कोरोना काल में बीमा क्षेत्र में बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। एक ओर लोगों का हेल्थ इंश्योरेंस, टर्म इंश्योरेंस में रुझान तेजी से बढ़ा है तो दूसरी ओर बीमा कंपनियों ने इनकी कीमतों में इजाफा कर दिया है। इतना ही नहीं कई बीमा कंपनियों ने टर्म इंश्योरेंस के लिए अपनी शर्तों को भी पहले की तुलना में ज्यादा कड़ा कर दिया है।
हेल्थ इंश्योरेंस में जहां अलग-अलग कंपनियों ने 5 से लेकर 20 प्रतिशत तक दाम बढ़ा दिए हैं तो टर्म प्लान की कीमतों में भी 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। टर्म प्लान लेने वाले नए ग्राहकों को अब इसकी ज्यादा प्रीमियम चुकानी होगी। हालांकि उन लोगों को पर इसका असर नहीं होगा जो पहले ही टर्म प्लान ले चुके हैं। वहीं हेल्थ प्लान लेने वाले सभी ग्राहकों को अब ज्यादा प्रीमियम चुकानी होगी।
क्या है प्रीमियम बढ़ने की वजह : आमतौर पर कंपनियां 4-5 साल में अपनी प्रीमियम में बढ़ोतरी करती हैं। कोरोना की वजह से क्लेम रेशो काफी बढ़ गया है। कई कंपनियां घाटे में चल रही हैं। इस वजह से भी प्रीमियम पर असर पड़ा है। एक बीमा कंपनी में डिप्टी ब्रांच मैनेजर शंकर सिंह राजपूत ने बताया कि टर्म प्लान के प्रीमियम में 5 से 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं हेल्थ इंश्योरेंस की प्रीमियम में भी वृद्धि हुई है।
क्यों बढ़ रही है जागरूकता : कोरोना के कठिन समय में जब लोग परेशान थे तो उन लोगों को बड़ा सहारा मिला जिनके पास हेल्थ इंश्योरेंस था। इन्हें उन लोगों की अपेक्षा कम आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा जिनके पास मेडिकल बीमा नहीं था। इस मुश्किल भरे समय ने लोगों की जागरूकता को बढ़ाया। इस काल में इंश्योरेंस कंपनियों के हेल्थ प्लान और टर्म प्लान ही सबसे ज्यादा बिके।
क्या हुआ कोविड पॉलिसियों का हाल : शंकर सिंह ने बताया कि कई कंपनियों ने कोविड पॉलिसी बंद कर दी है। हालांकि कई कंपनियों की कोविड पॉलिसियां चल रही हैं और उनके क्लेम भी पास हो रहे हैं।
क्या क्लेमसेट करने में भी आ रही है परेशानी : फाइनेंशियल एक्सपर्ट रमाकांत मुजावदिया के अनुसार, भले ही नए टर्म प्लान के लिए कंपनियों ने अपनी शर्तें कठिन कर दी हों, लेकिन जिन लोगों ने टर्म प्लान ले लिया है उनके क्लेम सेटलमेंट में कोई परेशानी नहीं है। उन्होंने बताया कि हाल में एक ऐसे व्यक्ति का 1 करोड़ का क्लेम सेट किया गया है जिसने टर्म प्लान की केवल एक ही प्रीमियम भरी थी।
व्हीकल, एक्सीडेंटल में नहीं हुआ कोई बदलाव : इंश्योरेंस कंपनियों ने भले ही हेल्थ पॉलिसियों और टर्म प्लान की कीमतों में इजाफा किया है, लेकिन व्हीकल और एक्सीडेंटल पॉलिसी की प्रीमियम में कोई बदलाव नहीं किया है।
इंश्योरेंस पर कितना जीएसटी : इंश्योरेंस पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है। अगर आपकी हेल्थ पॉलिसी का प्रीमियम 21 हजार रुपए है तो इस पर आपको 18 प्रतिशत जीएसटी के हिसाब से 3960 रुपए और चुकाने होंगे। इस तरह आपको 24,960 रुपए का भुगतान करना होगा। एनडोर्समेंट प्लान में जीएसटी पहले साल के कुल प्रीमियम के 25 फीसदी हिस्से पर ही लगता है और इसकी दर 4.5 फीसदी होती है। इसके बाद आगे के वर्षों में इस पर कुल प्रीमियम पर 12.5 फीसदी जीएसटी लगता है
इनकम टैक्स में कितना मिलता है फायदा : इनकम टैक्स के अनुसार स्वस्थ्य बीमा पर आपको टैक्स में 25000 रुपए तक की छूट मिलती है। अत: इस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। आप बीमा पर इनकम टैक्स में कुल 1.50 लाख तक की छूट ले सकते हैं।