चंडीगढ़। चंडीगढ़ क्रिकेट को करीब 4 दशक बाद आखिरकार भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड बीसीसीआई से मान्यता मिल गई है, जिसके बाद केंद्र शासित प्रदेश के खिलाड़ी भी उसके टूर्नामेंटों में हिस्सा ले सकेंगे।
केंद्र शासित क्रिकेट संघ (यूटीसीए) के अध्यक्ष संजय टंडन ने बताया कि बीसीसीआई की ओर से चंडीगढ़ क्रिकेट को मान्यता प्रदान कर दी गई है। उन्होंने कहा, बीसीसीआई की बैठक में चंडीगढ़ क्रिकेट को मान्यता देने पर सहमति जता दी गई है। मुझे बीसीसीआई की ओर से इसकी जानकारी दी गई है कि चंडीगढ़ को अंतत: बोर्ड में क्रिकेट दर्जा प्राप्त राज्य के तौर पर शामिल कर लिया गया है।
यूटीसीए को वर्ष 1982 में पंजीकृत किया गया था और कई वर्षों के बाद जाकर उसे मान्यता दे दी गई है। बीसीसीआई ने हालांकि इससे पहले चंडीगढ़ क्रिकेट संघ (पंजाब) और चंडीगढ़ क्रिकेट संघ (हरियाणा) को विलय कर एक संस्था बनाने के लिए कहा था। सीसीए पंजाब ने हालांकि इसकी सहमति जताई थी लेकिन हरियाणा संस्था ने इससे इंकार कर दिया था।
बीसीसीआई के इस फैसले के बाद अब चंडीगढ़ के क्रिकेटर बीसीसीआई के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंटों में हिस्सा ले सकेंगे, जबकि पहले उन्हें पंजाब या हरियाणा की ओर से खेलना पड़ता था। इस फैसले का सबसे बड़ा असर यह होगा कि बीसीसीआई के घरेलू टूर्नामेंटों में चंडीगढ़ अपनी रणजी टीम उतार सकेगा। चंडीगढ़ से पहले केंद्र शासित प्रदेशों में केवल दिल्ली को ही बीसीसीआई टूर्नामेंटों में खेलने की मान्यता मिली है।