नई दिल्ली। बाएं हाथ के तेज गेंदबाज आशीष नेहरा वो गौरव हासिल करने जा रहे हैं जो वीरेंद्र सहवाग, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण जैसे दिग्गज हासिल नहीं कर पाए। नेहरा अपने फैसले के बारे में कोच रवि शास्त्री और कप्तान विराट कोहली को बता चुके हैं।
दिल्ली के 38 वर्षीय तेज गेंदबाज अपने घरेलू फ़िरोज़शाह कोटला मैदान में आगामी एक नवम्बर को न्यूजीलैंड के खिलाफ टी-20 मैच के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह देंगे। नेहरा दुनिया के उन चुनिंदा सक्रिय क्रिकेटरों में से एक हैं, जिन्होंने 1990 के दशक में अपना अंतरराष्ट्रीय करियर शुरू किया था।
वे इसके साथ ही घरेलू क्रिकेट और इंडियन प्रीमियर लीग को भी अलविदा कह सकते हैं। इंडियन प्रीमियर लीग ने नेहरा की 2016 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी में प्रमुख भूमिका निभाई थी।
नेहरा के लिए एक नवम्बर को उनके जीवन का सबसे यादगार लम्हा रहेगा जब वे अपने घरेलू मैदान से अपने टीम साथियों के बीच संन्यास लेंगे। मैदान से साथी खिलाड़ियों के बीच संन्यास लेने की उपलब्धि सहवाग, द्रविड़ और लक्ष्मण जैसे दिग्गज क्रिकेटर भी हासिल नहीं कर पाए थे।
नेहरा ने कहा, यह मेरा खुद का निर्णय है। दिल्ली में खेले जाने वाला पहला मैच मेरे करियर का अंतिम अंतरराष्ट्रीय मैच होगा। अपने घर में संन्यास लेने से बड़ी कोई चीज नहीं है।
38 वर्षीय इस खिलाड़ी ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद आईपीएल में भी नहीं खेलेंगे। उन्होंने कहा, अगर मैंने कुछ निर्णय ले लिया है, तो उस पर फिर से सोचने का सवाल ही नहीं बनता। अगर मैं रिटायर हो रहा हूं, तो आईपीएल भी नहीं खेलूंगा। नेहरा अपने फैसले के बारे में कोच रवि शास्त्री और कप्तान विराट कोहली को बता चुके हैं।
नेहरा ने 1999 में श्रीलंका के खिलाफ अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की थी। 2003 में भारत को वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंचाने में भी नेहरा की अहम भूमिका थी। उन्होंने उस विश्व कप में इंग्लैंड के खिलाफ घातक गेंदबाजी करते हुए छह विकेट झटके थे।
बाएं हाथ के तेज गेंदबाज नेहरा अपने करियर में अक्सर चोटों से ही जूझते रहे। उन्होंने अपना अंतिम अंतरराष्ट्रीय मैच इस साल फरवरी में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था। वे इस समय ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत की टी-20 टीम में शामिल हैं हालांकि उन्हें सीरीज के रांची और गुवाहाटी में खेले गए पहले दो मैचों में खेलने का मौका नहीं मिल पाया। सीरीज का तीसरा और आखिरी मैच शुक्रवार को हैदराबाद में होना है।
नेहरा की इस घोषणा के बाद उनके 18 साल के अंतरराष्ट्रीय करियर का अंत हो जाएगा। अपने करियर के दौरान नेहरा को 12 बार सर्जरी और अन्य झटकों से गुजरना पड़ा लेकिन वे हर बार एक विजेता की तरह उठ खड़े हुए और उन्होंने मैदान में वापसी की। नेहरा अक्सर मजाक में कहते हैं कि चोटें उनके शरीर पर नहीं हैं बल्कि उनका शरीर कहीं चोटों के बीच फंस गया है।
दिल्ली के नेहरा का करियर काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है। चोटों के कारण वह कभी टीम में अपनी जगह पक्की नहीं रख पाए। नेहरा ने साल 1999 में अपना टेस्ट पदार्पण किया था जिसके बाद से अब तक वे 17 टेस्ट, 120 वनडे और 26 टी-20 मुकाबले खेल चुके हैं।
नेहरा छह भारतीय कप्तानों के नेतृत्व में खेल चुके हैं। वे मोहम्मद अजहरुद्दीन, सौरभ गांगुली, राहुल द्रविड़, अनिल कुंबले, महेंद्र सिंह धोनी और विराट कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया में खेले हैं। उन्होंने टेस्ट में 44, वनडे में 157 और टी-20 में 34 विकेट लिए हैं।
वे 2011 के विश्व कप में भारत की जीत के साथ भी रहे थे और 2003 में विश्वकप फाइनल भी खेल चुके हैं। इसी विश्व कप में इंग्लैंड के खिलाफ नेहरा ने अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था और इस मैच में उन्होंने 23 रन देकर 6 खिलाड़ियों को आउट किया था।
उनका टेस्ट करियर 2004 में ही पाकिस्तान के खिलाफ थम गया था। उसके बाद वनडे टीम में उन्होंने वापसी की, लेकिन 2011 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल मुकाबले के बाद उन्होंने एक भी वनडे नहीं खेला। नेहरा ने चोट के बाद आईपीएल में अच्छा प्रदर्शन कर अंतरराष्ट्रीय टी-20 में वापसी की। उसके बाद वे भारतीय टीम के लिए टी-20 क्रिकेट में बने हुए हैं लेकिन एक नवम्बर को उनका यह सफर भी थम जाएगा। (वार्ता)