'पिच पर दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाजों से ज्यादा तो हमारे लिए नेट्स में भारतीय गेंदबाज होते हैं'-केएल राहुल

Webdunia
शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021 (20:30 IST)
सेंचुरियन: भारतीय उपकप्तान लोकेश राहुल ने दक्षिण अफ्रीका से सेंचुरियन में पहला टेस्ट 113 रन से जीतने के बाद कहा कि नेट्स में मोहम्मद शमी, जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज का सामना करना टेस्ट मैच में विरोधी गेंदबाज़ों का सामना करने से कहीं ज़्यादा कठिन था।

भारत का तेज़ गेंदबाज़ी आक्रमण विदेश में मिली ​जीत में महत्वपूर्ण रहा है, जिसमें सेंचुरियन की यह जीत भी शामिल हैं, जहां पर मोहम्मद शमी ने 107 रन देते हुए मैच में कुल आठ विकेट हासिल किए। राहुल ने कहा, 'उन्हें नेट्स में खेलना ज़्यादा मुश्किल है, ख़ासकर मेरे लिए या बहुत सारे बल्लेबाज़ों के लिए जो नेट्स में बल्लेबाज़ी का उतना आनंद नहीं लेते हैं। इन लोगों ने हममें डर पैदा कर दिया है। जब हम नेट पर उनका सामना कर रहे होते हैं तो वे हमें टीम के साथी के रूप में बिल्कुल नहीं मानते हैं, वे बहुत प्रतिस्पर्धी गेंदबाज़ हैं और इसलिए हां, हम बहुत भाग्यशाली हैं कि हमारी गेंदबाज़ी में ऐसी गुणवत्ता है। देखिए तो 2-3 अन्य गेंदबाज़ बाहर बैठे हैं, जिन्होंने खुद को साबित किया है और जो शानदार तेज़ गेंदबाज़ हैं? इशांत शर्मा और उमेश यादव। हमारे पास बड़ी बेंच स्ट्रेंथ है।'

सेंचूरियन पिच के बारे में राहुल सहित अन्य खिलाड़ियों ने यह अंदाजा लगाया था कि यह पिच शुरुआत में धीमी रहेगी और बाद में अपनी असमतल उछाल के कारण मुसीबत खड़ी करेगी। इसे ध्यान में रखते हुए राहुल ने कहा कि भारत ने महत्वपूर्ण टॉस जीता था।

2018 और 2019 के दौरान रनों से जूझने के बाद लोकेश राहुल को टेस्ट टीम से बाहर कर दिया गया था। उस अवधि में 15 टेस्ट में उनका औसत 22.23 था, जिनमें अधिकतर विदेशी सरजमीं पर खेल गए थे। राहुल ने इस साल एक मज़बूत वापसी की और पांच टेस्ट में 461 रन बनाए। लॉर्ड्स और सेंचूरियन में शतकों सहित 46.10 का औसत, जिसने भारत की यादगार जीत की कहानी लिखी। उन्होंने इस परिवर्तन के लिए मानसिकता में बदलाव को श्रेय दिया है, विशेष रूप से उन्होंने गेंद को ऑफ़ स्टंप के बाहर छोड़ने का आनंद लेना सीख लिया है। यही एक ख़ास वजह है जिससे उनकी बल्लेबाज़ी में सुधार हुआ है।

भारत द्वारा सेंचूरियन में 113 रनों की जीत के बाद राहुल ने वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'यह कुछ ऐसा है जिसे करने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा है और यह टेस्ट क्रिकेट की कुंजी है। आपको ऑफ़ स्टंप के बाहर की गेंदों को छोड़ने का आनंद लेने की ज़रूरत है। मुझे पता है कि हम बहुत सारे वनडे और टी20 क्रिकेट खेलते हैं और पूरे मैदान में गेंद को मारना रोमांचक है, लेकिन यह एक ही समय में रोमांचकारी है। हालांकि, जब आप टेस्ट क्रिकेट में आते हैं तो आपको अनुशासित होना सीखना होगा। इंतज़ार करें और कभी-कभी इसका आनंद लें।'

