2007 में संन्यास लेने का मन बना चुके सचिन ने एक फोन कॉल के बाद बदल लिया फैसला

Webdunia
शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020 (19:40 IST)
मुंबई। क्रिकेट के भगवान का दर्जा हासिल करने वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का 24 अप्रैल को 47वां जन्मदिन है। चूंकि कोरोना की महामारी चल रही है, लिहाजा वे कोरोना योद्धाओं की खातिर जन्मदिन का जश्न नहीं मना रहे हैं। उनके जन्मदिन के मौके पर पुरानी यादें ताजा होना स्वाभाविक है। 2007 में सचिन अपने खराब फॉर्म के कारण संन्यास लेने का मन बना चुके थे लेकिन परदेस से आए एक फोन कॉल के बाद उन्होंने अपना फैसला बदल डाला।
 
यह बात 13 साल पुरानी है जब 2007 में वेस्टइंडीज में आईसीसी विश्वकप का आयोजन हुआ था। इस विश्व कप में भारत पहले ही दौर में बाहर हो चुका था। यहां तक कि भारतीय टीम बांग्लादेश और श्रीलंका जैसी टीमों से भी हार गई थी। इस शर्मनाक प्रदर्शन के बाद सचिन तेंदुलकर पर हार का ठीकरा फोड़ा गया। यहां तक आलोचक उन्हें 'गद्दार' की तरह पेश करने से भी बाज नहीं आए थे।
 
अपनी ऑटोबायग्राफी ‘प्लेइंग इट माय वे’ में सचिन तेंदुलकर लिखते हैं, ‘कुल मिलाकर 2007 के विश्व कप के बाद मेरी मनोदशा बहुत खराब थी। मैं अपने खेल का जरा भी आनंद नहीं ले रहा था और रिटायरमेंट के बारे में सोचने लगा था। तभी मुझे वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान सर विव रिचर्ड्स का फोन आया। मुझे उनके उत्साहवर्धक शब्द सुनने को मिले। हमने करीब 45 मिनट तक बात की। उन्होंने कहा कि मुझमें अभी बहुत क्रिकेट बाकी है, इसलिए मुझे खेल छोड़ने के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए।’ बस इसी के बाद से मैंने संन्यास लेने का फैसला बदल लिया।
 
सचिन तेंदुलकर के 24 साल के कॅरियर में सिर्फ 2 ही क्रिकेटर उनके आदर्श रहे हैं। पहले लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर और दूसरे सर विवियन रिचर्ड्‍स, जो उन्हें सदैव क्रिकेट की खामियां तो बताते ही थे साथ ही साथ उन्हें अच्छा खेलने के लिए प्रेरित भी करते थे। सचिन ने गावस्कर से मैदान पर देर तक टिकना सीखा तो रिचर्ड्‍स से आक्रामकता के गुर... 
 
ऑटोबायग्राफी ‘प्लेइंग इट माय वे’ में सचिन ने लिखा, ‘जब मैं बड़ा हो रहा था तो विव मेरे हीरो थे और हमेशा रहेंगे। वे मेरे साथ छोटे भाई जैसा बर्ताव करते थे, इसलिए जब उन्होंने मुझे फोन करके खेलते रहने को कहा तो इसका मेरे लिए बड़ा महत्व था। मैंने खेलना जारी रखा और 2008 में सिडनी में शतक लगाकर फॉर्म में लौट आया।’
 
सचिन तेंदुलकर ने अपने 24 साल के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में विशिष्ट छाप छोड़ी है। उन्होंने वनडे में 49 और टेस्ट क्रिकेट में 51 शतक जड़े हैं। वे दुनिया के ऐसे एकमात्र क्रिकेटर हैं, जिन्होंने 200 टेस्ट मैच खेले हैं। यही नहीं, सबसे ज्यादा 463 वनडे मैच (18,426 रन) खेलने का रिकॉर्ड भी सचिन के नाम ही दर्ज है। सचिन ने अपने कॅरियर में 1 टी20 मैच को मिलाकर रिकॉर्ड 664 अंतरराष्ट्रीय मैच खेलकर 34,357 रन बनाए हैं। 
 
वनडे में पहला दोहरा शतक भी सचिन के बल्ले से ही निकला था, जो उन्होंने ग्वालियर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 24 फरवरी 2010 में बनाया था। इस मैच में वे 200 रन के निजी स्कोर पर नाबाद रहे थे। 23 दिसम्बर 2012 को आखिरकार उन्होंने एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया।

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