वैसे तो मार्च के महीने में भारत और पाकिस्तान साल 2003 के विश्वकप में भी भिड़ चुके थे लेकिन 30 मार्च साल 2011 को भारत और पाकिस्तान क्रिकेट का वनडे क्रिकेट में सबसे बड़ा मुकाबला था क्योंकि पहली बार दोनों टीमें सेमीफाइनल में खेल रही थी।
दोनों ही टीमों ने अब तक विश्वकप में बेहतरीन खेल दिखाया था। महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई में भारतीय टीम महज दक्षिण अफ्रीका से हारी थी और क्वार्टरफाइनल में उसने ऑस्ट्रेलिया को 5 विकेट से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया था।
वहीं पाकिस्तान ने भी शाहिद अफरीदी की कप्तानी में सिर्फ न्यूजीलैंड के सामने ही हार का स्वाद चखा था और क्वार्टरफाइनल में वेस्टइंडीज को आसानी से 10 विकेट से हराकर सेमीफाइनल की सीट पक्की की थी।
इस महामुकाबले से पहले देश में गजब का माहौल बन गया था। सड़के सूनी थी और ऐसा लग रहा था जैसे कि भारत आज बंद है। क्रिकेट कूटनीति का गवाह बना यह मैच दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों और कई दिग्गज हस्तियों ने भी देखा।
वीरेंद्र सहवाग ने उमर की करी बत्ती गुल
पीसीए स्टेडियम में टॉस जीतकर भारत ने बल्लेबाजी चुनी। सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने टूर्नामेंट में फिर से चौका जड़कर खाता खोला। उनके निशाने पर उमर गुल थे जिनके खिलाफ उन्होंने 19 गेंद पर आठ चौके जमाकर पाकिस्तानी आक्रमण को तार तार कर दिया था। उन्होंने गुल के दूसरे ओवर में पाँच चौके जड़कर स्ट्रोक-प्ले का बेमिसाल नजारा पेश किया था।
लेकिन बाएं हाथ के तेज गेंदबाज वाहब रियाज के पहले ओवर में ही मिडिल और लेग स्टंप पर पिच की गई गेंद उन्हें पगबाधा कर गई और रेफरल भी उनके खिलाफ गया था।
सचिन को मिले 6 जीवनदान, छूटे 4 कैच
सचिन तेंडुलकर का भाग्य ने पूरा साथ दिया। उन्होंने अपनी कलात्मकता और प्लेसमेंट का अच्छा नजारा पेश किया लेकिन इस बीच छह बार वह पैवेलियन जाने से बचे। तेंडुलकर जब 23 रन पर थे तो अंपायर इयान गाउल्ड ने अजमल की अपील पर उन्हें पगबाधा दे दिया था। गेंद लाइन में थी लेकिन रीप्ले से लग रहा था वह लेग स्टंप छोड़ रही थी। गाउल्ड को फैसला बदलना पड़ा था। अगली गेंद पर स्टंपिंग की अपील पर तेंडुलकर को संदेह का फायदा मिला था।
मास्टर ब्लास्टर को इसके बाद 27 रन पर मिस्बाह, 45 रन पर यूनिस खान और 70 रन पर कामरान अकमल ने जीवनदान दिया। तीनों अवसरों पर दुर्भाग्यशाली गेंदबाज अफरीदी रहे। तेंडुलकर जब 81 रन पर थे तब मोहम्मद हफीज की गेंद पर उमर अकमल ने उनका कैच टपकाया था।
वाहब रियाज ने चटकाए 5 विकेट
पिछले लीग मैच में रावलपिंडी एक्सप्रेस शोएब अख्तर न्यूजीलैंड के खिलाफ अंतिम ओवरों में बहुत महंगे साबित हुए थे इस कारण शाहिद अफरीदी ने कप्तान के तौर पर अपने जीवन का सबसे बड़ा जुआ खेला और उनकी जगह वाहब रियाज को मौका दिया जो सही साबित हुआ।
मैच के 26वें ओवर में पासा पलटा। रियाज ने तब विराट कोहली (9 रन) और युवराज (0 रन) को लगातार गेंद पर आउट किया। तालियों की गूँज के साथ क्रीज पर कदम रखने वाले युवराज थोड़ी सी स्विंग लेती नीची रहती फुलटास पर बोल्ड हुए।दर्शकों का दिल टूट गया। उनकी धड़कने बढ़ गई थी।
धोनी ने रियाज की हैट्रिक नहीं बनने दी, लेकिन भारतीय टीम दबाव में आ चुकी थी।धोनी को भी जीवनदान मिला लेकिन वह इसका फायदा नहीं उठा पाए। वीरेंद्र सहवाग की तरह भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी पगबाधा आउट हो गए थे। रेफरल भी धोनी को नहीं बचा पाया।वाहब रियाज ने जहीर खान को आउट कर इस मैच में अपना पांचवा विकेट चटकाया।
अच्छी शुरुआत के बाद पाक बल्लेबाजी हुई फ्लॉप
261 रनों का पीछा करने उतरी पाकिस्तानी टीम के सलामी बल्लेबाज कामरान अकमल और मोहम्मद हफीज ने अच्छी शुरुआत दी। दोनों ही आराम से चौके बटोर रहे थे ऐसा लग रहा था कि भारत को जल्द विकेट चाहिए नहीं तो बहुत देर हो जाएगी।
तभी सटीक फील्ड प्लान के तहत जहीर खान की गेंद पर कामरान गच्चा खा गए और युवी को कैच थमा बैठे। इसके बाद मुनफ पटेल की गेंद पर मोहम्मद हफीज भी आउट हो गए। मध्यक्रम तो युवराज की धीमी गेंदो पर ही सिमट गया।
अपने घरेलू दर्शकों के सामने युवराज ने पहले असद शाफिक (30) का मिडिल स्टंप उखाड़ा जो सीधी गेंद को कट करना चाहते थे। अगले ओवर में उन्होंने अनुभवी यूनिस खान (13) को लाफ्टेड कवर ड्राइव के लिए ललचाकर कैच कराया।
उमर अकमल (29 रन) ने युवराज के लगातार ओवरों में एक-एक छक्का जड़कर उनकी लय बिगाड़ने और रन रेट बढ़ाने की कोशिश की लेकिन धोनी की चतुराई भरी कप्तानी की तारीफ करनी होगी। उन्होंने तब हरभजन को गेंद सौंपी जिनकी आर्म बाल जैसी सीधी गेंद पर उमर बोल्ड हो गए।
पाकिस्तान की उम्मीद कप्तान शाहिद अफरीदी पर टिकी थी लेकिन हरभजन की फुलटॉस हवा में लहराकर जैसे ही वह पैवेलियन लौटे भारतीय जीत औपचारिकता रह गई थी।
भारतीय गेंदबाजों ने बेहद अनुशासित खेल दिखाया और नियमित अंतराल में विकेट लेकर पाकिस्तान को बड़ी साझेदारी नहीं निभाने दी। मिसबाह उल हक ने 76 गेंद पर 56 रन बनाए पर पाकिस्तान 49. 5 ओवर में 231 रन ही बना पाया।
भारत ने पाकिस्तान को विश्वकप 2011 के सेमीफाइनल में 29 रन से हराकर विश्वकप फाइनल में जगह बनाई। सचिन को 85 रनों का पुरस्कार 'मैन ऑफ द मैच' के रूप में मिला। इस यादगार मैच की कुछ क्लिंपिंग्स आईसीसी ने अपने ट्विटर हैंडल पर भी शेयर की।