भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच सीरीज एक रोमांचक मोड़ पर पहुंच चुकी है। पहला टेस्ट भारत शानदार तरीके से 113 रनों से जीता वहीं दूसरा टेस्ट मेजबान दक्षिण अफ्रीका 7 विकेट से जीता। अब सीरीज 1-1 से बराबरी पर है।
ऐसे में अब निगाहें केपटाउन में होने वाले तीसरे टेस्ट पर आ चुकी है। लेकिन केपटाउन में भारत कभी टेस्ट मैच नहीं जीत पाया है। तो फिर ऐसा कहने का क्या तुक बनता है कि भारत तीसरा टेस्ट जीतकर मेजबान दक्षिण अफ्रीका को परास्त कर देगा।
इसका एक कारण है। इस सीरीज में मेहमान और मेजबान ने अपने पहले मैच वहां जीते हैं। जहां वह पहले एक दूसरे को नहीं हरा पाए थे।
सेंचुरियन में भारत ने किया किला फतह
दक्षिण अफ्रीका भारत के खिलाफ खेले जाने वाले पहले टेस्ट से पहले 2014 से लेकर सेंचुरियन के सुपरस्पोर्ट पार्क में लगातार सात जीत दर्ज की थी। इसके अलावा भारत ने भी कभी सेंचुरियन में दक्षिण अफ्रीका को नहीं हराया था।
लेकिन भारत ने पहले टेस्ट में अपने गेंदबाजों की बदौलत 113 रनों की बढ़त अर्जित कर टीम को 1-0 की बढ़त दिलाई। भारत की यह सेंचुरियन में पहली और दक्षिण अफ्रीकी धरती पर टेस्ट मैचों में चौथी जीत थी।
इससे पहले सेंचुरियन के सुपरस्पोर्ट पार्क में भारत 2 टेस्ट हार चुकी थी। लेकिन साल 2021 खत्म होने से पहले भारतीय टीम ने उच्च श्रेणी की क्रिकेट खेलकर इस इतिहास को बदल दिया।
जॉहन्सबर्ग पर दक्षिण अफ्रीका ने दर्ज की पहली जीत
सेंचुरियन अगर भारत का था तो जॉहन्सबर्ग में इतिहास रचने की बारी दक्षिण अफ्रीका की थी। भारतीय टीम के खिलाफ खेलते हुए दक्षिण अफ्रीका ने 7 विकेट से जीत अर्जित की।
इससे पहले भारत यहां पर कोई भी मैच नहीं हारा था। साल 2018 जिसमें डीन एल्गर ने शानदार 86 रन बनाए थे उसे भी भारत 63 रनों से जीतने में कामयाब रहा था।
लेकिन दूसरे टेस्ट में एल्गर 96 रनों पर नाबाद रहे और सुनिश्चित किया कि इस बार उनकी टीम जीतकर लौटे। भारत ने वांडरर्स पर इससे पहले मैच नहीं गंवाया था।
इस हिसाब से केपटाउन होगा भारत का
अगर इन दोनों वाक्यों को देखा जाए तो फिर तीसरा टेस्ट भारत को जीतना चाहिए क्योंकि केपटाउन में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को कभी नहीं हराया है। सेंचुरियन की तरह ही यहां पर भारत 2 बार मेजबान टीम से हारा है।
केपटाउन में जीत की और भी कुछ वजहें है। केपटाउन की पिच स्पिन गेंदबाजों के लिए मददगार साबित हो सकती है। इस कारण रविचंद्रन अश्विन की भूमिका काफी अहम हो सकती है। खासकर टेस्ट के चौथे और पांचवे दिन जब पिच पर दरारें आने लगती है।
दूसरे टेस्ट में गर्दन की एंठन से टीम से बाहर बैठे विराट कोहली का तीसरे टेस्ट के लिए फिट होना लगभग तय है। एक बल्लेबाज के तौर पर भले ही वह कमाल ना दिखा पाए लेकिन एक कप्तान के तौर पर वह अपने गेंदबाजों से बेहतर प्रदर्शन निकलवाना जानते है। (वेबदुनिया डेस्क)