मध्यप्रदेश क्रिकेट प्रशासन से होगी दिग्गजों की विदाई, नए चेहरों को मिलेगा मौका

Webdunia
रविवार, 12 अगस्त 2018 (19:09 IST)
इंदौर। देश के क्रिकेट प्रशासन में सुधारों को लेकर उच्चतम न्यायालय के हालिया आदेश के बाद मध्यप्रदेश क्रिकेट संघ (एमपीसीए) के शीर्ष स्तर पर आने वाले दिनों में काफी बदलाव होने की संभावना है। 
 
 
लोढ़ा समिति की सिफारिशों के चलते ज्योतिरादित्य सिंधिया और संजय जगदाले सरीखे शीर्ष प्रशासकों को एमपीसीए के अपने अहम ओहदे करीब डेढ़ साल पहले ही छोड़ने पड़े थे। अब एमपीसीए के संविधान में जल्द संभावित बदलावों के बाद राज्य के क्रिकेट प्रशासन की कमान नए चेहरों के हाथ में आना तय माना जा रहा है। 
 
एमपीसीए के सचिव मिलिंद कनमड़ीकर ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) जैसे ही उसका नया संविधान अपनाता है, हम भी तय अवधि में अपने संविधान में बदलाव करेंगे और नए प्रावधानों को अपना लेंगे।
 
उन्होंने बताया कि फिलहाल एमपीसीए के चुनाव हर दो साल में होते हैं यानी निर्वाचित पदाधिकारियों को दो साल का कार्यकाल मिलता है। लेकिन उच्चतम न्यायालय के आदेश की पृष्ठभूमि में बनी स्थिति के कारण एमपीसीए के संविधान में बदलाव किया जाएगा और इस कार्यकाल को बढ़ाकर तीन साल का किया जाएगा। यानी राज्य क्रिकेट संगठन के चुनाव प्रत्एक तीन साल में कराए जाएंगे। 
 
बहरहाल, लोढ़ा समिति की सिफारिशों पर उच्चतम न्यायालय के हालिया आदेश से कनमड़ीकर खुद भी प्रभावित होने वाले हैं क्योंकि एमपीसीए पदाधिकारी के रूप में उनका यह लगातार दूसरा कार्यकाल है। शीर्ष अदालत के आदेश के मुताबिक क्रिकेट संघों के पदाधिकारियों को लगातार दो कार्यकालों के बाद 'कूलिंग ऑफ पीरियड' में रहना होगा। यानी वे दो सतत कार्यकालों के बाद एक निश्चित समय के लिए क्रिकेट संघों में कोई पद नहीं संभाल पाएंगे। 
इस बीच, एमपीसीए के पूर्व चेयरमैन और लोकसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के हालिया आदेश के मुताबिक देश के क्रिकेट प्रशासन में होने जा रहे बदलावों को 'खुले दिल से' अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि क्रिकेट प्रशासन में किसी भी शख्स की व्यक्तिगत सोच या निजी प्रतिष्ठा के लिए कोई जगह नहीं है। क्रिकेट प्रशासन में जारी सुधारों की प्रक्रिया एक संस्थागत परिवर्तन है और इसे अपनाने में हमें कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए।' 
 
सिंधिया ने कहा, 'परिवर्तन विधि का विधान है। देश के क्रिकेट प्रशासन में अब नया खून और नयी क्षमता सामने आएगी। हमें बदलावों को अपनाकर आगे का रास्ता तय करना चाहिए।' एमपीसीए के पूर्व चेयरमैन ने यह भी बताया कि सूबे का क्रिकेट संघ अपने संविधान में बदलावों के लिए पहले से तैयारी कर रहा है।
 
उन्होंने बताया, 'एमपीसीए के नए संविधान का मसौदा बना रही समिति ने करीब 70 प्रतिशत काम खत्म कर लिया है। बीसीसीआई का नया संविधान पंजीकृत होने के तुरंत बाद हम भी अपने नए संविधान को लागू करने की औपचारिकताएं पूरी करेंगे।" 
एमपीसीए सूत्रों ने बताया कि वैसे तो राज्य के क्रिकेट संघ की मौजूदा प्रबंध समिति का कार्यकाल इसी महीने के आखिर में खत्म होने वाला है लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए इस संगठन के द्विवार्षिक चुनाव आगे बढ़ सकते हैं और तब तक यही समिति बरकरार रह सकती है। 
 
सूत्रों के मुताबिक एमपीसीए के मौजूदा संविधान में प्रावधान है कि अगर प्रस्तावित समय में किसी वजह से संगठन के द्विवार्षिक चुनाव नहीं हो पाते हैं और एक सितंबर से पहले संगठन की नयी प्रबंध समिति गठित नहीं हो पाती है, तो इसके गठन तक निवर्तमान प्रबंध समिति ही काम करती रहेगी। 
 
शीर्ष अदालत से नियुक्त न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आरएम लोढ़ा समिति की हिदायत मानते हुए एमपीसीए ने अगस्त 2016 में प्रस्तावित अपने द्विवार्षिक चुनाव टालना मुनासिब समझा था। इसके साथ ही, फैसला किया था कि चेयरमैन पद पर ज्योतिरादित्य सिंधिया और अध्यक्ष पद पर संजय जगदाले समेत निवर्तमान प्रबंध समिति के तत्कालीन पदाधिकारी चुनावी प्रक्रिया की स्थिति स्पष्ट होने तक अपने ओहदों पर बरकरार रहेंगे। 
 
हालांकि, सिंधिया और जगदाले को जनवरी 2017 में अपने पद छोड़ने पड़े थे क्योंकि दोनों क्रिकेट प्रशासकों को एमपीसीए की प्रबंध समिति के अलग-अलग पदों पर रहते नौ साल से अधिक का समय हो गया था। नतीजतन वे लोढ़ा समिति की सिफारिशों के मुताबिक क्रिकेट संगठन में पद संभालने के लिए अपात्र हो गए थे।

तब इन्हीं सिफारिशों के कारण एमपीसीए के दो उपाध्यक्षों- एमके भार्गव (अब दिवंगत) और अशोक जगदाले को भी अपनी 70 वर्ष से अधिक की उम्र के कारण पदमुक्त होना पड़ा था। एमपीसीए के कुछ अन्य पदाधिकारी भी गुजरे महीनों में अपने ओहदे छोड़ चुके हैं। (भाषा)

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