नई दिल्ली। उद्योग मंडल एसोचैम का सुझाव है कि रिजर्व बैंक को इस सप्ताह समीक्षा में में नीतिगत ब्याज दर बढ़ाने से बचना चाहिए। उसका कहना है कि इस समय बॉण्ड बाजार में निवेश का फल ऊंचा जरूर हो गया है, पर उसकी बहुत ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की द्वैमासिक समीक्षा बैठक 6-7 फरवरी को होगी।
एसोचैम ने बजट के बाद जारी अपने एक नोट में कहा है कि राजकोषीय घाटा ऊंचा होने से कुछ आर्थिक संकेत कठिन स्थिति की ओर संकेत देते हैं, पर इसको लेकर बॉण्ड बाजार में हो रही प्रतिक्रिया जल्दी ही शांत हो जाएगी।
गौरतलब है कि पहली फरवरी को पेश आम बजट में संशोधित अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद के 3.5 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा। बजट में इसके 3.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। इसी तरह 2018-19 में इसके 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है जबकि पहले की योजना के अनुसार इसे 3.0 प्रतिशत तक रखा जाना था।
एसोचैम ने कहा कि फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लागत का डेढ़ गुना रखने से मुद्रास्फीति के बढ़ने की चिंता भी कुछ बढ़ा-चढ़ाकर पेश की जा रही है। एसोचैम के बजट पर महासचिव डीएस रावत ने शेयर बाजारों में गिरावट के बारे में कहा कि शेयरों, खासकर मझौली पूंजी वाली कंपनियों के शेयरों को लेकर लोग कुछ ज्यादा ही उत्साहित हो गए थे जबकि कंपनियों का मुनाफा वास्तव में वैसा नहीं था।
उन्होंने कहा कि सरकार ने आर्थिक वृद्धि दर में तेजी के लिए बजट के जरिए समर्थन दिया है और रिजर्व बैंक को भी इस पहल में शामिल होना चाहिए और कम से कम ब्याज दर को नहीं बढ़ाना चाहिए ताकि वृद्धि को बढ़ावा मिल सके। (भाषा)