असम सरकार बनाएगी लव जिहाद की तर्ज पर नया कानून

DW
सोमवार, 7 दिसंबर 2020 (18:18 IST)
रिपोर्ट प्रभाकर मणि तिवारी
 
असम सरकार अब जो नया विवाह कानून बना रही है उसके तहत शादी के इच्छुक लड़के व लड़की को शादी के एक महीने पहले सरकारी फॉर्म में अपने धर्म और आय की जानकारी देनी होगी।
  
उत्तरप्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ कानून बनने और मध्यप्रदेश व हरियाणा जैसे राज्यों में इस पर विचार जारी रहने के बीच अब पूर्वोत्तर के 2 बीजेपी-शासित राज्यों में भी ऐसी मांग उठने लगी है। असम सरकार ने ठीक लव जिहाद के खिलाफ तो नहीं लेकिन एक ऐसा कानून बनाने का एलान किया है जिसके तहत शादी के इच्छुक जोड़ों को शादी से 1 महीने पहले आय के स्रोत, पेशे, स्‍थायी निवास और धर्म का खुलासा करना होगा। ऐसा नहीं करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। हालांकि सरकार ने कहा है कि यह लव जिहाद के खिलाफ नहीं है। लेकिन इसके प्रावधान भी उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के लव जिहाद कानून से मिलते-जुलते ही होंगे। उधर, एक और राज्य त्रिपुरा में भी बीते सप्ताह से हिन्दू जागरण मंच समेत कुछ संगठन लव जिहाद कानून की मांग में धरना-प्रदर्शन करने में जुटे हैं।
 
असम सरकार ने इससे पहले धर्म छिपा कर धोखे से शादी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही थी। सरकार पहले असमिया और बंगाली समुदाय के बीच होने वाली शादियों को आर्थिक सहायता देने की भी बात कह चुकी है। लेकिन शर्त यह थी कि यह शादी हिन्दुओं के बीच होनी चाहिए।
 
महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए कानून?
 
असम सरकार अब जो नया विवाह कानून बना रही है उसके तहत शादी के इच्छुक लड़के व लड़की को शादी के एक महीने पहले सरकारी फॉर्म में अपने धर्म और आय की जानकारी देनी होगी। राज्य के वित्त मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा कहते हैं कि यह कानून लव जिहाद के खिलाफ नहीं है। यह सभी धर्मों के लोगों पर लागू होगा। इससे शादियों में पारदर्शिता तो बढ़ेगी ही, महिलाओं के सशक्तीकरण में भी सहायता मिलेगी।
 
शादी से पहले खासकर लड़कों को अपनी आय के स्रोत, शिक्षा और पारिवारिक सदस्यों के बारे में भी विस्तार से जानकारी देनी होगी। जो लोग ऐसा नहीं करेंगे उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। वे बताते हैं कि प्रस्तावित कानून में उत्तरप्रदेश के लव जिहाद कानून के कुछ प्रावधान भी शामिल रहेंगे।
 
शर्मा ने इससे पहले बीते अक्टूबर में सोशल मीडिया पर लव जिहाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था। उन्होंने डिब्रूगढ़ में पार्टी की महिला मोर्चा की एक बैठक में कहा था कि सोशल मीडिया के जरिए असमिया युवतियां लव जिहाद का शिकार हो रही हैं। उनको बाद में तलाक का शिकार होना पड़ता है। बीजेपी अगले साल सत्ता में लौटने के बाद धर्म छिपा कर की जाने वाली शादियों यानी लव जिहाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी।
 
उन्होंने तब असम में बढ़ते लव जिहाद के लिए ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) प्रमुख बदरुद्दीन अजमल के समुदाय को जिम्मेदार ठहराया था। सरमा का कहना था कि पांच से छह सौ साल पहले देश के सामने औरंगजेब और बाबर का खतरा था। अब असम में अजमल जैसे लोगों की वजह से वैसी ही चुनौती पैदा हो गई है। इसका असर असमिया संस्कृति पर पड़ने लगा है।
 
इससे पहले सरकार ने हिन्दू असमिया व बंगालियों में आपसी विवाह करने वाले दंपति को 30 से 40 हजार की आर्थिक सहायता देने की बात कही थी ताकि वह लोग नए सिरे से जीवन शुरू कर सकें। लेकिन वह योजना अब तक शुरू नहीं हो सकी है। उस समय खासकर अल्पसंख्यक संगठनों ने सरकार पर धार्मिक आधार पर भेदभाव करने और निजी जीवन में हस्तेक्षप के आरोप लगाए थे। ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन (आम्सू) के अध्यक्ष रेजाउल करीम सरकार इसे निजी जीवन में हस्तेक्षप मानते हैं। वह सवाल करते हैं कि सिर्फ हिन्दू बंगाली और हिन्दू असमिया ही क्यों? सरकार को धर्म और प्रेम विवाह के मामले में राजनीति कर समाज को बांटने का प्रयास नहीं करना चाहिए।
 
त्रिपुरा में भी उठ रही है मांग
 
त्रिपुरा में भी अब उत्तरप्रदेश की तर्ज पर लव जिहाद कानून बनाने की मांग जोर पकड़ रही है। हिन्दू जागरण मंच समेत कुछ संगठनों ने बीते शुक्रवार को इस मांग में प्रदर्शन किया और राजधानी अगरतला से कोई 50 किलोमीटर दूर उदयपुर में नेशनल हाईवे-8 पर धरना देकर वाहनों की आवाजाही ठप कर दी।
 
संगठन के प्रदेश अध्यक्ष उत्तम दे कहते हैं कि लव जिहाद हमारे समाज के लिए खतरा है। लॉकडाउन के दौरान राज्य के विभिन्न इलाकों में ऐसे 9 मामले दर्ज किए गए हैं। लेकिन इनमें से किसी भी मामले में किसी अभियुक्त को गिरफ्तार नहीं किया गया है। पुलिस और प्रशासन जबरन धर्म परिवर्तन के खतरे को रोकने में नाकाम रहे हैं और अब केवल कानून ही जरूरी सुरक्षा मुहैया कर सकता है।
 
दूसरी ओर, पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि राज्य में बीते तीन-चार महीनों के दौरान लव जिहाद के आरोप में कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है। हाल में बिशालगढ़ पुलिस स्टेशन में गुमशुदगी का मामला दर्ज किया गया था जिसमें एक मुस्लिम लड़के पर हिन्दू लड़की के अपहरण का आरोप लगाया गया था। लेकिन बाद में पता चला कि लड़की बालिग थी और अपनी उम्र के लड़के के साथ बेंगलुरु चली गई थी।
 
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले खासकर नागरिकता कानून के खिलाफ लोगों की नाराजगी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने धार्मिक आधार पर धुव्रीकरण के लिए ही उक्त कानून बनाने का फैसला किया है। समाजशास्त्री प्रोफेसर हीरेन कलिता कहते हैं कि असम में नागरिकता कानून और दूसरे मुद्दों पर परदा डालने के लिए ही सरकार अब चुनावों से पहले लव जिहाद और असमिया संस्कृति के मुद्दे को उछाल रही है।

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