नई दिल्ली। एक समय था जब महेंद्रसिंह धोनी टीम इंडिया के कप्तान थे और उन्होंने सौरव गांगुली को उनके आखिरी टेस्ट के अंतिम दिन भारत की कप्तानी देकर सम्मानजनक विदाई का मौका दिया था, लेकिन आज गांगुली बीसीसीआई के अध्यक्ष हैं और वे 2008 में अपने अंतिम मैच में धोनी से मिले कर्ज को उतारने से चूक गए।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने 2019-20 के लिए केंद्रीय अनुबंध की सूची जारी की है, जिसमें धोनी को किसी भी ग्रेड में जगह नहीं दी गई है।
वे पिछले वर्ष तक 5 करोड़ रुपए के ए ग्रेड में शामिल थे। धोनी 2019 में जुलाई में इंग्लैंड में हुए विश्वकप में भारत की सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के हाथों हार के बाद क्रिकेट मैदान से पूरी तरह बाहर चल रहे हैं और उन्होंने अपने संन्यास को लेकर चुप्पी साध रखी है।
भारतीय कोच रवि शास्त्री ने हाल ही में कहा था कि यदि धोनी इस साल आईपीएल सत्र में अच्छा प्रदर्शन कर जाते हैं तो उनके लिए ऑस्ट्रेलिया में होने वाले टी-20 विश्वकप का रास्ता खुल सकता है, लेकिन गांगुली की अध्यक्षता वाली बीसीसीआई ने धोनी को केंद्रीय अनुबंध से बाहर कर उनकी किसी भी तरह की वापसी का रास्ता बंद कर दिया है।
हालांकि बीसीसीआई ने कहा है कि यदि कोई खिलाड़ी अनुबंध सूची में नहीं है, लेकिन वह इस अवधि में भारत की ओर से खेलता है तो वह स्वत: ही अनुबंध सूची में शामिल हो जाएगा।
शायद अब नहीं होगी वापसी : धोनी को अनुबंध सूची से बाहर किए जाने का साफ संकेत है कि उनके भारतीय क्रिकेट में दिन लद चुके हैं। राष्ट्रीय चयनकर्ता प्रमुख एमएसके प्रसाद पहले से ही धोनी के काफी खिलाफ हैं और चयन समिति और पूरा टीम प्रबंधन ऋषभ पंत को टीम में बनाए रखने पर अपना जोर लगाए हुए है। पंत मौजूदा अनुबंध में 5 करोड़ रुपए के ए ग्रेड में शामिल हैं।
धोनी ने दिया था गांगुली को सम्मान : भारत को दो बार विश्वकप जिताने वाले धोनी को इस तरह केंद्रीय अनुबंध से बाहर किए जाने के बाद बरबस वह घटना याद आ जाती है, जब धोनी ने गांगुली को उनके आखिरी टेस्ट के अंतिम दिन भारत की कप्तानी संभालने का मौका दिया था। बात 2008 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नागपुर टेस्ट की है। गांगुली का यह अंतिम टेस्ट था, उन्होंने चार टेस्टों की इस सीरीज से पहले ही कह दिया था कि यह उनकी आखिरी सीरीज होगी।
धोनी का वह अभूतपूर्व फैसला : गांगुली सीरीज के चारों टेस्टों में खेले और उन्होंने कुल 324 रन बनाए। गांगुली ने नागपुर में अपने अंतिम टेस्ट में 85 और शून्य स्कोर किया। आखिरी टेस्ट में भारत को जीत के लिए एक विकेट की जरूरत थी और जब भारतीय टीम इस मैच में अंतिम बार मैदान पर कदम रख रही थी तो धोनी ने अभूतपूर्व पहल करते हुए गांगुली से आग्रह किया कि वे अपने नेतृत्व में टीम को मैदान पर ले जाएं और अपने हिसाब से फील्ड को सजाएं।
