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हिंडनबर्ग के खुलासे में क्यों है सेबी चेयरपर्सन माधवी बुच का नाम, क्या होगा शेयर बाजार पर असर?

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नृपेंद्र गुप्ता

, रविवार, 11 अगस्त 2024 (15:05 IST)
Hindenburg case : अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग के अडाणी ग्रुप और सेबी की चेयरपर्सन माधवी बुच पर किए गए नए खुलासे से भारत में हड़कंप मच गया। सेबी प्रमुख के साथ ही अडाणी ग्रुप ने भी हिंडनबर्ग के आरोपों का खंडन किया है। हिंडनबर्ग और अडाणी की अदावत तो महीनों पुरानी है लेकिन सवाल यह है कि इसमें माधवी बुच कैसे लपेटे में आ गईं। सवाल यह भी है कि सोमवार को जब बाजार खुलेगा तो शेयर बाजार पर इसका क्या असर होगा? ALSO READ: हिंडनबर्ग के आरोपों पर सेबी प्रमुख माधवी बुच का जवाब, जानिए क्या कहा?
 
शेयर बाजार विशेषज्ञ नितिन भंडारी ने कहा कि हिंडनबर्ग शॉट सेलर है वह रिसर्च करता है और शॉर्ट सेलिंग के माध्यम से पैसा कमाता है। उसने अडाणी के साथ भी ऐसा ही किया। अडाणी इंटरप्राइजेस का शेयर 150 रुपए का था इसकी कीमत बढ़ते बढ़ते 4000 तक पहुंच गई। हिंडनबर्ग ने लाभ कमाने के उद्देश्य से उसके खिलाफ रिपोर्ट पेश की और नकारात्मक माहौल बनाया। अडाणी इंटरप्राइजेस का शेयर गिरकर 1500 तक आ गया। मामले में कुछ नहीं निकला। सेबी ने उसे क्लीन चिट दे दी। बहरहाल अडाणी ग्रुप को इस झटके से उबरने में साल भर लग गया।
 
क्यों आई गिरावट : भंडारी ने बताया कि हिंडनबर्ग के सेबी प्रमुख को अडाणी मामले में घसीटने के पीछे भी कई कारण हो सकते हैं। सेबी रिटेल निवेशकों की सुरक्षा के लिए काफी काम कर रहा है। वह नए नियम बना रहा है ताकि छोटे निवेशक F&O बाजार से दूर रहे। सेबी के इस कदम से बाजार की बड़ी मछलियां नाराज है। उनका मानना है कि अगर रिटेल निवेशक बाजार से दूर हुए तो इसका सीधा असर उन पर पड़ेगा। बहरहाल सेबी प्रमुख पर लगे आरोपों के बाद बाजार नियामक संस्था का ध्यान कुछ समय के लिए इन सबसे हट जाएगा।
 
उन्होंने कहा कि सेबी ने जुलाई में अमेरिकी ‘शॉर्ट-सेलर’ एवं निवेश शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च को अडाणी समूह के शेयरों पर दांव लगाने में उल्लंघन को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया था। हिंडनबर्ग इससे भी नाराज था। बदले की भावना से कार्रवाई करते हुए उसने सेबी प्रमुख को मामले में घसीट लिया। ALSO READ: संजय सिंह बोले, सरकार को थी हिंडनबर्ग खुलासे की भनक, 3 दिन पहले समाप्त किया संसद सत्र
 
FII उठा सकते हैं अवसर का फायदा : भंडारी ने कहा कि पिछले 1 साल से FII भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकाल रहे हैं। वे अब एक बार फिर बाजार में निवेश करना चाहते हैं। इस रिपोर्ट से निवेशकों में घबराहट बढ़ेगी और बाजार में गिरावट आएगी। इस अवसर को एफआईआई भुनाएंगे और एक बार फिर बाजार में एंट्री करेंगे।

शेयर बाजार पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा : शेयर बाजार विशेषज्ञ सुयश राठौर का मानना है कि हिंडनबर्ग के खुलासे का शेयर बाजार पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा। ब्लैकस्टोन, अडाणी, 361 वेल्थ समेत सभी कंपनियों ने मामले में अपना स्पष्टिकरण दे दिया है। उन्होंने कहा कि सेबी प्रमुख ने सारी बातें क्लियर कर दी है। उन्होंने कहा कि थोड़ी वोलैटिलिटी रहेगी। बाजार जल्द ही इससे उबर जाएगा। राठौर का मानना है कि इस मामले से हिंडनबर्ग की छबि पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा।   
 
न्यूज बेस गिरावट : शेयर बाजार विशेषज्ञ योगेश बागौरा ने बताया कि सेबी की चेयरपर्सन के साथ ही सरकार पर भी अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधा है। बाजार इस आरोप को नकारात्मक रूप से ले सकता है। अडाणी के शेयर एक बार फिर गिरावट आ सकती है। इससे बाजार के गिरने की आशंका है। सरकार द्वारा इस मामले में जांच की जा सकती है। न्यूज बेस गिरावट है और ज्यादा समय तक बाजार पर इसका असर नहीं दिखेगा। ALSO READ: Hindenburg की नई रिपोर्ट, SEBI चेयरमैन और अदाणी ग्रुप के बीच बताया कनेक्शन
 
क्या है हिंडनबर्ग का नया खुलासा : हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया है कि सेबी प्रमुख बुच और उनके पति के पास अडाणी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि सेबी ने अडाणी के मॉरीशस और ऑफशोर शेल संस्थाओं के अघोषित जाल की जांच में आश्चर्यजनक रूप से रुचि नहीं दिखाई है।
 
अडाणी समूह के चेयरमैन गौतम अडाणी के बड़े भाई विनोद अडाणी अस्पष्ट ऑफशोर बरमूडा और मॉरीशस फंडों को नियंत्रित करते थे। हिंडनबर्ग का आरोप है कि इन फंडों का इस्तेमाल धन की हेराफेरी करने और समूह के शेयरों की कीमत बढ़ाने के लिए किया गया था।
 
क्या होता है ऑफशोर फंड : ऐसे फंड जो विदेशी बाजारों में निवेश करते हैं, उन्हें ऑफशोर फंड कहते हैं। इन्हें विदेशी या अंतरराष्ट्रीय फंड भी कहते हैं। ऑफशोर निवेश का मतलब है कि कोई भी निवेश गतिविधि किसी दूसरे देश, स्थान या अधिकार क्षेत्र में होती है।
 
किसे हुआ सबसे ज्यादा नुकसान : अडाणी मामले में सबसे ज्यादा नुकसान रिटेल निवेशकों का ही हुआ। हिंडनबर्ग के खुलासे से पहले देश में सबकी जुबान पर अडाणी समूह था। कंपनी के शेयर तेजी से बढ़ रहे थे ऐसे में रिटेल निवेशकों ने इसमें जमकर पैसा लगा। जब अडाणी पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आई तो कंपनी के शेयर धड़ाम हो गए और रिटेल निवेशकों को कम दाम पर अपने शेयर बेचने पड़े। बड़े निवेशकों ने बाजार में भारी गिरावट के बाद इन शेयरों को संभाला और एक साल के भीतर फिर टॉप पर पहुंचा दिया। कुल मिलाकर नुकसान छोटे निवेशकों का हुआ और फायदा बड़े प्लेयर्स को मिला।

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