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रसातल में जा रही भारतीय क्रिकेट को संभालने के लिए रोहित शर्मा को लेनी होगी जिम्मेदारी

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, शुक्रवार, 28 जनवरी 2022 (17:03 IST)
टी-20 विश्वकप 2021 की दुखदायी हार को कौन क्रिकेट फैन भूल सकता है। कोच रवि शास्त्री के जाने के बाद और राहुल द्रविड़ के नए कोच बनने के बाद सभी फैंस को आशा थी कि अब सब कुछ बदल जाएगा।

शुरुआत में ऐसा लगा भी कि द्रविड़ के कोच बनने से टीम इंडिया में एक अलग जोश आ गया है। टीम ने न्यूजीलैंड को घरेलू सीरीज में पहले 3-0 से टी-20 सीरीज जीती और उसके बाद 1-0 से टेस्ट सीरीज जीती।

इसके बाद टीम का दक्षिण अफ्रीका दौरा आया। सेंचुरियन में भारत ने मेजबान को 113 रनों से हराया और 1-0 से टेस्ट सीरीज में बढ़त ली। भारत इस बार द.अफ्रीका में टेस्ट सीरीज जीतने के मकसद से आया था क्योंकि मेजबान बदलाव के दौर से गुजर रहा था।

हालांकि जब यह दौरा खत्म हुआ तो ऐसा लगने लगा कि भारतीय टीम बदलाव के दौर से गुजर रही है। साल 2022 में इस दौरे पर खेले गए किसी मैच में भारत को जीत नहीं मिली। 2 टेस्ट और 3 वनडे हारकर टीम इंडिया के कंधे झुके हुए हैं।


मध्यक्रम को सुधारने की जरूरत

वनडे सीरीज में भारत की सबसे बड़ी नाकामी रही मध्यक्रम की बल्लेबाजी। शिखर धवन और विराट कोहली ने 2 अर्धशतक जमाए लेकिन कोई भी लंबी पारी नहीं खेल सका जिसके कारण भारत के निचले क्रम के बल्लेबाजों पर अतिरिक्त भार आ गया जिसे वह उठा नहीं पाए। खासकर पहले और तीसरे वनडे में।

कप्तान केएल राहुल और ऋषभ पंत ने भी वनडे सीरीज में सिर्फ 1 अर्धशतक लगाया। भारत का मध्यक्रम इतना कमजोर इस कारण लग रहा है क्योंकि लंबे समय से भारत अपने पहले तीन बल्लेबाज रोहित शर्मा, विराट कोहली, और शिखर धवन या फिर केएल राहुल पर निर्भर रहा है।
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विराट कोहली की कप्तानी में जब भारतीय टीम वनडे विश्वकप 2019 खेलने गई थी तब लगभग इस समस्या का समाधान हो ही गया था लेकिन चयनकर्ताओं ने अंबाती रायडू को सिलेक्ट नहीं किया।

अब भारत का मध्यक्रम इतना खोखला लग रहा है कि कोई विश्वसनीय नाम इसमें दिख ही नहीं रहा। हालांकि रोहित के वापस आने के बाद केएल राहुल चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करेंगे लेकिन उनको भी अपना फॉर्म सुधारना होगा।

तेज और स्पिन गेंदबाजी में भी दिखने लग गई हैं कमियां

पिछले कुछ वर्षों में भारत विकेट लेने के मामले में घातक नहीं रहा है। टीम का मध्यक्रम भी ज़रूरत पड़ने पर प्रभावशाली नहीं दिखा है। साथ ही टीम को छठे गेंदबाज़ी की कमी खली है। इन सभी मुद्दों ने उन्हें दक्षिण अफ़्रीका में भी परेशान किया।

विकेट लेने की असफलता का मुद्दा गौर करने लायक हैं क्योंकि इसी ने भारत को 2017 से 2019 के बीच एक शक्तिशाली वनडे टीम बनने में मदद की। हालांकि 2019 के विश्व कप के बाद से पावरप्ले में भारत का औसत और स्ट्राइक रेट सबसे ख़राब है।

इसके पीछे का एक कारण यह हो सकता है कि चोट के कारण टीम से अंदर-बाहर होने वाले भुवनेश्वर कुमार अपनी लय नहीं पकड़ पाए हैं। वहीं टीमों ने जसप्रीत बुमराह के ख़िलाफ़ संभलकर खेलने का रास्ता ढूंढ लिया है।
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पावरप्ले में विकेट नहीं चटकाने का परिणाम यह होता है कि जब स्पिनर गेंदबाज़ी करने आते हैं, उनके सामने दो सेट बल्लेबाज़ होते हैं। कुलदीप यादव फ़ॉर्म में नहीं होने के कारण टीम से बाहर हैं। वहीं युज़वेंद्र चहल भी अपने पुराने रंग में नहीं नज़र आ रहे हैं। इस पूरी सीरीज़ में भारत के गेंदबाज़ों ने मध्य ओवरों में विकेट झटकने के लिए संघर्ष किया है। वनडे सीरीज़ में भारत ने रविचंद्रन अश्विन को मौक़ा दिया, जो 2017 के बाद पहली बार वनडे मैच खेल रहे थे। लेकिन उनका प्रदर्शन कुछ ख़ास नहीं रहा। साथ ही वह रवींद्र जाडेजा की भूमिका निभाने में नाकाम रहे।

भारत ने इस सीरीज़ में पटकी हुई गेंदबाज़ी की ज़रूरत को समझते हुए, तीसरे वनडे में लंबे क़द के गेंदबाज़ प्रसिद्ध कृष्णा को टीम में शामिल किया। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की तरह टीम ने उनका उपयोग बीच के ओवरों में विकेट चटकाने के लिए किया।

दीपक चाहर ने तीसरे वनडे में भुवनेश्वर की जगह ली और वह नई गेंद से विकेट चटकाने में सफल हुए। भारतीय तेज़ गेंदबाज़ों ने बीच के ओवरों में अपनी लेंथ को पहले की तुलना में थोड़ा छोटा रखा। पिच पर गेंद रूक कर आ रही थी और शॉर्ट गेंद पर भारतीय गेंदबाज़ों ने दो विकेट झटके। आने वाले वनडे मैचों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भारत अपनी इस रणनीति को जारी रखता है या नहीं।
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रोहित शर्मा पर होगी दोहरी जिम्मेदारी

अब विराट कोहली नहीं रोहित शर्मा वनडे और टी-20 की कप्तानी संभालेंगे। रोहित शर्मा पर अब ना केवल एक बल्लेबाज के तौर पर अच्छी शुरुआत देने का दबाव होगा लेकिन कप्तानी के दौरान अहम फैसले लेने का भी दबाव होगा।

रोहित शर्मा को उनके बेहतर कप्तानी रिकॉर्ड के कारण ही विराट कोहली की जगह कप्तानी दी गई है। रोहित की अगुवाई में भारत ने 10 में से 8 वनडे मैच जीते हैं।

वेस्टइंडीज और श्रीलंका दोनों ही कमजोर टीमें है जो भारत आने वाली है। हो सकता है कि इन दोनों टीमों को आसानी से घर पर हराकर फैंस वापस खुश हो जाएं और सब कुछ भूल जाएं।

लेकिन रोहित शर्मा को पता है कि उनके सामने वनडे क्रिकेट में असली परीक्षा अगले साल होगी जब भारतीय जमीन पर वनडे विश्वकप खेला जाएगा।

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