन शोषण के मामले बड़े पैमाने पर सामने आने से कैथोलिक चर्च की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए हैं। भारत के केरल राज्य में भी कुछ पादरियों के ननों से बलात्कार करने के मामले सामने आए हैं।
कई देशों में जारी जांचों के बीच ऐसे अपराधों की भयावहता सामने आ रही है। अगस्त के मध्य में अमेरिकी राज्य पेनसिल्वेनिया की ग्रैंड ज्यूरी की रिपोर्ट सामने आई। रिपोर्ट के मुताबिक बीते 70 साल में करीब 300 पादरियों ने कम से कम 1,000 बच्चों का यौन शोषण किया। जांच के मुताबिक बिशपों को कई मामलों की जानकारी मिली, लेकिन उन्होंने कार्रवाई नहीं की और बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी पुख्ता कदम नहीं उठाए।
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धार्मिक नेता पोप फ्रांसिस ने एक खुला खत लिखा। दुनिया भर के 1।2 अरब कैथोलिक ईसाइयों को संबोधित करते हुए पोप फ्रांसिस ने कहा, "शर्म और प्रायश्चित के साथ, हम यह स्वीकार करते हैं कि एक धार्मिक समुदाय होने के नाते हमें जहां होना चाहिए था, हम वहां नहीं हैं। हमने समय पर कार्रवाई नहीं की, हमने इसकी गंभीरता को नहीं समझा और ये नहीं जाना कि इसके चलते कितनी सारी जिंदगियों को नुकसान पहुंचा है।"
अमेरिकी रिपोर्ट के बाबत, पोप ने कहा कि ये लिस्ट अतीत से जुड़ी है और साफ तौर पर दिखाती है कि अपराधों को "लंबे समय तक नजरअंदाज किया गया, खामोशी बनाए रखी गई।"
आरोपों में घिरने वालों में अमेरिका के पूर्व प्रमुख कार्डिनल थियोडर मैकैरिक का भी नाम है। मैकैरिक ने जुलाई में इस्तीफा दे दिया। मई 2018 में दक्षिण अमेरिकी देश चिली के 34 बिशपों पर भी बच्चों के यौन शोषण के आरोप लगे और सबको इस्तीफा देना पड़ा।
तीन पन्नों के अपने खत में इन मामलों पर निराशा जताते हुए पोप फ्रांसिस ने आम लोगों से साथ आने की अपील की। पोप ने कहा कि मिलकर "मौत की इस संस्कृति" को खत्म करना होगा, "ऐसी परिस्थितियों को टालने वाली संस्कृति विकसित करने के लिए हर तरह की कोशिश करनी होगी, साथ ही हमें इन घटनाओं को छुपाने या सहारा देने वाला माहौल भी बदलना होगा।" हालांकि खत में यह नहीं बताया गया है कि यौन अपराधों पर आंखें मूंदने वाले बिशपों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी।
इन आरोपों के बाद पोप फ्रांसिस आयरलैंड का दौरा करने वाले हैं। 26 अगस्त को जिस वक्त डबलिन के फीनिक्स पार्क में पोप की प्रार्थना सभा होगी, उसी वक्त चर्च के शोषण का शिकार हुए लोग भी वहां प्रदर्शन करेंगे। प्रदर्शन कॉल्म ओ गॉरमैन आयोजित कर रहे हैं। 1980 में एक पादरी ने गॉरमैन से दुराचार किया। उनके मुताबिक चर्च को अच्छी तरह पता था कि भीतर क्या हो रहा है, इसके बावजूद अपराध जारी रहे।
गॉरमैन कहते हैं, "यहां आयरलैंड में, जब मैं 1998 में वैटिकन के खिलाफ केस कर रहा था तो उन्होंने डिप्लोमैटिक छूट का सहारा लिया। मैं पोप जॉन पॉल द्वितीय से यह जानना चाहता था कि वह उस पादरी के बारे में क्या जानते हैं जिसने मेरा और दर्जनों अन्य का बलात्कार किया।"
आयरिश मीडिया में ऐसी रिपोर्टें हैं कि पोप फ्रांसिस आयरलैंड दौरे के दौरान यौन शोषण का शिकार हुए पीड़ितों से मुलाकात कर सकते हैं।