क्या आपको यह जानकर ताज्जुब नहीं होगा कि पूरी दुनिया में अहिंसा के पुजारी रहे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी उसी खेल के दीवाने थे, जिसका दीवाना पूरा भारत है, जो धर्म की तरह इस खेल को मानता है। जी हां, ये बात बिलकुल सच है कि गांधीजी भी क्रिकेट के न केवल खिलाड़ी थे, बल्कि यह खेल उनकी पसंद में पहले नंबर पर था। 2 अक्टूबर 2019 के दिन महात्मा गांधी की 150वीं जयंती है, लिहाजा उनसे जुड़ी यादों को क्यों न फिर से ताजा किया जाए।
मशहूर लेखक कौशिक बंदोपाध्याय यदि Mahatma On the Pitch : Gandhi and Cricket in India नामक किताब नहीं लिखते तो दुनिया जान ही नहीं पाती कि कद-काठी में दुबला पतला यह इंसान क्रिकेट का भी बेपनाह शौक रखता था। सही मायने में उन्हें भी ठीक उसी तरह का क्रिकेट जुनून था, जैसा आज के युवाओं में होता है।
Mahatma On the Pitch : Gandhi and Cricket in India पुस्तक में गांधीजी के क्रिकेट प्रेम की झलक साफ दिखाई देती है। रतीलाल गेलाभाई मेहता गांधीजी के करीबी दोस्त हुआ करते थे। दोनों की हाईस्कूल तक शिक्षा एक साथ ही हुई। बचपन के सखा रतीलाल के मुताबिक भले ही मोहनदास करमचंद गांधी को स्कूली दिनों में व्यायाम में दिलचस्पी नहीं थी लेकिन क्रिकेट में वे अव्वल रहते थे। हम दोनों ने कई बार साथ में स्कूली क्रिकेट खेला। गांधीजी गेंदबाज और बल्लेबाज दोनों थे।
रतीलाल गेलाभाई मेहता ने कौशिक बंदोपाध्याय की किताब में एक किस्से का भी जिक्र किया, जो बेहद मजेदार होने के साथ ही गांधीजी के क्रिकेट पारखी होने का सबूत भी देता है। मेहता बताते हैं कि एक बार हम राजकोट सिटी और राजकोट सदर का क्रिकेट मैच देख रहे थे। यह मैच जब निर्णायक मोड़ पर आ गया था, तभी गांधीजी ने कहा कि देखना अब ये खिलाड़ी आउट होगा, और सचमुच वो आउट हो गया।
यूं तो पूरा देश जानता है कि देश की आजादी में गांधीजी का क्या योगदान रहा है, लेकिन अहिंसा के पुजारी का दूसरा भी रूप हो सकता है, इसका इल्म हरेक को नहीं है। वह भी उस खेल के बारे में, जिसके दीवाने वे खुद थे। गांधीजी को नहीं मालूम होगा कि आजादी के बाद जैसे-जैसे वक्त गुजरेगा, वैसे-वैसे क्रिकेट का खेल देश के बच्चे की जुबां पर आ जाएगा और इसके उन्माद में लाखों नहीं करोड़ों देशवासी डूबे नजर आएंगे।
आज भारतीय क्रिकेट संगठन को दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट संगठन होने का रुतबा प्राप्त है। यही नहीं, आईपीएल ने तो ऐसा मंच दे दिया, जहां दुनिया का हर व्यक्ति क्रिकेट खेलने का ख्वाब संजोता रहता है। यही वह मंच है, जहां से रातोरात खिलाड़ी न केवल सितारा बन जाता है बल्कि अपनी तकदीर को भी बदल डालता है।