टीम इंडिया के पूर्व 'कैप्टन कूल' धोनी। आज भी उनके प्रशंसक माही के मैदान पर उतरने का इंतजार कर रहे हैं। 23 दिसंबर को धोनी के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 15 साल पूरे हो गए हैं। 23 दिसंबर 2004 को महेंद्र सिंह धोनी ने बतौर तूफानी विकेटकीपर बल्लेबाज भारतीय टीम में इंट्री की थी। तूफानी बल्लेबाजी के साथ ही धोनी की जुल्फों ने भी खूब चर्चाएं बटोरी थीं।
आईसीसी टूर्नामेंट वर्ल्ड टी-20, वनडे वर्ल्ड कप और चैंपियंस ट्रॉफी जैसे बड़े टूर्नामेंट भारत ने धोनी के नेतृत्व में ही जीते। क्रिकेट में ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल करने वाले धोनी अपने डेब्यू मैच को शायद कभी याद नहीं करना चाहेंगे। बांग्लादेश के खिलाफ पहले वनडे में भारत ने पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया था।
कप्तान सौरव गांगुली मैच की दूसरी ही गेंद पर बिना खाता खोले पैवेलियन जा चुके थे, लेकिन राहुल द्रविड़ (53) और मोहम्मद कैफ (80) के अर्द्धशतकों से भारत मजबूत स्कोर की तरफ बढ़ रहा था। 180 के स्कोर पर जैसे ही भारत का 5वां विकेट गिरा, 7वें नंबर बल्लेबाजी करने के लिए लंबे-लंबे बालों के साथ गगनचुंबी छक्कों के लिए जाने वाले महेंद्र सिंह धोनी मैदान में उतरे।
क्रिकेट प्रशंसकों से लेकर दिग्गजों तक ने इस बल्लेबाज के तूफानी अंदाज के बारे में घरेलू क्रिकेट में सुन रखा था। सभी धोनी को अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में धमाल मचाते हुए देखना चाहते थे, हालांकि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। मैच में धोनी के सामने कैफ दूसरे छोर पर जमे हुए थे और 71 रन बनाकर नाबाद थे। धोनी ने शॉट मारने के बाद रन लेने का प्रयास किया लेकिन दूसरे छोर पर कैफ खड़े रहे और धोनी रनआउट हो गए।
दरअसल, कैफ को देखे बिना धोनी दौड़ लगा देते हैं और कैफ उन्हें वापस भेज देते हैं जिसके चलते धोनी क्रीज की जगह रनआउट होकर वापस ड्रेसिंग रूम जाते नजर आते हैं। ऐसे में धोनी को रनआउट देखते ही सभी प्रशंसक मायूस हो जाते हैं। हर कोई उन्हें डेब्यू मैच में छक्कों की बरसात करते देखना चाहता था, लेकिन धोनी उस मैच को भूलना चाहते हैं।