Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

'क्रिकेट के शहंशाह' महेंद्र सिंह धोनी को सलाम...

हमें फॉलो करें 'क्रिकेट के शहंशाह' महेंद्र सिंह धोनी को सलाम...
webdunia

सीमान्त सुवीर

दिक्कत ये है कि महेंद्र सिंह धोनी की शुरुआत कहां से की जाए?? क्या हम 'माही' से बात शुरू करें या फिर 'एमएसडी' या 'कैप्टन कूल' या फिर 'थाला' से...धोनी ने भारतीय क्रिकेट और अपने फैंस को ऐसे कई अविस्मणीय पल दिए हैं जिन्हें यादों में सहेजकर रखना ही बेहतर होगा। 39 बरस की उम्र में उन्होंने वो सब पा लिया जिसका लोग महज सपना भर देखते हैं। 
 
धोनी की यह है असली दौलत : आज धोनी के पास क्या नहीं है? बेशकीमती कारों (12) और बाइकों के जखीरे (150 से ज्यादा) के अलावा बहुत बड़ा बैंक-बैलेंस...लेकिन सच तो यह है कि इन सब चीजों से इंसान धनवान नहीं होता, उसकी असली दौलत होती है, अपने प्रशंसकों का प्यार और उनके दिलों में बसा सम्मान... भारतीय क्रिकेट इतिहास में बहुतेरे क्रिकेटर आए और चले गए लेकिन जो सम्मान धोनी ने पाया, वह आज तक किसी को नहीं मिला। बेशक धोनी को इज्जत इसलिए मिलती है, क्योंकि वे हमेशा देश के लिए खेले, अपने रिकॉर्ड के लिए नहीं...
 
पूरी क्रिकेट बिरादरी का सलाम : धोनी का यही रूप उन्हें महान बनाता है जिसके कारण 15 अगस्त को संन्यास लेने के बाद देश और दुनिया के क्रिकेटर उन्हें सलाम कर रहे हैं। सलाम करने वालों में क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर भी हैंं। धोनी ने अपनी मां देविका धोनी के जन्मदिन पर (15 अगस्त) शाम 7.29 को उस वक्त खुद रिटायर कर लिया, जब पूरा देश स्वतंत्रता की 74वीं वर्षगांठ मना रहा था।
webdunia
धोनी ने 3 मौके दिए बड़े जश्न मनाने के : माही की कप्तानी में करोड़ों भारतीय प्रशंसकों ने 3 दफा बड़े जश्न मनाए। पहली बार 2007 में उनकी कप्तानी में भारत ने टी20 वर्ल्ड कप जीता। दूसरी बार 2011 में भारत 28 बरस बाद वनडे का विश्व विजेता बना और 2013 में भारत ने चैम्पियंस ट्रॉफी जीती। इससे पहले दुनिया का ऐसा कोई भी कप्तान सामने नहीं आया जिसने आईसी के तीनों बड़े खिताब जीते हों। तीनों ही प्रसंगों पर बेहतरीन कप्तानी के साथ शानदार बल्लेबाजी के जौहर भी दिखलाए।
 
सीधे टीम इंडिया की कप्तानी की : कितने ताज्जुब की बात है कि जिस खिलाड़ी ने कभी किसी राज्य की कप्तानी नहीं की, वो सीधे 'टीम इंडिया' का कप्तान बना और भारत को टी20 का वर्ल्ड कप दिलाया। इसे आप क्रिकेट का जुनून ही कहेंगे कि धोनी ने न केवल टीम इंडिया बल्कि आईपीएल में अपनी टीम चेन्नई सुपर किंग्स को 3 बार चैम्पियन बनवाया। वे 12 आईपीएल मैचों से 9 बार फाइनल खेले। वाह..., क्या शानदार करियर है।
 
अजीबोगरीब संयोग : धोनी ने 23 वर्ष की आयु में पहला एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच बांग्लादेश के खिलाफ दिसम्बर 2004 में खेला और रनआउट हो गए जबकि आईसीसी वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ 9 जुलाई 2019 को आखिरी मैच खेलते हुए भी रनआउट हुए। अपने अंतिम मैच में धोनी ने 72 गेंदों पर 50 रन बनाए थे।
 
