27 विकेट स्पिन के खिलाफ गंवाए भारत ने, किसी भी वनडे सीरीज में सबसे ज्यादा
भारत भविष्य में धीमी और टर्निंग पिचों के लिए अलग खिलाड़ियों का चयन कर सकता है: रोहित
श्रीलंका ने परिस्थितियों का पूरा लाभ उठाकर तीसरे और अंतिम एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में भारत को 110 रन से हराकर श्रृंखला जीती। यह पिछले 27 वर्षों में पहला अवसर है जबकि वह वनडे श्रृंखला में भारत को हराने में सफल रहा।भारतीय टीम तीसरे वनडे में 249 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए 138 रन पर आउट हो गई।
इसके अलावा यह पहली बार हुआ है कि भारत ने एक ही वनडे सीरीज में सर्वाधिक 27 विकेट स्पिन गेंदबाजों के खिलाफ खोए हैं।इस सीरीज में श्रीलंका के तेज गेंदबाज अविष्का फर्नेडो को 2 विकेट मिले और 1 रन आउट हुआ। टीम इंडिया तीनों ही मैचों में ऑलआउट हुई।
इससे पहले भारत ने 1996 में पाकिस्तान के खिलाफ स्पिन के खिलाफ 22 विकेट खोए थे। दिलचस्प बात यह है कि चौथी नंबर पर वह सीरीज है जब भारत आखिरी बार श्रीलंका से 1997 में वनडे सीरीज हारा था। इस सीरीज में श्रीलंका के स्पिन गेंदबाजों ने 18 विकेट लिए थे।
भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने कहा कि भारत जस की तस रणनीति अपनाकर भविष्य में धीमी और टर्निंग पिचों के लिए अलग खिलाड़ियों का चयन कर सकता है।
रोहित ने मैच के बाद संवाददाताओं से कहा,मुझे नहीं लगता कि हमारी तरफ से प्रयासों में कोई कमी थी। आपने देखा होगा कि कुछ खिलाड़ियों ने रिवर्स स्वीप और पैडल स्वीप खेले। ऐसा नहीं है कि हमने अपनी तरफ से कोई कोशिश नहीं की। इन बल्लेबाजों की इस तरह की प्रकृति नहीं है।
रोहित ने कहा,जब आप इस तरह की पिचों पर खेलते हैं तो इसको लेकर हमारा स्पष्ट दृष्टिकोण है कि हमें किस तरह से खेलना है और किस तरह से लय बनाए रखनी है। हम तीनों मैच में लक्ष्य हासिल नहीं कर पाए, यहां तक की पहले मैच में भी जो टाई रहा था।
उन्होंने कहा,हमें खिलाड़ियों को यह बताना होगा कि हम उनसे क्या चाहते हैं और अगर हमें परिस्थितियों के अनुसार खिलाड़ियों का चयन करना पड़े तो दुर्भाग्य से हम ऐसा कर सकते हैं। हम एक ऐसी टीम तैयार करने की कोशिश करेंगे जो सभी परिस्थितियों में अच्छा प्रदर्शन कर सके।
रोहित ने कहा कि बल्लेबाज उस तरह का साहसिक प्रदर्शन नहीं कर पाए जैसा की टीम उनसे चाहती थी। इसके अलावा चुनौती से निपटने के लिए खिलाड़ियों की व्यक्तिगत योजना भी नहीं थी।
उन्होंने कहा, जब मैं साहस की बात करता हूं तो इसका मतलब यहां नहीं है कि उन्होंने साहस नहीं दिखाया। आपको लगातार साहस दिखाने की जरूरत है। आपको चुनौतीपूर्ण पिचों पर निरंतर साहस से प्रदर्शन करना होगा और अलग-अलग तरह के शॉट खेलने का प्रयास करना होगा। इसके अलावा यह व्यक्तिगत रणनीति से भी जुड़ा हुआ है।
भारतीय कप्तान ने कहा,प्रत्येक खिलाड़ी को यह समझना होगा कि यह उसकी रणनीति है और किस तरह से उसको खेलना है। अगर परिस्थितियां आपकी रणनीति के अनुकूल हैं तो यह अच्छी बात है लेकिन अगर ऐसा नहीं है तो फिर आपके पास क्या विकल्प है। क्रीज पर उतरो और एक दो रन लेकर पारी को आगे बढ़ाओ। धीमी पिच पर ऐसा करना जरूरी होता है।