नई दिल्ली। आम आदमी को महंगाई का फिर झटका लगा है। खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी महीने में तीन महीने के उच्च स्तर 6.52 प्रतिशत पर पहुंच गई। इसके साथ ही महंगाई दर एक बार फिर रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर की उच्चतम सीमा से ऊपर चली गई है।
नवंबर और दिसंबर 2022 को छोड़ दिया जाए तो खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी 2022 से ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 6 प्रतिशत की ऊपरी सीमा से ऊंची रही है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर में 5.72 प्रतिशत और जनवरी 2022 में 6.01 प्रतिशत थी। इससे पहले, खुदरा मुद्रास्फीति अक्टूबर महीने में उच्च स्तर 6.77 प्रतिशत पर थी।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, सब्जियों की कीमतें जनवरी में घटी हैं। हालांकि ईंधन और प्रकाश समेत अन्य श्रेणियों में महंगाई बढ़ी है।
खाद्य पदार्थों की महंगाई दर जनवरी में 5.94 प्रतिशत रही। यह दिसंबर में 4.19 प्रतिशत और पिछले साल इसी तहीने में 5.43 प्रतिशत थी।
गांवों में महंगाई शहरों के मुकाबले ऊंची रही। जहां ग्रामीण क्षेत्रों में यह 6.85 प्रतिशत रही, वहीं शहरी केंद्रों में यह छह प्रतिशत थी।
भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है। केंद्रीय बैंक को मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है।
पिछले सप्ताह आरबीआई ने महंगाई को काबू में रखने के लिए नीतिगत दर रेपो 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दी। रिजर्व बैंक ने खुदरा मुद्रास्फीति 2022-23 में 6.5 प्रतिशत रहले का अनुमान जताया है।
एमके ग्लोबल फाइनेंसियल सर्विसेज की प्रमुख अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा कि मुद्रास्फीति में यह उछाल अप्रत्याशित है जबकि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति पिछली बैठक में चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च 2023) के दौरान खुदा मुद्रास्फीति के अनुमान को पिछले अनुमान की तुलना में 0.20 प्रतिशत कम कर दिया गया था।
उन्होंने कहा कि इससे रिजर्व बैंक की इस धारणा की और पुष्टि हुई है कि मुख्य मुद्रास्फीति अब भी दृढ़ बनी हुई है और ढिलाई देने पर कीमत बढ़ने की प्रत्याशा पर अंकुश ढीला होगा और इससे मध्य काल में मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ेगा।
मिलवुड केन इंटरनेशनल के सीईओ निखिल गुप्ता ने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति में आया यह उछाल चिंता का विषय है। मुद्रास्फीति दो महीने नरम पड़ने के बाद बढ़ी है और यदि आगे दो महीने और ऊंचे स्तर पर रही तो रिजर्व बैंक को अप्रैल में नीतिगत ब्याज दर फिर बढ़ाना पड़ सकता है।
नाइट फ्रैंक इंडिया के निदेशक अनुसंधान विवेक राठी ने कहा कि मुद्रास्फीति का बढ़ना रिजर्व बैंक की चिंता बढ़ा सकता है।
उन्होंने कहा कि चूंकि मुद्रास्फीति का दबाव लगातार बना हुआ है, इसलिए हमारी राय में अभी निकट भविष्य में रिजर्व बैंक ब्याज दर बढ़ाने का सिलसिला कम करने वाला नहीं है लेकिन एपीसी की एक-दो और बैठकों तक वृद्धि कम रखने का रुख बरकरार रह सकता है। एजेंसियां Edited By : Sudhir Sharma