मुंबई। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने गुरुवार को कहा कि लघु एवं मझोले आकार के आरईआईटी (रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट) को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है और उद्योग जगत के लोग ऐसी इकाइयों पर नियमन के लिए आगे आए हैं।
बाजार नियामक सेबी ने हाल ही में लघु व मझोले रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (एसएम आरईआईटी) के लिए विनियमन लागू किए हैं जिनका मकसद रियल एस्टेट परिसंपत्तियों के आंशिक स्वामित्व में निवेशकों की रुचि को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाना है। 'ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2024' में बुच ने अनुपालन व नियामक की भूमिका के बारे में बात की और कहा कि उद्योग जगत के लोग छोटे व मझोले आरईआईटी पर विनियमन के लिए आगे आए हैं।
हालांकि बाजार नियामक ने कहा था कि सेबी (आरईआईटी) विनियम 2014 में समय-समय पर संशोधन किया गया है। इसके अलावा हिंडनबर्ग ने भी बुच तथा निजी इक्विटी प्रमुख ब्लैकस्टोन से जुड़े संभावित हितों के टकराव के बारे में सवाल उठाए थे। उनके पति धवल बुच ब्लैकस्टोन के वरिष्ठ सलाहकार हैं। इस महीने की शुरुआत में हिंडनबर्ग ने अपनी दूसरी रिपोर्ट पेश की थी। इसके बाद बुच पहली बार सार्वजनिक रूप से नजर आई हैं।
हिंडनबर्ग ने रिपोर्ट में कहा था कि बाजार नियामक सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धबल बुच ने बरमूडा तथा मॉरीशस में अस्पष्ट विदेशी कोषों में अघोषित निवेश किया था। उसने कहा कि ये वही कोष हैं जिनका कथित तौर पर विनोद अदाणी ने पैसों की हेराफेरी करने तथा समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया था। विनोद अदाणी, अदाणी समूह के चेयरपर्सन गौतम अदाणी के बड़े भाई हैं।
बुच ने कहा कि सेबी का अंतिम उद्देश्य एक ऐसा परिदृश्य बनाना है, जहां अनुपालन बाजार सहभागियों के लिए सांस लेने जितना सहज हो। वायदा एवं विकल्प (एफएंडओ) व्यापार विनियमन पर सेबी के चर्चा पत्र पर बुच ने कहा कि प्रस्तावों पर हितधारकों से 6,000 टिप्पणियां प्राप्त हुई हैं। सेबी ने जुलाई में अपने परामर्श पत्र में 7 उपायों के प्रस्ताव दिए थे और कहा था कि इन उपायों का उद्देश्य निवेशकों की सुरक्षा बढ़ाना तथा 'डेरिवेटिव' बाजारों में बाजार स्थिरता को बढ़ावा देना है।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta