नई दिल्ली। पंजाब के तेज गेंदबाज सिद्धार्थ कॉल को श्रीलंका के खिलाफ वन-डे टीम में शामिल किया गया था, लेकिन उन्हें एक भी मैच में मौका दिए बिना दक्षिण अफ्रीका दौरे के लिए चुनी गयी वन-डे टीम से बाहर कर दिया गया है। अब सवाल यह उठता है कि किसी खिलाड़ी को परखे बिना बाहर किया जाना कितना उचित है। सिद्धार्थ को श्रीलंका के खिलाफ तीन मैचों की सीरीज में एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला।
दक्षिण अफ्रीका दौरे के लिए सिद्धार्थ की जगह मुंबई के तेज गेंदबाज शार्दुल ठाकुर ने ली है। यह भी दिलचस्प है कि शार्दुल इस साल अगस्त-सितंबर में श्रीलंका के खिलाफ दो वन-डे खेले थे और न्यूजीलैंड के खिलाफ पिछली वन-डे सीरीज़ का हिस्सा थे, लेकिन श्रीलंका के खिलाफ घोषित एकदिवसीय टीम में ठाकुर को बाहर कर दिया गया था और उनकी जगह तेज़ गेंदबाज़ सिद्धार्थ कौल को लाया गया था और अब उनकी जगह वापस ठाकुर को लाया गया है।
27 वर्षीय सिद्धार्थ ने 51 प्रथम श्रेणी मैचों में 180 विकेट, 52 लिस्ट ए मैचों में 98 विकेट और 57 ट्वेंटी- 20 मैचों में 69 विकेट लिए हैं लेकिन उनका देश की तरफ से अंतरराष्ट्रीय मैचों में पदार्पण करने का सपना पूरा नहीं हो पाया है और इसके लिए उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ेगा।
भारत के वन-डे इतिहास में पिछले कुछ वर्षों पर नजर डाली जाए तो कई ऐसे वाकए सामने आएंगे जहां खिलाड़ियों को बड़े धूमधाम के साथ टीम में शामिल किया गया, लेकिन उतनी ही खामोश उनकी विदाई रही और फिर किसी ने कभी उनकी सुध नहीं ली। ऑफ स्पिनर गुरकीरत सिंह ने 2016 में मेलबोर्न में ऑस्ट्रेलिया जैसी टीम के खिलाफ अपना पदार्पण किया और सिर्फ तीन मैच ही खेल पाए।
ऑलराउंडर ऋषि धवन तीन वन-डे और एक टवेंटी-20 खेल पाए। बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ बरिंदर शरण ने छ: वन-डे और दो ट्वेंटी-20 खेले। टीम से अंदर बाहर होते रहे तेज़ गेंदबाज़ धवल कुलकर्णी ने 12 वन-डे और दो ट्वेंटी-20 खेले। फैज़ फज़ल ने एक वन-डे खेला जबकि जम्मू-कश्मीर के ऑलराउंडर परवेज रसूल ने एक वन-डे और एक टी-20 खेला। लेग स्पिनर कर्ण शर्मा के हिस्से में दो वन-डे ही आए।
राष्ट्रीय चयनकर्ता रहे रोजर बिन्नी के बेटे स्टुअर्ट बिन्नी 14 वन-डे ही खेल पाए। हालांकि उन्होंने बंगलादेश में एक मैच में छ: विकेट तक झटके थे। सौरभ तिवारी ने तीन, वरुण आरोन ने नौ, पंकज सिंह ने एक, अशोक डिंडा ने 13, सुदीप त्यागी ने चार और अभिषेक नायर ने तीन वन-डे खेले। (वार्ता)