एक सपना जो रह गया अधूरा : विश्व कप के बाद से ही धोनी के लंबे ब्रेक के बाद कयास लगने लगे थे कि वे संन्यास का मन बना चुके हैं लेकिन खुद धोनी ने कभी नहीं कहा कि वे बल्ला टांगने जा रहे हैं। वजह यह थी कि वे भारत को एक और बड़ी कामयाबी (टी20 विश्व कप) दिलाने का सपना संजोए हुए थे जिसकी सीढ़ी मार्च-अप्रैल में होने वाली IPL थी लेकिन कोरोना के कारण आईपीएल समय पर नहीं हुआ। उधर ऑस्ट्रेलिया में इस वर्ष के अंत में होने वाला टी20 विश्व कप भी टल गया।
webdunia
विराट कोहली को खलेगी कमी : धोनी ने इसी 7 जुलाई को उम्र के 39 वर्ष पूरे किए। अगले बरस वे 40 के हो जाएंगे और नहीं चाहते कि वे टीम इंडिया पर बोझ बने, लिहाजा उन्होंने ससम्मान बल्ला टांगने का फैसला अचानक ले डाला। हालांकि उनकी कमी सबसे ज्यादा विराट को खलेगी, क्योंकि मैदान पर कप्तान भले ही विराट हो लेकिन पूरी रणनीति विकेट के पीछे से धोनी ही बनाते थे। यही कारण है कि विराट ने कहा, मेरे लिए धोनी कप्तान थे और हमेशा कप्तान ही बने रहेंगे।
 
600 दिनों तक टीम इंडिया नंबर 1 : माही ने भारतीय क्रिकेट को कई न भूलने वाले पल दिए। उनकी कप्तानी में ही टीम इंडिया टेस्ट रैंकिंग में नंबर एक भी बनी थी और 600 दिनों तक नंबर एक ही रही थी। धोनी ने 2014 में ऑस्ट्रेलिया दौरे में मेलबोर्न टेस्ट के बाद टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया था और जनवरी 2017 में उन्होंने विराट को वनडे और टी-20 की कप्तानी सौंप दी थी।
 
जिंदगी का सबसे बड़ा टर्निंग पाइंट : थोड़ा पीछे चलते हैं...बिहार से रणजी ट्रॉफी खेलने के बाद धोनी ने जीवन-यापन के लिए रेलवे की नौकरी स्वीकार कर ली। वे बंगाल के खड़गपुर रेलवे स्टेशन पर टिकट कलेक्टर के पद पर कार्यरत हुए और रेलवे की तरफ से खेलने लगे लेकिन उन्हें लगा कि यह उनका मुकाम नहीं है, क्योंकि किस्मत में 'क्रिकेट का शहंशाह' बनना लिखा था...उन्होंने नौकरी छोड़ दी और पूरा ध्यान क्रिकेट पर लगाने लगे। यही फैसला उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा 'टर्निंग पाइंट' साबित हुआ।
 
धोनी का प्रथम श्रेणी में पहला शतक : धोनी ने 1998-99 में कूचबिहार ट्रॉफी (अंडर 19 में) बिहार की तरफ से 5 मैचों में 185 रन बनाए और फिर 2000 में असम के खिलाफ प्रथम श्रेणी मैच में पहली बार विकेटकीपिंग के दस्ताने पहने। उनके पहले शिकार बने पराग दास। धोनी ने 2000-01 में दुलीप ट्रॉफी में पहला प्रथम श्रेणी शतक जड़ा जिसके बाद उनका चयन ईस्ट जोन टीम में हुआ। 
 
खत्म हुई सौरव गांगुली की तलाश : धोनी को जिम्‍बाब्‍वे और केन्‍या के दौरे पर इंडिया 'ए' टीम में पहली बार जगह मिली और 7 मैचों में 362 रन (पाकिस्तान के खिलाफ 2 शतक) बना डाले। यही नहीं, धोनी ने इस दौरान विकेटकीपिंग में भी हाथ आजमाते हुए 7 कैच लपके और 4 स्‍टंपिंग भी की। उस समय टीम इंडिया को एक ऐसे विकेटकीपर की तलाश थी, जो निचले क्रम में बल्लेबाजी भी कर सके। धोनी ने तत्कालीन कप्तान सौरव गांगुली को आकर्षित किया और इस तरह वर्ष 2004 में धोनी को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने का मौका मिला। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
webdunia
'जंगली' का क्रिकेट के पूरे जंगल पर राज : टीम इंडिया ने जब 2004 में बांग्लादेश का दौरा किया था, तब धोनी की जुल्फें काफी लंबी लंबी होती थी और बांग्लादेशी दर्शक उन्हें 'जंगली' कहने से भी नहीं चूके थे लेकिन उन्हें नहीं मालूम था कि यही जंगली आने वाले वक्त में क्रिकेट के पूरे जंगल पर राज करने वाला है। पहली ‍सीरीज में फ्लॉप रहने के बाद भी गांगुली का भरोसा धोनी पर कायम रहा। पाकिस्तान के खिलाफ घरेलू सीरीज में उन्हें फिर मौका मिला।
 
