नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को नई मौद्रिक नीति का ऐलान करते हुए खुदरा महंगाई को काबू में लाने के लिए रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत की इजाफा किया। रेपो रेट बढ़ने से लोगों को लोन लेना महंगा पड़ेगा। उनकी EMI भी बढ़ जाएगी। जानिए RBI की रेपो रेट से जुड़ी 10 खास बाते...
-भारतीय अर्थव्यवस्था ऊंची मुद्रास्फीति से जूझ रही है। अर्थव्यवस्था भू-राजनीतिक जोखिमों जैसे वैश्विक घटनाक्रमों से प्रभावित।
-पिछले कुछ माह के दौरान भारत से 13.3 अरब डॉलर की पूंजी निकाली गई।
-अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने आर्थिक वृद्धि का अनुमान घटाते मंदी का जोखिम जताया है।
-वित्तीय क्षेत्र में पर्याप्त पूंजी। वैश्विक घटनाक्रमों के प्रभाव से बचाव कर रहा है विदेशी मुद्रा भंडार।
-मौद्रिक नीति समिति ने स्थायी जमा सुविधा (SDF) दर 4.65 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.15 प्रतिशत की।
-मौद्रिक नीति समिति ने मुद्रास्फीति पर काबू के लिए नरम नीतिगत रुख को वापस लेने पर ध्यान देने का फैसला किया।
-उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति असंतोषजनक स्तर पर। मुद्रास्फीति के 6 प्रतिशत से ऊपर बने रहने का अनुमान।
-भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर कायम रखा।
-बैंकों की ऋण की वृद्धि बढ़कर 14 प्रतिशत हुई। एक साल पहले यह 5.5 प्रतिशत थी।
-रिजर्व बैंक ने सामान्य मानसून और कच्चे तेल का दाम 105 डॉलर प्रति बैरल पर रहने की संभावना के आधार पर वित्त वर्ष 2022-23 के लिए के मुद्रास्फीति अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा।