मुंबई। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के गुरु रमाकांत आचरेकर का मंगलवार को निधन हो गया। वे 87 वर्ष के थे और लंबे समय से बीमार थे। उनके निधन से क्रिकेट जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। सचिन ने अपने गुरु के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
बढ़ती उम्र और बीमारियों से ग्रस्त रहे आचरेकर : रमाकांत आचरेकर की जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जा रही थी, वे बीमारियों से ग्रस्त होते जा रहे थे। उनकी रिश्तेदार रश्मि दलवी ने इस बात की पुष्टि की कि आचरेकर सर ने सोमवार की शाम को अंतिम सांस ली।
सिर्फ प्रथम श्रेणी मैच खेला : देश के कई क्रिकेट धुरंधरों को क्रिकेट का ककहरा सिखाने वाले रमाकांच आचरेकर ने अपने जीवन में सिर्फ एक प्रथम श्रेणी मैच खेला। गुरु भले ही क्रिकेट नहीं खेले लेकिन शिष्यों ने क्रिकेट के मंच पर न केवल उनका बल्कि देश का नाम गौरवान्वित किया। शिवाजी पार्क में क्रिकेट की तालीम लेने वाले उनके शिष्य सचिन ने टेस्ट में सर्वाधिक 15921 और वनडे में सबसे ज्यादा 18426 रन बनाए।
रमाकांत आचरेकर ने ही पहली बार 11 साल की उम्र में शिवाजी पार्क पर सचिन तेंदुलकर में क्रिकेट प्रतिभा की पहचान की थी और इस प्रतिभा को उन्होंने बखूबी तराशा। सचिन क्रिकेट के शीर्ष पर पहुंचने के बाद भी सदैव अपने गुरु के टच में रहते थे।
ये मिले सम्मान : आचरेकर का जन्म 1932 में हुआ था। भारत रत्न सचिन के गुरु आचरेकर को क्रिकेट में उनके बेहतरीन योगदान के लिए वर्ष 1990 में द्रोणाचार्य अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था और उसके बाद वह वर्ष 2010 में पद्मश्री से सम्मानित किए गए थे। वर्ष 2010 में ही उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।
पक्षाघात की वजह से कई सालों से आचरेकर व्हीलचेयर पर आ गए थे। सचिन के क्रिकेट से संन्यास लेने के भावुक क्षणों के वे गवाह बने। सचिन पर जब बायोपिक बनीं, उसके प्रीमियर पर भी वे मौजूद रहे।
सचिन जब भी किसी संशय में रहते थे तो आचरेकर सर को फोन करके अपनी दुविधा बताते थे। बदले में आचरेकर उन्हें टिप्स देते थे। यही कारण है कि सचिन ने भारतीय क्रिकेट को ऊंचाईयों पर पहुंचाया।
पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद कैफ ने ट्विटर पर रमाकांत आचरेकर सर को श्रद्धांजलि दी और परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की। कैफ ने लिखा कि उन्होंने भारतीय क्रिकेट को सचिन तेंडुलकर जैसा उपहार दिया। वीवीएस लक्ष्मण ने लिखा कि हमें आचरेकर सर ने सचिन के रुप में एक हीरा दिया है।
रमाकांच आचरेकर को भारतीय क्रिकेट के द्रोणाचार्य माने जाते थे। उन्होंने सचिन के अलावा, विनोद कांबली, प्रवीण आमरे, समीर दिघे और बलविंदर सिंह संधू जैसे क्रिकेटर की प्रतिभा को निखारा।
सचिन कभी सर को नहीं भूले : सचिन तेंदुलकर ने जब टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेते हुए अपना भावनात्मक विदाई संबोधन दिया था, तब आचरेकर सर को भी श्रद्धा के साथ याद किया था। सचिन ने अपने संबोधन में कहा था कि 'मेरा क्रिकेट करियर तब शुरू हुआ था, जब मैं 11 साल का था। मेरे करियर का अहम मोड़ तब था, जब मेरा भाई मुझे आचरेकर सर के पास ले गया था।'