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दर्शकों की नस्लीय टिप्पणी से कैसे एक सूत्र में बंध गई टीम इंडिया

हमें फॉलो करें दर्शकों की नस्लीय टिप्पणी से कैसे एक सूत्र में बंध गई टीम इंडिया
, सोमवार, 11 जनवरी 2021 (17:26 IST)
चौथे दिन का खेल जब समाप्त हुआ तो ऐसा लग रहा था ऑस्ट्रेलिया बिना किसी खास मुश्किल के यह टेस्ट जीत जाएगा। भारत के लिए चुनौतियां ही चुनौतियां थी, सिर्फ 2 विकेट बचे थे और खेल का पांचवा दिन जहां गेंद असामान्य उछाल लेती है। 
 
फिर ऐसा क्या हुआ कि टीम इंडिया के हर खिलाड़ी में जोश जागा और सिडनी में हारे हुए टेस्ट को बल्लेबाज ड्रॉ पर ले आए। दरअसल इसके पीछे हैं दर्शकों द्वारा की गई नस्लीय टिप्पणियां जिसने आग में घी डालने का काम किया। 
 
गौरतलब है कि रविवार को ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी के 86वें ओवर के दौरान सिराज को बाउंड्री से आकर स्क्वायर लेग अंपायर से बात करते देखा गया जिसके बाद गेंदबाजी छोर के अंपायर और बाकी सीनियर खिलाड़ी भी वहां आकर चर्चा करने लगे।
 
खेल लगभग 10 मिनट रुका रहा जिसके बाद स्टेडियम के सुरक्षाकर्मी और न्यू साउथ वेल्स पुलिस के कर्मचारी संबंधित स्टैंड में गए जहां से अपशब्द कहे जा रहे थे।
 
सिराज और टीम के उनके सीनियर साथी जसप्रीत बुमराह को शनिवार को भी नस्लीय टिप्पणियों का सामना करना पड़ा था जिसकी शिकायत भारतीय टीम प्रबंधन ने औपचारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के मैच रैफरी डेविड बून से की थी।
 
इन दो घटनाओं ने टीम के खिलाड़ियों को आक्रोश से भर दिया। अच्छी बात यह रही कि इस आक्रोश का खिलाड़ियों ने सही जगह इस्तेमाल किया। पंत हो या विहारी, पुजारा हो या फिर अश्विन सबके खेलने के अंदाज से लग रहा था कि वह हर हाल में टेस्ट बचाना चाहते हैं।
 
बहुत ही कम ढीले शॉट देखने को मिले और जब मिले भी तब किस्मत से उस शॉट को कंगारु फील्डर कैच में तब्दील नहीं कर पाए। हालात यह हो गए कि पेन को ग्रीन और लाबुशेन से ओवर करवाना पड़ा। 

यह साफ दिख रहा था कि टीम इंडिया एक सोची समझी योजना के तहत पांचवे दिन मैदान पर उतरी है। यही नहीं आगामी सीरीज से बाहर हो चुके रविंद्र जड़ेजा भी पैड बांधकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। इससे पता लगता है की टीम कितने आक्रोश में थी। 
 
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि जब किसी विवाद का टीम इंडिया पर सकारात्मक असर देखने को मिला है। इससे पहले साल 2008 में भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर मंकी गेट हुआ था। सभी खिलाड़ी इस विवाद के बाद एकजुट हो गए थे और पर्थ में खेले गए अगले टेस्ट को जीतकर ऑस्ट्रेलिया के 17 टेस्ट मैचों का विजयी रथ रोका था।
 
वहीं साल 2001 के दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर ओवर अपीलिंग के लिए कई भारतीय खिलाड़ियों पर फाइन लगाया गया। यही नहीं सचिन तेंदुल्कर पर तो बॉल टेंपरिंग के आरोप लगे। इस विवाद से सभी खिलाड़ी नाखुश थे। सौरव की कप्तानी में टीम इंडिया अगला टेस्ट ड्रॉ करा कर ही मानी। (वेबदुनिया डेस्क) 

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