भारत ने यह मैच जीतकर 2-0 से बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी को बरकरार रखा। भारत के सबसे सफल कप्तानों में से एक गांगुली को धोनी ने उनके अंतिम टेस्ट में सम्मानजनक विदाई का जो मौका दिया उसे भारतीय क्रिकेट का एक स्वर्णिम अध्याय माना जाता है, लेकिन मौजूदा समय में बीसीसीआई के अध्यक्ष धोनी के साथ वैसा व्यवहार नहीं कर पाए जैसा धोनी ने उनके साथ नागपुर टेस्ट में किया था।
विश्वकप के सेमीफाइनल में हारने के बाद भारत ने वेस्टइंडीज़ का दौरा किया था और उसके बाद घरेलू जमीन पर दक्षिण अफ्रीका, बांग्लादेश, वेस्टइंडीज़, श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया की मेज़बानी की। ऑस्ट्रेलिया के साथ तीन मैचों की वन-डे सीरीज का पहला मैच खेला जा चुका है। ऑस्ट्रेलिया से मुकाबले के बाद न्यूजीलैंड के दौरे में टी-20 सीरीज के लिए भारतीय टीम की घोषणा हो चुकी है। धोनी को इन सभी सीरीज में टीम में जगह नहीं मिली थी।
धोनी भारत के सबसे सफल कप्तानों में से एक हैं। दो बार के विश्वकप विजेता, चैंपियंस ट्रॉफी विजेता, भारत को टेस्ट रैंकिंग में नंबर एक पर ले जाने वाले कप्तान और सबसे सफल विकेटकीपर बल्लेबाज रहे हैं। धोनी की कप्तानी में भारत ने 2007 में पहला टी-20 विश्वकप जीता और फिर 28 साल बाद 2011 में एकदिवसीय विश्वकप जीता। उनकी कप्तानी में भारत ने 2013 में चैंपिंयस ट्रॉफी पर कब्जा किया।
मौजूदा हालात में यह तो तय है कि अब धोनी की टीम में वापसी संभव नहीं है, लेकिन बीसीसीआई ने अपने इस दिग्गज खिलाड़ी को सम्मानजनक विदाई देने का कोई तरीका नहीं ढूंढा और सबसे अधिक निराशाजनक यह है कि उन्हें केंद्रीय अनुबंध से ही बाहर कर दिया गया है।
शायद विराट भी भूल गए वो दिन... : बीसीसीआई अध्यक्ष सौरभ गांगुली चाहते तो वे धोनी को इस अवधि में ए प्लस या ए ग्रेड में रखकर उन्हें सम्मानजनक विदाई लेने का मौका दे सकते थे, लेकिन गांगुली 2008 में धोनी का कर्ज उतारने का मौका चूक गए।
गांगुली की तरह मौजूदा कप्तान और भारतीय क्रिकेट की सबसे मजबूत शख्सियत विराट कोहली भी धोनी का कर्ज उतारने से चूक गए। वर्ष 2014 के इंग्लैंड दौरे में धोनी कप्तान थे और इस पूरे दौरे में विराट का बल्ला फ्लॉप रहा था। दौरे में टेस्ट और वनडे की कुल 14 पारियों में विराट के बल्ले से एक भी अर्धशतक नहीं निकला था।
विराट ने टेस्ट सीरीज़ में 1, 8, 25, 0, 39, 28, 0, 7, 6, 20 और वनडे में 0, 40, नाबाद 1, 13 रन बनाए थे। इस फ्लॉप प्रदर्शन के बावजूद धोनी ने लगातार विराट का बचाव करते हुए कहा था कि उन्हें सिर्फ एक अच्छी पारी की जरूरत है। विराट ने उसके बाद घर लौटकर धर्मशाला में विंडीज के खिलाफ शतक बनाया और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा, लेकिन आज स्थिति यह है कि न तो गांगुली और न ही विराट धोनी के साथ खड़े हैं।