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World Cup 2015 के सेमीफाइनल में खेलने की स्थिति में नहीं था, पर धोनी नहीं माने : शमी

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, गुरुवार, 16 अप्रैल 2020 (15:42 IST)
नई दिल्ली। विश्व कप 2015 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सेमीफाइनल से पहले मोहम्मद शमी के लिए घुटने की चोट के कारण चलना भी मुश्किल हो रहा था लेकिन तत्कालीन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने साफ कर दिया कि वह इतने बड़े मैच में किसी अन्य गेंदबाज को नहीं उतार सकते और ऐसे में इस तेज गेंदबाज को दर्द निवारक दवाईयां लेकर मैदान पर उतरना पड़ा था।
 
सिडनी में वह भले ही खेले थे लेकिन घुटने की इस चोट से उनका करियर खतरे में पड़ गया था। उन्हें इसका आपरेशन करवाना पड़ा तथा 26 मार्च 2015 के बाद उन्होंने अपना अगला अंतरराष्ट्रीय मैच जुलाई 2016 में टेस्ट मैच के रूप में खेला था।
 
शमी ने पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज इरफान पठान से इंस्टाग्राम पर बातचीत में कहा, ‘सेमीफाइनल से पहले मैंने अपने साथियों से कहा कि मेरे लिए यह चोट अब असहनीय हो गई है। मैच के दिन मैं दर्द से परेशान था। मैंने टीम प्रबंधन से चर्चा की लेकिन उन्होंने कहा कि सब कुछ ठीक हो जाएगा।’ 
 
उन्होंने कहा, ‘माही भाई, टीम प्रबंधन ने मेरा आत्मविश्वास बढ़ाया। उन्होंने कहा कि यह सेमीफाइनल है और इसमें वे नए गेंदबाज के साथ नहीं उतर सकते हैं।’ असल में ऑस्ट्रेलिया में भारत के विश्व कप अभियान के दौरान शमी की चोट को छिपाया गया था। वह घुटने पर पट्टियां बांधकर अभ्यास सत्र में उतरे थे और दर्द निवारक इंजेक्शन लेकर मैचों में खेले थे। 
 
शमी ने कहा, ‘विश्व कप 2015 में मेरे घुटने में चोट लगी थी। मैचों के बाद मैं चल नहीं पा रहा था। चोटिल होने के बावजूद मैं पूरे टूर्नामेंट में खेला। मैं नितिन पटेल (फिजियो) के भरोसे के कारण विश्व कप 2015 में खेला था।’ 
 
उन्होंने कहा, ‘घुटना पहले मैच में ही जवाब दे गया था। मेरी जांघ और घुटने का आकार बराबर हो गया था। चिकित्सक हर दिन उससे मवाद बाहर निकालते थे। मैं तीन दर्द निवारक इंजेक्शन लेता था।’ 
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शमी ने कहा, ‘मैंने पहले पांच ओवर किए और 13 रन (असल में 16 रन) दिए। मैंने फिंच और वॉर्नर को परेशानी में रखा लेकिन गेंद उनके बल्ले को छूकर नहीं जा पाई। इसके बाद मैंने माही भाई से बात की और मुझे गेंदबाजी से हटा दिया गया।’ 
 
वह धोनी थे जो शमी को लगातार कहते रहे कि वह दर्द से पार पा सकते हैं। शमी ने कहा, ‘इंजेक्शन लेने के बाद भी मेरी स्थिति अच्छी नहीं थी। मैंने माही भाई से कहा कि मैं गेंदबाजी नहीं कर सकता क्योंकि मैं दौड़ नहीं सकता हूं। लेकिन उन्होंने मुझसे कहा कि खुद पर भरोसा रखो, कोई कामचलाऊ गेंदबाज भी रन देगा।’ 
 
इस तेज गेंदबाज को 10 ओवर के कोटा में 60 से अधिक रन नहीं देने का लक्ष्य दिया गया था लेकिन उन्होंने 68 रन लुटाए और उन्हें विकेट भी नहीं मिला। यह मैच स्टीव स्मिथ के शानदार शतक और मशहूर भारतीय बल्लेबाजी की नाकामी के लिए जाना जाता है। 
 
शमी ने कहा, ‘उन्होंने (धोनी) मुझसे कहा कि 60 से अधिक रन नहीं लुटाना। मैं इससे बुरी परिस्थितियों में कभी नहीं खेला। किसी ने कहा कि मेरा करियर खत्म हो गया है। किसी ने कहा कि मुझे नहीं खेलना चाहिए लेकिन मैं आज भी खेल रहा हूं।’ (भाषा)

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