नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को वैश्विक तेल और गैस कंपनियों को भारत आने और यहां तेल एवं प्राकृतिक गैस क्षेत्र में संभावना तलाशने को आमंत्रित किया। उन्होंने क्षेत्र में सरकार की ओर से किए गए सुधारों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
तेल और गैस क्षेत्र की वैश्विक कंपनियों के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों (CEO) और विशेषज्ञों से सालाना बातचीत में उन्होंने कहा कि हम भारत को तेल और गैस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं। उद्योग प्रमुखों ने ऊर्जा पहुंच, ऊर्जा को सस्ता बनाने तथा ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्रों में सुधार को लेकर सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों की सराहना की।
आधिकारिक बयान के अनुसार प्रधानमंत्री ने तेल और गैस क्षेत्र में पिछले सात साल में किए गए सुधारों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इनमें खोज और लाइसेंस नीति, गैस विपणन, कोयला खानों से मिथेन निकालने (कोल बेड मिथेन), कोयले से गैस बनाने और भारतीय गैस एक्सचेंज में हाल के सुधार शामिल हैं। उन्होंने कहा कि भारत को तेल और गैस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिये ऐसे सुधार जारी रहेंगे।
खोज और उत्पादन का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि अब ध्यान राजस्व के बजाय उत्पादन को अधिकतम करने पर है। प्रधानमंत्री ने कच्चे तेल के लिये भंडारण सुविधाओं की जरूरत के बारे में बात की। देश में प्राकृतिक गैस की बढ़ती मांग के बारे में बात करते हुए उन्होंने पाइपलाइन, सिटी गैस वितरण और एलएनजी रिगैसिफिकेशन टर्मिनल समेत मौजूदा और संभावित गैस बुनियादी ढांचे के विकास का जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि 2016 से इन बैठकों में जो सुझाव मिलते रहे हैं, उनसे तेल एवं गैस क्षेत्र के समक्ष चुनौतियों को समझने में मदद मिली है। मोदी ने कहा कि भारत खुलेपन, उम्मीदों और अवसरों की भूमि है तथा नए विचारों, दृष्टिकोणों और नवोन्मेष से भरा हुआ है।
बयान के अनुसार उन्होंने भारत के साथ तेल एवं गैस क्षेत्र में भागीदारी को लेकर उद्योग प्रमुखों और विशेषज्ञों को आमंत्रित किया।
बातचीत में रोसनेफ्ट के सीईओ इगोर सेचिन, सऊदी अरामको के सीईओ अमीन नासिर, बीपी के सीईओ बर्नार्ड लूनी, रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख मुकेश अंबानी और वेदांता के प्रमुख अनिल अग्रवाल समेत दुनिया के अन्य उद्योग प्रमुख शामिल हुए। बयान के अनुसार मुख्य कार्यपालक अधिकारियों ने कहा कि भारत स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी को तेजी से अपना रहा है और वे वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।