Assam Police : असम में मोटे और अनफिट पुलिस वालों की नौकरियों पर खतरे की तलवार लटक रही है। इससे पहले सरकार ने शराब के आदी करीब 300 पुलिसवालों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति देने का फैसला किया था।
असमय में अब पुलिसवालों को अपनी तोंद व वजन कम करने के लिए तीन महीने यानी 15 अगस्त तक का समय दिया गया है। उसके बाद पुलिस महानिदेशक से लेकर सबसे निचले स्तर तक के पुलिसकर्मियों का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) मापा जाएगा। जिनका बीएमआई ज्यादा होगा उनको सुधारने के लिए और तीन महीने का समय दिया जाएगा। लेकिन अगर इसके बावजूद उनका वजन कम नहीं होती तो उनको वीआरएस के तहत रिटायर कर दिया जाएगा।
असम के मुख्यमंत्री ने बीते महीने कहा था कि शराब की समस्या के कारण असम पुलिस के करीब 300 कर्मियों को सेवानिवृत्ति दी जाएगी। अब उससे एक कदम आगे बढ़ाते हुए सरकार ने मोटे पुलिस वालों को तीन महीने का अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि या तो वे इस दौरान फिट हो जाएं या फिर रिटायरमेंट के लिए तैयार रहें। असम पुलिस मोटे पुलिसकर्मियों का आधिकारिक रिकॉर्ड रखेगी। इसके लिए उनका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) मापा जाएगा।
असम पुलिस मुख्यालय ने आईपीएस और असम पुलिस सेवा अधिकारियों सहित पुलिस के तमाम कर्मचारियों के बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) को पेशेवर तरीके से दर्ज करने का फैसला किया है।
असम के पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह ने अपने एक ट्वीट में कहा है कि हम 15 अगस्त तक असम के तमाम पुलिसकर्मियों को तीन महीने का समय देंगे। इसके बाद अगले पंद्रह दिनों में उनकी बीएमआई मापी जाएगी। जिनकी बीएमआई 30 से ज्यादा होगी उनको वजन कम करने के लिए और तीन महीने का समय दिया जाएगा। उसके बाद उनसे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेने को कहा जाएगा।
उनका कहना था कि जिन लोगों को हाइपोथायरायडिज्म जैसी चिकित्सकीय समस्या है उनको इस मामले में छूट दी जाएगी। सिंह खुद 16 अगस्त को सबसे पहले अपनी बीएमआई मापेंगे।
क्या होता है बॉडी मास इंडेक्स
बीएमआई यानी बॉडी मास इंडेक्स से पता चलता है कि किसी व्यक्ति के शरीर का वजन उसकी कद या लंबाई के अनुसार ठीक है या नहीं। एक तरह से इसे शरीर की लंबाई और वजन का अनुपात कहा जा सकता है। एक सामान्य शरीर की बीएमआई 22.1 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
शराब पीने के आदी पुलिसकर्मियों को VRS देने का फैसला
पुलिस महानिदेशक ने पिछले हफ्ते कहा था कि उन्होंने 680 से ज्यादा पुलिसकर्मियों की एक लिस्ट बनाई है, जो शराब पीने के आदी हैं या मोटे हैं। इनमें से जो ड्यूटी करने के काबिल नहीं पाए जाएंगे, उनकी निगरानी के बाद उनको स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की पेशकश की जाएगी। इस सूची की पुष्टि के लिए बटालियन और जिला स्तर पर समितियां बनाई गई हैं जिनकी कमान क्रमशः डिप्टी कमांडेंट और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारियों के जिम्मे होगी। सिंह ने बताया कि जो लोग सूची में नाम शामिल होने के बावजूद वीआरएस नहीं चाहते उनको फील्ड ड्यूटी से हटा लिया जाएगा।
पुलिस के मुताबिक, ऐसे तीन सौ जवानों और शिनाख्त कर ली गई है जो शराब पीने के आदी हैं। इसके कारण उन पर ड्यूटी में लापरवाही के आरोप तो लगते ही रहे हैं, पुलिस की छवि पर भी बट्टा लगता रहा है। वहीं, राज्य में ड्यूटी के दौरान शराब पीने के आरोप में कई पुलिसकर्मियों को निलंबित भी किया जा चुका है। पुलिस महानिदेशक ने बताया कि ऐसे पुलिस वालों के रिटायरमेंट के बाद खाली पदों पर 300 नई भर्तियां की जाएंगी।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बीते 30 अप्रैल को कहा था कि इन पुलिसकर्मियों को शराब की लत है। इस वजह से वे अपनी ड्यूटी पूरी ईमानदारी से नहीं कर पाते हैं। शराब पीने की वजह से उनका शरीर भी कमजोर हो गया है। लोगों ने इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ गंभीर शिकायतें भी की हैं। असम सीएम ने कहा कि पुलिसकर्मियों को इस तरह की वीआरएस की पेशकश कुछ और राज्यों में भी मौजूद हैं। हालांकि, असम में यह पहली बार किया जा रहा है। उन्होंने कहा, "यह एक पुराना नियम है, लेकिन हमने पहले इसे लागू नहीं किया था।" उन्होंने कहा कि वीआरएस लेने के बाद भी इन आदतन शराबी जवानों को पूरी सैलरी मिलती रहेगी, बस उनकी जगह कोई नया जवान ले लेगा।
इससे पहले बीते साल शुरू पुलिस सुधार की कवायद के तहत असम सरकार ने कहा था कि अब किसी भी पुलिस अफसर को किसी भी बटालियन के पुलिसकर्मी का इस्तेमाल निजी घरेलू कार्यों में करने की इजाजत नहीं होगी। उनका कहना था कि किसी भी घरेलू सहायक के इस्तेमाल की स्थिति में संबंधित अधिकारी को अपनी जेब से उसका वेतन देना होगा। सरमा ने उन आरोपों पर रिपोर्ट देने का सख्त निर्देश दिया है जिसमें कहा गया है कि विभिन्न पदों पर तैनात पुलिस अधिकारियों ने निजी सुरक्षा अधिकारी, हाउस गार्ड और घरेलू सहायक आदि को बिना इजाजत के निजी तौर पर रखा है। सरमा के पास गृह विभाग भी है।
मुख्यमंत्री के मुताबिक ऐसे आरोप हैं कि कुछ पुलिस अधिकारियों ने विभिन्न सशस्त्र बटालियनों के कर्मियों को निजी और घरेलू कामों में लगाया है।