मुंबई। क्रिकेट में टॉस का बॉस बनना काफी महत्वपूर्ण होता है लेकिन घरेलू क्रिकेट में टॉस को ही हटाने पर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड बीसीसीआई के यहां आयोजित कप्तानों और कोचों के सम्मेलन में विचार-विमर्श हुआ है।
बीसीसीआई ने 2018-19 के विशाल घरेलू सत्र पर विचार-विमर्श करने के लिए यहां कप्तानों और कोचों का सम्मेलन आयोजित किया। सत्र का आकलन करने के लिए हर साल यह सम्मेलन आयोजित किया जाता है जिसमें सुझाव आमंत्रित किए जाते हैं जिससे घरेलू क्रिकेट को और प्रतिस्पर्धी तथा जीवंत बनाया जा सके।
विभिन्न राज्य संघों ने एक दिन के इस सम्मेलन में हिस्सा लिया और अपने सुझाव रखे। पहली बार महिला कप्तानों और कोचों के लिए अलग से सम्मेलन आयोजित किया गया। सम्मेलन में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई और बोर्ड सम्मेलन में रखे गए सुझावों पर चर्चा करेगा।
सम्मेलन में इस बात पर चर्चा हुई कि घरेलू क्रिकेट से सिक्के की उछाल को समाप्त किया जाए और मेहमान टीम को पहले बल्लेबाजी या पहले गेंदबाजी करने का फैसला करने का मौका दिया जाए। इससे घरेलू टीम पिच का फायदा नहीं उठा पाएगी।
उल्लेखनीय है कि ऑस्ट्रेलिया में घरेलू मैचों में टॉस नहीं होता है और बल्ला उछालकर उसकी सतह गिराने के हिसाब से बल्लेबाजी या गेंदबाजी करने का फैसला किया जाता है।
सम्मेलन में इस बात को लेकर भी गंभीर चर्चा हुई कि जब घरेलू क्रिकेट में अब 37 टीमें शामिल हो गई हैं, तो दलीप ट्रॉफी और ईरानी ट्रॉफी को कराने का क्या औचित्य है? इसे लेकर भी विचार मांगे गए। रणजी ट्रॉफी में जिन मैचों का टीवी पर सीधा प्रसारण होता है, उन मैचों में अंपायर फैसला समीक्षा प्रणाली (डीआरएस) को उपलब्ध तकनीक के साथ लागू करने को लेकर भी चर्चा की गई।
तटस्थ क्यूरेटर्स का मुद्दा भी बैठक में छाया रहा जबकि इस बात पर गहन विचार-विमर्श हुआ कि रणजी ट्रॉफी के नॉकऑउट मुकाबलों को होम एंड अवे आधार पर ही कराया जाए या फिर तटस्थ स्थलों पर लौटा जाए।
अंपायरों को लेकर मैच रैफरी की आकलन रिपोर्ट को शुरू किए जाने का भी सुझाव सामने आया। इसके साथ ही यह भी सुझाव आया कि मैच रैफरी के प्रदर्शन पर अंपायर अपनी रिपोर्ट दें। मैच रैफरी को अतिरिक्त जिम्मेदारी दी जाए, जो अब प्रतिभा तलाशने का भी काम करे। सत्र के दौरान इस्तेमाल की जाने गेंद की गुणवत्ता को लेकर भी चर्चा हुई। इसके अलावा ओवर रेट के मुद्दे और धीमे ओवर रेट के कारणों तथा उनका हल निकालने पर भी चर्चा हुई।
सम्मेलन में बीसीसीआई के कार्यवाहक अध्यक्ष सीके खन्ना ने कहा कि भारत में क्रिकेट आज पूरी तरह से अपनी जड़ें फैला चुका है और यह एक शानदार सीजन था। यह हमारे लिए गर्व का क्षण है कि पूर्वोत्तर की टीमें भी बीसीसीआई के घरेलू टूर्नामेंट में भाग ले रही हैं। मुंबई और कर्नाटक जैसी टीमें जहां टूर्नामेंटों में हावी रही हैं, वहीं पिछले कुछ सीजन में विदर्भ नए चैंपियन के रूप में उभरे हैं जिससे पता चलता है कि हमारा घरेलू ढांचा कितना प्रतिस्पर्धात्मक हो चुका है।
घरेलू क्रिकेट को लेकर बोर्ड के कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी ने कहा कि घरेलू क्रिकेट की क्षमता भारतीय क्रिकेट की रीढ़ की हड्डी है। भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों की भूमिका बहुत अहम है। इस सम्मलेन की मुख्य वजह यह सुनिश्चित करना है कि खिलाड़ियों और कोचों का नजरिया सुना जाता है। हम उनके विचारों को महत्व देते हैं और उसके बारे में विमर्श करते हैं। मैं घरेलू खिलाड़ियों, सपोर्ट स्टाफ तथा राज्य संघों का भारतीय क्रिकेट में अहम भूमिका निभाने के लिए शुक्रिया करता हूं।
इस मौके पर सीईओ राहुल जौहरी ने कहा कि यह एक बेहद महत्वपूर्ण मंच है और मैं बेहद खुश हूं कि अब महिला क्रिकेट की समीक्षा करने के लिए हमारे पास अलग मंच है। बीसीसीआई से जुड़ने के बाद यह मेरा सबसे पसंदीदा सम्मेलन है और मुझे प्रसन्नता है कि पिछले कई वर्षों में हमने अच्छी चर्चाएं की हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि आगामी सीजन इससे भी बड़ा और बेहतर होगा तथा हम हर आयु वर्ग में इस खेल को बेहतर करने की लगातार कोशिश करेंगे।
बीसीसीआई क्रिकेट संचालन के महाप्रबंधक सबा करीम ने इस दौरान कहा कि यह एक शानदार सत्र रहा है। हमने एक चुनौतीपूर्ण सीजन को पूरा कर लिया हैं। इस सीजन में 2024 मुकाबले खेले गए जबकि पिछले सीजन में यह संख्या 1,108 थी। हमने मैचों की संख्या बढ़ने के बावजूद कुशलतापूर्वक इसे प्रबंधित किया। इसके बाद हम महिला क्रिकेट पर भी अपना काफी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। महिला क्रिकेट के लिए आगे आने वाले समय में काफी व्यस्त कार्यक्रम है।
इसके अलावा अखिल भारतीय सीनियर चयन समिति के अध्यक्ष एमएसके प्रसाद, अखिल भारतीय महिला चयन समिति की अध्यक्ष हेमलता काला और भारतीय महिला क्रिकेट टीम के कोच डब्ल्यू वी. रमन तथा बीसीसीआई के मुख्य क्यूरेटर दलजीत सिंह भी सम्मेलन में शामिल हुए और इस दौरान उन्होंने भी अपने विचार साझा किए। (वार्ता)