मशहूर वैज्ञानिक अल्बर्ट आइन्स्टाइन के दिमाग के रहस्य खोलने वाली न्यूरोसाइंटिस्ट मारियान क्लीव्स डायमंड ने इंसानी मस्तिष्क की सीमाओं को लेकर पूरी मानवता को नयी दिशा दिखायी थी। 90 की उम्र में हुआ देहान्त।
मारियान क्लीव्स डायमंड वह तंत्रिकाविज्ञानी थीं, जिन्होंने अल्बर्ट आइन्स्टाइन के मस्तिष्क का परीक्षण कर सबसे पहले यह बताया था कि दिमाग की शक्ति बढ़ाना संभव है। अमेरिका के बर्कले में स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रही डायमंड की मौत 25 जुलाई को हुई।
सन 1984 में उन्हें सापेक्षता समेत कई बड़े वैज्ञानिक सिद्धांत देने वाले आइन्स्टाइन के संरक्षित रखे गये मस्तिष्क के चार टुकड़े शोध के लिए मिले। अपने रिसर्च में उन्होंने पाया कि आइन्स्टाइन के दिमाग में किसी औसत व्यक्ति के मुकाबले कहीं ज्यादा सपोर्ट कोशिकाएं हैं। इंसान जैसे स्तनधारी के शरीर की प्रक्रियाओं को समझने के लिए वैज्ञानिक प्रयोगों में चूहों का इस्तेमाल किया जाना तब भी आम था। डायमंड ने चूहों के मस्तिष्क पर प्रयोग कर साबित किया कि उसका माहौल बदल कर, खिलौनों और साथियों के साथ और चीजें सिखाने से, उसके दिमाग की संरचना भी बदल गयी। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि इंसान समेत सभी जानवरों को एक बेहतर माहौल फायदा पहुंचा सकता है।
बर्कले के उनके सहकर्मी और इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के प्रोफेसर जॉर्ज ब्रूक्स ने कहा, "उनका रिसर्च दिखाता है कि मस्तिष्क के विकास में वातावरण का कितना प्रभाव पड़ता है। सरल सी लगने वाली यह बात असल में बहुत शक्तिशाली जानकारी थी, जिसने पूरी दुनिया बदल दी, अपने बारे में और अपने बच्चों की परवरिश के बारे में हमारी सोच बदल दी।"
डायमंड की खोजों का पहले कुछ अन्य तंत्रिकाविज्ञानिओं ने विरोध किया। एक बार किसी सम्मेलन में अपने शोध के नतीजे पेश करने के बाद एक आदमी उठा और डायमंड के पास जाकर उन्हें दिखाते हुए ऊंची आवाज में बोला, "यंग लेडी, यह दिमाग कभी नहीं बदल सकता!"
1998 में प्रकाशित उनकी किताब में ऐसी घटनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने लिखा, "उस समय एक महिला वैज्ञानिक के लिए अपनी बात मनवाना आज से भी कहीं ज्यादा मुश्किल था। और वैज्ञानिक सम्मेलनों में लोग वैसे भी काफी आलोचनात्मक होते हैं।"
अपनी किताब "मैजिक ट्रीज ऑफ द माइंड" में उन्होंने ऐसी कई रोचक घटनाओं के बारे में बताया है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में करीब आधी सदी लंबे अपने कैरियर के दौरान डायमंड ने दुनिया भर की कई पीढ़ियों के हजारों छात्रों और रिसर्चरों को प्रेरित किया।