वाशिंगटन डीसी। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि रुपया कमजोर नहीं हो रहा, हमें इसे ऐसे देखना चाहिए कि डॉलर मजबूत हो रहा है। उन्होंने कहा कि दूसरी मार्केट करेंसी देखें तो रुपया डॉलर की तुलना में काफी अच्छा कर रहा है। रुपए में ज्यादा अस्थिरता देखने को नहीं मिली है।
एक सवाल के जवाब में वित्त मंत्री सीतरमण ने कहा कि सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों को ऊर्जा उत्पादन के लिए कोयले की ओर वापस जाना पड़ा है क्योंकि गैस का खर्च वहन नहीं किया जा सकता है या उपलब्ध नहीं है।
सीतारमण ने कहा कि हम क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित मामलों पर जी20 के दौरान चर्चा चाहते हैं ताकि जी20 के सदस्य इस पर चर्चा करके वैश्विक स्तर पर एक ढांचे या एसओपी बनाने की दिशा में बढ़ सकें। तकनीकी रूप से संचालित नियामक ढांचा तैयार किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि इस यात्रा के दौरान 24 द्विपक्षीय बैठकें हुईं इसके अलावा सचिवों और मुख्य आर्थिक सलाहकार ने अपने समकक्षों के साथ 25 बैठकें कीं।
उल्लेखनीय है कि 1947 में एक डॉलर की कीमत 4.16 रुपए थी। इसके बाद डॉलर लगातार मजबूत होता चला गया और रुपए की स्थिति बेहद कमजोर हो गई। 1991 में डॉलर 26 रुपए पर पहुंच गया। 1993 में एक अमेरिकी डॉलर खरीदने के लिए 31.37 रुपए लगते थे। साल 2008 खत्म होते रुपया 51 के स्तर पर जा पहुंचा।
26 मई 2014 को नरेन्द्र मोदी ने जब देश की बागडोर संभाली थी, उस समय डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत करीब 58.93 रुपए थी। मोदी राज में डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर ही बना रहा। डॉलर तेजी से कुलाचे भरता रहा और जुलाई 2022 में इसने 82 का स्तर पार कर लिया।
Edited by : Nrapendra Gupta