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वर्ल्ड कप: कपिल की वो यादगार पारी

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, सोमवार, 12 जनवरी 2015 (18:23 IST)
वेबदुनिया डेस्क- 
 
वर्ल्ड कप 2015 में अब कम समय बचा है। आज से हम हर दिन आपके लिए लाएंगे वर्ल्ड कप क्रिकेट से जुड़ा यादगार लम्हा। आज पेश है भारत के महान ऑलराउंडर कपिल देव की वर्ल्डकप 1983 की दास्तान। 
 
वर्ल्ड कप 1983 में जिम्बॉब्वे के खिलाफ खेली गई कपिल देव की 175 रन की पारी को आज भी याद किया जाता है। इस पारी के बाद वे रातों-रात भारत के सुपर हीरो बन गए। 
 
लगातार दो विश्वकप में बुरी तरह से पिटने के बाद 1983 में भारतीय टीम की साख कोई बहुत बेहतर नहीं थी। 1983 के विश्वकप में उतरने के बाद भारतीय टीम ने एक मात्र मैच वेस्ट अफ्रीका के खिलाफ जीता था। भारत पिछले दो विश्वकप में बुरी तरह से असफल हुआ था और भारतीय टीम को विश्वकप की बहुत छोटी टीम के रूप में देखा जा रहा था।  
 
कपिल 1983 के विश्वकप में मात्र 24 साल के थे। विश्वकप के चार महीनें पहले पाकिस्तान के हाथों टेस्ट सीरीज हारने के बाद सुनील गावस्कर को भारी आलोचना का सामना करना पड़ा और कपिल देव को आनन-फानन में उनकी जगह कैप्टन बना दिया गया।
 
भारतीय टीम का कप्तान बनने के बाद उनके टीम के कुछ सदस्यों को छोड़कर बहुत कम ही लोग उन्हें कैप्टन के रूप में बढ़िया मान रहे थे। इतनी छोटी उम्र के कप्तान पर लोगों को कम भरोसा था लेकिन जिस प्रकार का धमाकेदार खेल कपिल ने दिखाया उसने लोगों को पूरे विश्वकप में खूब इंटरटेन किया।
 
जिम्बॉम्बे के खिलाफ मैच में विपरीत परिस्थितियों में कपिल ने बेहतरीन बल्लेबाजी की। भारत मैच में पहले बल्लेबाजी के लिए उतरा। जिम्बॉम्बे की धारदार गेंदबाजी के सामने भारतीय बल्लेबाज आत्मसमर्पण करते नजर आए और भारत की आधी टीम मात्र 17 रन के स्कोर पर पैवेलियन लौट गई।
 
भारत की ओर से ओपनिंग करने उतरे सुनील गावस्कर और के. श्रीकांत बिना खाता खोले ही पैवेलियन लौट गए। भारत का पहला विकेट सुनील गावस्कर के रूप में शून्य पर गिरा उनके बाद के बल्लेबाजों ने तू-चल मैं आता हूं कि तर्ज पर बल्लेबाजी करना जारी रखा। श्री कांत जब भारत का स्कोर 6 रन था चलते बने, इतने ही स्कोर पर मोहिंदर अमर नाथ भी आउट हो गए।
 
भारत के एक समय 9 पर 4 विकेट गिर गए। इसके बाद बल्लेबाजी के लिए उतरे यशपाल शर्मा ने एक चौका तो लगाया लेकिन उनमें आत्मविश्वास तनिक भी दिखाई नहीं दिया और वे भारत के पांचवें विकेट के रूप में 17 रन के स्कोर पर आउट हो गए। उस समय कपिल देव बल्लेबाजी के क्रम में बहुत नीचे आते थे। सांतवें नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरे कपिल देव ने जिम्बॉम्बे के गेंदबाजों की खूब खबर ली और मात्र 138 गेंदों पर 175 रन ठोंक डाले। कपिल ने सैयद किरमानी के साथ नौवें विकेट के लिए 100 से ऊपर की रिकॉर्ड अविजित भागेदारी की।  
 
मैच के 49वें ओवर में अपना शतक पूरा करने के बाद उन्होंने तेज गति से रन बनाना शुरू किए जिसकी बदौलत भारत ने जिम्बॉम्बे के खिलाफ निर्धारित 60 ओवरों में 266 रन का भारी भरकम स्कोर खड़ा कर दिया। भारत ने यह मैच 31 रनों से अपने नाम किया।         

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