हाथियों की त्वचा पर झुर्रियों का क्या फायदा

Webdunia
बुधवार, 3 अक्टूबर 2018 (16:12 IST)
अफ्रीकी हाथियों की त्वचा पर बहुत सारी झुर्रियां होती हैं। वैज्ञानिकों ने इसके कई फायदों का पता लगाया है। ये ना सिर्फ इन्हें ठंडा रखने में मदद करती हैं बल्कि परिजीवियों से लड़ने और सूरज की घातक किरणों से भी बचाती हैं।
 
 
स्विट्जरलैंड के वैज्ञानिकों ने काफी रिसर्च करने के बाद वैज्ञानिकों ने बताया है कि हाथियों की त्वचा पर करोड़ों बारीक रेखाओं का जाल होता है। इनकी मदद से हाथियों की त्वचा सामान्य चिकनी त्वचा के मुकाबले करीब 10 गुना ज्यादा पानी ग्रहण कर सकती है। यूनिवर्सिटी ऑफ जिनेवा और स्विस इंस्टीट्यूट ऑफ बायोइनफॉर्मेटिक्स के वैज्ञानिकों की इस रिसर्च की रिपोर्ट नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में छपी है।
 
 
रिपोर्ट में रिसर्चरों ने लिखा है, "विशाल शरीर के आकार और गर्म वातावरण में आवास होने के कारण अफ्रीकी हाथियों के पास जरूरत से ज्यादा गर्मी से बचने का एक ही तरीका है कि वो अपनी त्वचा पर जमा हुए पानी के वाष्पीकरण के जरिए कैलोरी खर्च करें।"
 
 
वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि हाथियों की त्वचा पर बनी रेखाएं महज झुर्रियां नहीं हैं बल्कि उनके त्वचा के नाजुक बाहरी हिस्से का अंग हैं। त्वचा किसी महीने जाली के फ्रेम की तरह विकसित होती है और जब यह जीव हरकत करता है तो इन अंगों में तनाव आता है।
 
 
अफ्रीकी हाथी पानी में जम कर नहाते, सूंड से फव्वारे छोड़ते और कीचड़ में लोटपोट होते हैं। उनके शरीर में स्वेद ग्रंथियां नहीं होती। यह ग्रंथी पसीना निकालती है। ऐसी स्थिति में त्वचा पर बनी इन आड़ी तिरछी रेखाओं में पानी जमा हो जाता है और गर्मी से लड़ने में हाथियों की मदद करता है। इसके जरिए हाथी अपने शरीर का तापमान नियंत्रित करते हैं। इसके अलावा यही झुर्रियां कीड़ों और सूर्य के विकिरण से भी लड़ने में मदद करती हैं।
 
 
एनआर/ओएसजे (रॉयटर्स)
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरूर पढ़ें

साइबर फ्रॉड से रहें सावधान! कहीं digital arrest के न हों जाएं शिकार

भारत: समय पर जनगणना क्यों जरूरी है

भारत तेजी से बन रहा है हथियार निर्यातक

अफ्रीका को क्यों लुभाना चाहता है चीन

रूस-यूक्रेन युद्ध से भारतीय शहर में क्यों बढ़ी आत्महत्याएं

सभी देखें

समाचार

Tirupati Laddu Controversy : जेपी नड्डा ने CM चंद्रबाबू से मांगी रिपोर्ट, बोले- जांच के बाद होगी उचित कार्रवाई

इस बार कश्मीर के चुनाव मैदान में हैं 25 पूर्व आतंकी, अलगाववादी और जमायते इस्लामी के सदस्य

300 साल पुरानी भोग प्रथा, 2014 में मिला GI टैग, अब प्रसाद में पशु चर्बी, क्‍या है Tirupati Controversy?

अगला लेख
More