उल्लेखनीय है कि धोनी ने जुलाई में इंग्लैंड में खेले गए वर्ल्ड कप के बाद से कोई मैच नहीं खेला है। वे विश्व कप के बाद वेस्टइंडीज दौरे पर भी नहीं गए थे। यही नहीं, दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ घरेलू सीरीज से भी उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया था। न ही वह बांग्लादेश और श्रीलंका टी-20 मैचों में टीम इंडिया का हिस्सा रहे। अब ऑस्ट्रेलिया वनडे सीरीज में भी उन्हें नजर अंदाज किया जा चुका है।
आखिर चयनकर्ताओं ने माही से दूरी क्यों बना रखी है इसके 3 कारण नजर आ रहे हैं।
1 युवाओं पर नजर
विश्वकप 2019 खत्म होते साथ ही चयनकर्ताओँ ने कहा था कि वह ऋषभ पंत को और मौके देना चाहते हैं। वर्ल्ड कप 2019 तक धोनी को लेकर उनके अलग प्लान थे और अब विश्व कप के बाद वह चाहते हैं कि पंत जैसे युवा खिलाड़ियों को मौका मिले। पंत के खराब फॉर्म के बाद भी वह वापस धोनी पर नहीं गए ऐसे में संजू सैमसन को मौका मिला।
2 धोनी की धीमी होती बल्लेबाजी
धोनी की स्ट्राइक रेट विश्वकप 19 में ही सवालों के घेरे में रही। साउथैम्प्टन में अफगानिस्तान के खिलाफ मैच में धोनी ने धीमी पारी खेली थी और 52 गेंदों में 28 रन बनाए थे जिसके बाद उनकी काफी आलोचना की गई थी। इसके बाद इंग्लैंड और फिर सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ उन्होंने धीमी बल्लेबाजी की इस कारण भारत 240 का लक्ष्य पाने में भी विफल रही । ऐसे में वह बोर्ड के टी-20 विश्वकप के प्लान में फिट नहीं बैठते।
3. संन्यास पर धोनी का अंतहीन सस्पेंस
38 साल के धोनी ने अभी तक यह भी स्पष्ट नहीं किया है कि वे संन्यास कब लेंगे। धोनी ने आज तक यह कभी नहीं कहा कि वे खेलेंगे और यह भी नहीं कहा कि वे नहीं खेलेंगे। धोनी के संन्यास लेने की खबरें भी आए दिन मीडिया में उड़ती रहती हैं, जिन पर उन्होंने कभी ध्यान नहीं दिया। न ही वह घरेलू क्रिकेट खेल रहे हैं ऐसे में चयनकर्ताओं के पास सिर्फ युवाओं का विकल्प बचता है जिसे वह समय समय पर आजमा रहे हैं।