मुंबई। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद लगातार दूसरे महीने अगस्त में देश के सेवा क्षेत्र में नए ऑर्डरों में गिरावट का क्रम जारी रहा और इसका निक्केई इंडिया पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) 47.5 दर्ज किया गया। जुलाई में पीएमआई 45.9 रहा था।
निक्केई माह दर माह होने वाले बदलावों के आंकड़े जारी करता है। सूचकांक का 50 से नीचे रहना गतिविधियों में गिरावट और इससे ऊपर रहना सुधार दर्शाता है। वहीं इसका 50 पर रहना स्थिरता दर्शाता है।
निक्केई की मंगलवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि सेवा क्षेत्र की गतिविधियों के साथ नए ऑर्डरों में लगातार दूसरे महीने कमी आई है, हालांकि जुलाई में इसकी गिरावट की दर कुछ कम रही। कंपनियों ने इसे देखते हुए नौकरियों में भी छंटनी की है। इसके साथ उनकी लागत में भी मामूली इजाफा हुआ है। निक्केई द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाली कंपनियों ने हालांकि भविष्य में विकास की उम्मीद को लेकर सकारात्मक संकेत दिए हैं।
रिपोर्ट की लेखिका और आईएचएस मार्किट की मुख्य अर्थशास्त्री पॉलियाना डी लीमा ने इन आंकड़ों के बारे में कहा, सेवा क्षेत्र अगस्त में निजी क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में सुस्ती का कारक रहा है। विनिर्माण की तेजी को सेवा क्षेत्र की गिरावट ने बेअसर कर दिया।
विनिर्माण क्षेत्र का सूचकांक जुलाई में 47.9 पर रहने के बाद अगस्त में सुधरकर 51.2 पर आ गया था। विनिर्माण और सेवा का संयुक्त सूचकांक जुलाई के 100 महीने के निचले स्तर 46 की तुलना में अगस्त में 49 पर रहा।
सुश्री लीमा ने कहा सेवा क्षेत्र में अनिश्चितता का रुख बना हुआ है। कंपनियों ने फिलहाल निवेश टाल दिया है जिससे नौकरियां कम हो रही हैं। साथ ही लागत मूल्य बढ़ रहा है और कंपनियां प्रतिस्पर्द्धा के दबाव में इसका बोझ ग्राहकों पर नहीं दे पा रही हैं। उन्होंने हालांकि यह भी कहा है कि जुलाई की तुलना में अगस्त में गिरावट कम रहने से साफ है कि सब कुछ बिलकुल अंधकारमय नहीं है। (वार्ता)