टी-20 विश्वकप में पहली बार ही महेंद्र सिंह धोनी के बाद कोई खिलाड़ी कप्तानी का भार संभाल रहा था । लेकिन कोहली के इस नतीजे के बाद यह पता लग गया है कि वह इसके बाद टी-20 विश्वकप में टीम की कप्तानी नहीं करेंगे।
कुछ दिनों पहले सूत्रों के हवाले से यह खबर आयी थी कि विराट कोहली जल्द ही टी-20 और वनडे की कप्तानी से अलविदा कह सकते हैं। हालांकि इस खबर के फैलने के बाद बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष अनिल धूमल ने एक प्रतिष्ठित न्यूज एजेंसी को बयान दिया था कि विराट कोहली भारतीय टीम के कप्तान बने रहेंगे और अभी तक बोर्ड ने स्प्लिट कैपटंसी, यानि कि अलग फॉर्मेट के लिए अलग कप्तान वाली योजना पर विचार नहीं किया है।
पिछले कुछ समय से कोहली के सफेद गेंद की टीम की कप्तानी के भविष्य को लेकर अटकलें लगायी जा रही थीं, विशेषकर रोहित शर्मा के इंडियन प्रीमियर लीग में शानदार रिकार्ड को देखकर, जिसमें उन्होंने मुंबई इंडियंस को पांच खिताब दिलाये हैं।
लेकिन अब यह बात पक्की हो गई है कि कम से कम टी-20 में भारत को नया कप्तान मिलेगा। हालांकि इस बात पर गौर किया जाना चाहिए कि विराट कोहली ने कप्तानी छोड़ी क्यों। खासकर टी-20 की कप्तानी क्यों छोड़ी।
टी-20 रैंकिंग्स में फिसल रहे थे विराट
वैसे तो वनडे और टेस्ट में विराट पिछले 2 साल में शतक नहीं बना पाए हैं लेकिन सच्चाई यह है कि वह टी-20 रैंकिंग्स में फिसल रहे थे। वह तो भला हो न्यूजीलैंड के बल्लेबाज की विफलता का जिस कारण विराट हाल फिलहाल चौथी रैंक पर आए।
पाकिस्तान के बल्लेबाज और कप्तान बाबर आजम कई समय से उनसे आगे हैं। शायद यह बात विराट को कई समय से कचोट रही होगी। वैसे विराट टी-20 में बहुत अच्छे बल्लेबाज है और 3000 टी20 अंतरराष्ट्रीय रन बनाने वाले इकलौते बल्लेबाज हैं।
कोहली ने 90 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं जिसमें उन्होंने 28 अर्धशतक से 3159 रन जुटाये हैं। उन्होंने इनमें से 45 मैचों में भारत की कप्तानी की और टीम को 27 में जीत दिलायी जबकि 14 में टीम को हार का सामना करना पड़ा।
दबाव में दिखते हैं खिलाड़ी
अब तो मानो ये आम हो चुकी है कि भारतीय टीम आईसीसी इवेंट्स में लीग मैचों में तो अच्छा करेगी, मगर नॉकआउट में पहुंचते ही खिलाड़ी अपनी लय खो बैठते हैं। इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता है कि जितना बड़ा मैच होता है, उतना ही खिलाड़ियों पर दबाव भी होता है। मगर बात हैरानी की ये है कि विराट अपने खिलाड़ियों का दबाव कम नहीं कर पाते।
जिसका परिणाम आप चैंपियंस ट्रॉफी 2017, विश्व कप 2019 सेमीफाइनल और अब विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में भी देखने को मिला। भारत की टॉप क्लास बैटिंग लाइन-अप फुस्स हो गई। निराशाजनक बल्लेबाजी के चलते भारत के गेंदबाजों पर WTC फाइनल में दबाव बना, जिसकी कीमत हमें ट्रॉफी गंवाकर चुकानी पड़ी। गेम तो हर प्लेयर को अपना ही खेलना होता है, लेकिन एक कप्तान खिलाड़ियों पर से दबाव कम करता है, ताकि वह बड़े मैच में प्रदर्शन करें। बदकिस्मती से हमारे कप्तान साहब खुद ही बड़े मैचों में फेल हो जाते हैं, तो वह खिलाड़ियों से क्या कहेंगे। यह ज्यादा मौकों पर दिखा तो बोर्ड को नजर आया और शायद आज कप्तान के निर्णय के पीछे यह भी कारण रहा होगा।