भारतीय उपकप्तान ने कहा,''ग़लतियां तब होती हैं जब आप एक ही तरह की चीज़ें करने से ऊब जाते हैं, लेकिन मेरे लिए मैंने गेंदों को ऑफ़ स्टंप के बाहर छोड़ने का आनंद लेने की कोशिश की है, रक्षात्मक शॉट खेलने का आनंद लिया है, कई बार गेंदबाज़ों को थका देने का आनंद लिया है। टीम के लिए सलामी बल्लेबाज़ के तौर पर मुझसे यही उम्मीद की जाती है।''

उन्होंने कहा, ''इस साल, इंग्लैंड के बाद से जब से मैंने फिर से टेस्ट मैच खेलना शुरू किया है मैंने उन चीज़ों को करने का आनंद लेना शुरू कर दिया है। और हां, इस मैच में एक अच्छी पारी खेलना अच्छा रहा और मुझे वांडरर्स में अब खेलना है और दोबारा से यही कोशिश करनी है। वही काम फिर से करो और यह मेरे लिए रोमांचक है।''
राहुल के अब टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले छह देशों ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, भारत, साउथ अफ़्रीका, श्रीलंका और वेस्टइंडीज़ में शतक हैं। राहुल ने कहा कि सेंचुरियन में लगाया गया उनका शतक उनकी सबसे अच्छी पारियों में से एक है।

राहुल ने कहा, ''मुझे लगता है कि यहां की परिस्थितियों और विकेट को देखते हुए यह बहुत चुनौतीपूर्ण था। मुझे लगता है कि यह पारी मुझे हौसला देगी क्योंकि इस शतक को हासिल करने और अपनी टीम को जीत की स्थिति में लाने के लिए बहुत हिम्मत और बहुत सारे दृढ़ संकल्प और अनुशासन की ज़रूरत थी, मैं ऐसा करने में कामयाब रहा।''

राहुल ने बताया कि उनकी वापसी एक ऐसे समय पर हुई जब टीम इंडिया के लिए यह साल एक टेस्ट टीम के रूप में शानदार रहा। उन्होंने सिडनी में एक निराशाजनक ड्रॉ के साथ इसकी शुरुआत की, जिसके बाद ब्रिस्बेन में दूसरे स्तर के गेंदबाज़ी आक्रमण के साथ टेस्ट जीता। उन्होंने लॉर्ड्स, द ओवल और अब सेंचूरियन में टेस्ट जीत के साथ-साथ इंग्लैंड और न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ घरेलू-सीरीज़ भी जीती।

राहुल ने कहा, ''देखिए, मुझे लगता है कि यह टीम इंडिया के लिए एक सुपर-सुपर स्पेशल साल है और इस साल हमने जिस तरह की उपलब्धियां हासिल की हैं, वह वास्तव में ख़ास है और मुझे लगता है कि यह भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे महान वर्षों में से एक के रूप में जाना जाएगा, ख़ासकर टेस्ट क्रिकेट में। जिन जीत का आपने अभी उल्लेख किया है, उन्होंने हमें बहुत कड़ी मेहनत करने का हौसला और बहुत अनुशासन दिया है और हमने पिछले कुछ सालों से एक टीम के रूप में वास्तव में कड़ी मेहनत की है। हम धीरे-धीरे परिणाम देखना शुरू कर रहे हैं और हम 'वास्तव में बहुत खुश' हैं।''

उन्होंने कहा, ''मुझे लगता है कि यह हमारे लिए जीत के लिए वास्तव में महत्वपूर्ण टॉस था, ख़ासकर जब हमने देखा कि तीसरे और चौथे दिन पिच कैसे खेलना शुरू हुई। पहली पारी में बोर्ड पर एक अच्छा स्कोर करना हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण था, क्योंकि हम जानते थे कि पिच में दरारें खुल जाएंगी और जैसे-जैसे खेल आगे बढ़ेगा पिच पर रन बनाना मुश्किल होता जाएगा। ऐसे में हमारा लक्ष्य 350-360 के आसपास होना था और हमारे गेंदबाज़ों को वह करने का मौक़ा देना था जिसके लिए वह जाने जाते हैं। हम वाकई खुश हैं कि ऐसा कर सके।''(वार्ता)

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