मुंबई। राज्यों की ओर से बाजार से जुटाए जाने वाले कर्ज की लागत अब कम होने लगी है। राज्य अब बड़ी राशि के लिए नहीं उतर रहे हैं और पहले दिए गए सकेतों की तुलना में कम कर्ज उठा रहे हैं। सोमवार को राज्य सरकारों की प्रतिभूतियों की नीलामी में औसत भारित ब्याज दर 0.18 अंक घटकर 6.74 प्रतिशत रह गई। पिछले सप्ताह नीलामी 6.92 प्रतिशत के स्तर पर हुई थी।
रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री आदिति नायर द्वारा किए गए विश्लेषण के अनुसार, सोमवार के स्तर पर यदि देखा जाए तो सरकारी प्रतिभूतियों (जी सेक) और राज्य विकास रिण के बीच ब्याज दर का अंतर 77 पैसे है जो ऊंचा बना हुआ है। राज्यों के लिए जहां औसत दर 6.74 प्रतिशत रही जबकि केंद्र सरकार को 10 साल के बॉंड पर पर कर्ज 5.97 प्रतिशत वार्षिक पर मिला।
सोमवार को हुई प्रतिभूति नीलामी में 6 राज्यों ने 11,500 करोड़ रुपए बाजार से जुटाए जबकि ऐसा संकेत था कि राज्य सरकारें 14,600 करोड़ रुपए बाजार से उठा सकतीं हैं। जुटाई गई राशि एक साल पहले के मुकाबले 37 प्रतिशत कम है जबकि इस सप्ताह के लिए जो संकेत दिया गया था उसके मुकाबले यह 21.2 प्रतिशत कम रही है। इस वित्त वर्ष में अब तक हुए 8 साप्ताहिक नीलामियों में से जो सांकेतिक राशि बताई गई थी उसके मुकाबले वास्तविक निर्गम कम रहा है।
नायर ने कहा कि इस दौरान कुल मिलाकर 59,700 करोड़ रुपए की प्रतिभूतियां जारी की गईं जबकि सालाना आधार पर इस अवधि के लिए 1,07,300 करोड़ रुपए का संकेत दिया गया था। सोमवार को हुई नीलामी में कर्ज उठाव में भारी कमी आई। इस दौरान गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, तेलंगाना, उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल की सरकारें इस संकेत के बावजूद की वे 9,600 करोड़ रुपए जुटाने की योजना बना रही हैं, बाजार में उतरी ही नहीं।
वहीं बिहार केरल, सिक्किम ने मिलकर 4,000 करोड़ रुपए उठाए वहीं महाराष्ट्र, राजस्थान और तमिलनाडु ने मिलकर 2,500 करोड़ रुपए कर्ज उठाया। इसमें औसत कर्ज अवधि एक सप्ताह पहले के 19 साल से घटकर 13 साल की रही और औसत भारित बयाज दर भी राज्यों के लिए 6.92 प्रतिशत से घटकर 6.74 प्रतिशत रह गई। (भाषा)