पाकिस्तान के तूफानी आक्रमण के धुर्रे बिखेरे : धोनी ने अपने करियर के पांचवें मैच में पाकिस्तान के तूफानी आक्रमण के धुर्रे बिखेर दिए और विशाखापट्‍टनम में 123 गेंदों पर 148 रन ठोंक दिए। इसी पारी ने धोनी को क्रिकेट के आकाश पर ऊंची उड़ान भरने में मदद की। धोनी दुनियाभर में अपनी विस्फोटक पारी और लंबी जुल्फों के कारण रातोरात प्रसिद्ध हो गए। दक्षिण अफ्रीका में 2007 में आयोजित टी20 विश्व कप जीतने के बाद तो धोनी की तूती बोलने लगी।
webdunia
गावस्कर मरने के पहले देखना चाहते हैं विजयी छक्का : मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में 2011 के फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ नाबाद 91 रनों की नाबाद पारी खेलकर अपनी कप्तानी में भारत को 28 सालों के बाद विश्व कप का ताज दिलाने की ऐतिहासिक घटना को भला कौन भूल सकता है। खासकर, उस विजयी छक्के को, जिसने महान सुनील गावस्कर को भी अपना मुरीद बना डाला था, जिन्होंने यह तक कह दिया था कि मैं मरने से पहले फिर से धोनी का वह छक्का देखना चाहूंगा। इतना बड़ा कॉम्पिलमेंट बिरले क्रिकेटरों को ही मिलता है।
 
ताज में एक और हीरा जड़ा : 2007 में टी20 और 2011 में वनडे में वर्ल्ड कप के बाद धोनी के ताज में एक और हीरा जड़ना बाकी था। धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया 2013 में इंग्लैंड को उसके मैदान पर हराकर आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी जीतने में सफल रही। किसी भी क्रिकेटर के जीवन में आईसीसी के तीन बड़े टूर्नामेंट जीतना फख्र की बात है। 
 
वनडे में 229 छक्के उड़ाने वाले अकेले भारतीय : अपने 16 बरस के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में धोनी ने कई पुरस्कार जीते। उन्होंने 200 वनडे मैचों में भारतीय टीम की कप्तानी की, जिसमें से 110 मैच में जीत हासिल हुई। 350 वनडे खेलने वाले धोनी ने 10 शतक और 73 अर्द्धशतक के साथ 10773 रन बनाए। यही नहीं, उन्होंने विकेट के पीछे 444 शिकार भी किए। वनडे में उनके बल्ले से 229 छक्के उड़े, जो कि भारतीय रिकॉर्ड है।
webdunia
विकेट के पीछे 829 शिकार : धोनी ने अपने करियर में 90 टेस्ट मैचों में 6 शतक और 33 अर्द्धशतक के सहारे 4876 रन बनाए और विकेट के पीछे 294 शिकार झपटे। यदि उनकी शानदार कीपिंग को देखेंं तो पता चलता है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उन्होंने विकेट के पीछे 829 शिकार किए, जिनमें 634 कैच और 195 स्टंपिंग शामिल हैं। दुनिया में चीते जैसी फुर्ती किसी विकेटकीपर के पास थी तो वह धोनी ही थे।
 
सालाना कमाई 135 करोड़ रुपए : इतना बड़ा नाम और इतनी शोहरत के बाद भी धोनी पर कभी स्टारडम हावी नहीं हुआ। वे हमेशा शांत रहे। ठीक उसी तरह चुपके से उन्होंने संन्यास का ऐलान करके सबको चौंका दिया। ये तमाम चीजें धोनी को लीजेंड की श्रेणी में खड़ा करती है। आपको यह पढ़कर ताज्जुब होगा कि रांची में मध्यमवर्गीय परिवार से निकले इस शख्स के पास आज की तारीख में 835 करोड़ रुपए की सम्पति है। धोनी की सालाना कमाई 135 करोड़ रुपए है और उनके पास 20 कंपनियों के अनुबंध हैं।
webdunia
शानदार फेयरवेल के हकदार : बेशक भारतीय क्रिकेट प्रेमी धोनी के सीने पर टीम इंडिया की ब्लू जर्सी नहीं देख सकेंगे लेकिन आईपीएल में वे पीली जर्सी में नजर आएंगे। धोनी चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान बने रहेंगे और आईपीएल से रिटायर होने के बाद इसी टीम के मेंटोर बन जाएंगे। सबके मन में यही आ रहा होगा कि धोनी एक शानदार फेयरवेल के हकदार हैं। बीसीआई के मुखिया सौरव गांगुली, जिनके कारण धोनी ने क्रिकेट की बुलंदियों को स्पर्श किया है, उन्हें जरूर प्लान करना चाहिए...

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

इंजमाम ने की धोनी की तारीफ, कहा- मैदान पर माही को लेना था संन्यास