Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

H1B प्रभाव: इंफोसिस 10,000 अमेरिकियों को नौकरी देगी

हमें फॉलो करें H1B प्रभाव: इंफोसिस 10,000 अमेरिकियों को नौकरी देगी
, मंगलवार, 2 मई 2017 (13:54 IST)
नई दिल्ली। अमेरिका में वीजा संबंधी मुद्दों से पार पाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की प्रमुख भारतीय कंपनी इंफोसिस अगले दो साल के दौरान 10,000 अमेरिकियों को नौकरी देगी। इसके अलावा कंपनी वहां चार प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष केन्द्रों की भी स्थापना करेगी।

विदित हो कि यह आश्चर्यजनक कदम तब उठाया गया है जबकि इंफोसिस व अन्य भारतीय कंपनियों को राजनीतिक कारणों से निशाना बनाया जा रहा है। अमेरिकी प्रशासन ने टीसीएस और विप्रो लिमिटेड पर आरोप लगाया गया है कि ये कंपनियां अमेरिकी कार्मिकों को नौकरियां देने की बजाय अपने देश के अस्थायी वीजा पर आए लोगों को नौकरियां दे रही है। उल्लेखनीय है कि यह कंपनियां न्यूयॉर्क शेयर बाजार में पंजीकृत हैं।
 
इंफोसिस नई नियुक्तियों और नए केंद्र खोलकर कृत्रिम बुद्धिमता, मशीनी ज्ञान, उपयोक्ता अनुभव, क्लाउड और बिग डेटा जैसी नई प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपने कारोबार का विस्तार करेगी।
 
इंफोसिस के सीईओ विशाल सिक्का ने कहा कि पहला नवोन्मेष केन्द्र इस साल अगस्त में इंडियाना में खोला जाएगा। इस केंद्र में 2021 तक अमेरिकियों के लिए 2,000 रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।
 
उन्होंने कहा कि तीन अन्य केंद्रों के स्थानों के बारे में अगले कुछ महीनों के दौरान फैसला लिया जाएगा। इन केंद्रों में न केवल प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष के क्षेत्र में लोगों को प्रशिक्षण दिया जायेगा बल्कि महत्वपूर्ण उद्योगों जैसे वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र, विनिर्माण, स्वास्थ्य देखभाल, खुदरा कारोबार और उर्जा क्षेत्र में ग्राहकों के साथ नजदीकी से काम करने में भी मदद मिलेगी।
 
उत्तरी अमेरिका का बाजार इंफोसिस के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इनफोसिस के वर्ष 2016-17 में 10.2 अरब डॉलर राजस्व में उत्तरी अमेरिका का 60 प्रतिशत से अधिक योगदान रहा है।
 
सिक्का ने हालांकि, स्पष्ट किया कि इन कदमों को केवल इसलिये नहीं उठाया जा रहा है कि अमेरिका में वीजा के कड़े नियमों के प्रभाव को कम किया जा सके।
 
उन्होंने कहा कि पिछले तीन साल के दौरान कृत्रिम बुद्धि और आभासी प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल काफी बढ़ा है। यहां तक कि पुरानी परियोजनाओं को भी अब ज्यादा आटोमेटिक बनाया जा रहा है।

पिछले माह, उद्योग क्षेत्र के दो सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया कि इस प्रक्रिया के तहत इंफोसिस ने इस माह के दौरान मात्र एक हजार एच1-वीजा के लिए आवेदन किया है। इस बारे में एक सूत्र का कहना था कि वर्ष 2016 के लिए करीब 6500 लोगों ने आवेदन किया था जबकि 2015 के लिए करीब 9000 वीजा के लिए आवेदन किया था। अबतक वीजा के लिए लॉटरी के तहत मिलने वाले सर्वाधिक संख्‍या भारतीयों के लिए होती थी।    
     
विदित हो कि लॉटरी सिस्टम के अंतर्गत आवेदन करते हुए सबसे ज्यादा छात्रों की संख्या भारत से होती रही है। इस कारण से इन कंपनिंयों काम करने की पात्रता सबसे ज्यादा संख्या भारत की रही है। इस कारण से आजकल भारतीय नेता और कंपनियों के प्रमुख का काम अमेरिकी सांसदों की चिरौरी कर रहे हैं। ये लोग ट्रंप सरकार के सांसदों, विर्धायकों, कर्मचारियों से आग्रह कर रहें कि वीसा नियमों में इस तरह के व्यापक परिवर्तन न करें। उनका कहना है कि ऐसा किए जाने से भारत के कम्प्यूटर उद्योग को करीब 150 बिलियन डॉलर की राशि की हानि होगी।
 
दो लाख से भी अधिक कर्मचारिंयों की सम्पूर्ण क्षमता की तुलना में बहुत छोटा भाग होगा। इस मामले में सिक्का का कहना है कि हमने 2014 में पिछले प्रयास की तुलना में दो लाग लोगों की बजाय 10 हजार नए वीजा लिए थे और तभी हमने 2014 के प्रयासों के तहत दो लाख पहले कर्मचारिंयों की तुलना में दो हजार अमेरिकी कर्मचारियों को पहले ही काम दिया गया है।   
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

हम भी चौंके थे, आप भी चौंक जाएंगे! गधामुक्त होगा यूपी....