मेलबोर्न:ऑस्ट्रेलिया के स्टार बल्लेबाज डेविड वार्नर ने स्वीकार किया है कि 2021 की शुरुआत में भारत के खिलाफ खेलने के लिए कमर की चोट से वापसी में जल्दबाजी करना उनकी गलती थी। उन्होंने कहा है कि एकदिवसीय श्रृंखला के दौरान कमर की चोट के बावजूद सिडनी और ब्रिसबेन में अंतिम दो टेस्ट के लिए खुद को उपलब्ध कराना ही उनका रिहैबिलिटेशन का समय लंबा होने का कारण था।
वार्नर ने सिडनी हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से कहा, 'मैंने भारत के खिलाफ अंतिम दो टेस्ट मैचों में खेलने का फैसला किया था। यह महसूस करते हुए कि मुझे वहां होना चाहिए और साथी खिलाड़ियों की मदद करनी चाहिए। अब पीछे मुड़कर देखता हूं तो लगता है कि शायद मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था, जहां तक चोट का सवाल है तो मुझे थोड़ा नुकसान हुआ।
अगर मैं अपने बारे में सोच रहा होता तो शायद मैं खेलने से इंकार कर देता, लेकिन मैंने टीम हित को प्राथमिकता दी और वही किया जो टीम के लिए सर्वश्रेष्ठ लगा। सोचा था कि टीम को अच्छी शुरुआत देना टीम के लिए सर्वश्रेष्ठ रहेगा। उनकी चोट काफी गंभीर थी और चोट के वक्त उन्हें जो तकलीफ हुई वो उन्होंने पहले कभी महसूस नहीं की थी। '
चोटिल वार्नर को खिलाने पर भी कंगारुओं को नहीं हुआ था फायदा
चोट के कारण भारत के खिलाफ पहले दो टेस्ट से बाहर रहे खतरनाक सलामी बल्लेबाज डेविड वॉर्नर सिडनी में खेले गए भारत के खिलाफ तीसरे टेस्ट और 15 जनवरी से ब्रिस्बेन में खेले गए चौथे टेस्ट के लिए ऑस्ट्रेलियाई टीम में शामिल कर लिए गए थे।
34 साल के बाएं हाथ के सलामी बल्लेबाज को भारत के खिलाफ तीन मैचों की एकदिवसीय श्रृंखला के दूसरे मैच में ग्राोइन इंजुरी हुई थी, जिसके बाद वह तीसरे एकदिवसीय और तीन मैचों की टी-20 सीरीज और पहले दोनों टेस्ट मैचों से बाहर रहे थे।
कोच जस्टिन लैंगर ने कहा था कि वार्नर अपनी जांघ की मांसपेशियों में खिंचाव से पूरी तरह से नहीं उबरे हैं, लेकिन फिर भी ऑस्ट्रेलिया ने उनको खिलाने का जोखिम लिया। ऑस्ट्रेलिया किसी भी कीमत पर अपनी बल्लेबाजी मजबूत करना चाहती थी लेकिन वार्नर के टीम में शामिल होने का भी उन्हें कोई फायदा नहीं मिला। (वार्ता)