IND vs ENG Test Squad : करुण नायर की कहानी सिर्फ एक क्रिकेटर की वापसी नहीं, बल्कि हौसले, संघर्ष और कभी हार न मानने वाले जज़्बे की मिसाल है। 2016 में जब उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई टेस्ट में तिहरा शतक जड़ा था, तो सबको लगा था कि भारत को एक नया स्टार मिल गया है। लेकिन किस्मत ने करवट बदली और वो लगातार टीम से बाहर होते गए, उस टेस्ट के बाद वे केवल 3 टेस्ट मैच ही खेल पाए। उन्हें दोबारा मौका नहीं मिला, और धीरे-धीरे वो चयनकर्ताओं की नज़रों से दूर हो गए। इतने सालों तक बाहर रहने के बाद भी करुण ने हार नहीं मानी, मैदान से रिश्ता नहीं तोड़ा, और लगातार मेहनत करते रहे।
8 साल बाद, जब शायद किसी ने उम्मीद भी नहीं की थी, तब उन्हें फिर से टेस्ट टीम में जगह मिली है। बीसीसीआई ने इंग्लैंड दौरे के लिए जब टेस्ट टीम का ऐलान किया, तो करुण का नाम सुनते ही उनके फैंस के चेहरे खिल उठे। शुभमन गिल को कप्तान बनाया गया है और टीम में नए जोश के साथ कुछ पुराने जज़्बे की भी वापसी हुई है, करुण नायर की शक्ल में।
10 दिसंबर 2022 को करुण ने सोशल मीडिया पर भावुक पोस्ट किया था – "Dear cricket, give me one more chance." (प्रिय क्रिकेट, मुझे एक और मौका दो) और शायद क्रिकेट ने उनकी पुकार सुन ली। अब ये मौका उनके हाथ में है। उन्होंने जो सालों तक इंतज़ार किया, जो दर्द सहा, अब उसे ताक़त बनाकर मैदान पर उतरना है। यह सिर्फ एक मौका नहीं है, बल्कि खुद को फिर से साबित करने का सुनहरा अवसर है उस खिलाड़ी के लिए, जिसने कभी भारत को 303 रनों की ऐतिहासिक पारी दी थी।
अब वक्त है कि करुण नायर फिर से अपने बल्ले से जवाब दें, और दिखा दें कि वो इस मंच के हमेशा से हक़दार थे।
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Dear Karun, Test cricket welcomes you back!
Years of toil, countless hours, unwavering belief, this moment defines it all.
The drive never fades, and its never too late. pic.twitter.com/eiJzkAyjTV
— Royal Challengers Bengaluru (@RCBTweets) May 24, 2025
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पिछले साल डोमेस्टिक क्रिकेट में दिया कमाल का प्रदर्शन
नायर ने पिछले सीजन में विदर्भ के लिए खेलते हुए 9 शतक जड़े थे। विजय हजारे ट्रॉफी में भी उनका प्रदर्शन ताबड़तोड़ रहा था। करुण ने 8 इनिंग में 389.50 की औसत से से 779 रन बनाए थे जिसमे 5 शतक और 1 अर्धशतक शामिल थे। वे सिर्फ 2 ही बार आउट हुए (112*, 44*, 163*, 111*, 112, 122*, 88* और 27) रणजी ट्रॉफी 2024-25 में उन्होंने 9 मैचों में 53.93 की औसत से 863 रन बनाए थे, जिसकी मदद से विदर्भ तीसरी बार चैंपियन बनने में सफल रहा।