नई दिल्ली। मोदी सरकार 4 और बैंकों का निजीकरण (privatisation of banks) कर सकती है। खबरों के मुताबिक सरकार ने निजीकरण के अगले चरण के लिए 4 मिड साइज राज्य संचालित बैंकों को चुना है जिनका प्राइवेटाइजेशन जल्द ही किया जा सकता है।
खबरों के अनुसार इस लिस्ट में बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank of Maharashtra), बैंक ऑफ इंडिया (BoI), इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank) और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank) का नाम शामिल हैं। बैंकिंग सेक्टर के प्राइवेटाइजेशन से सैकड़ों कर्मचारियों की नौकरी खतरे में आ जाएगी।
खबरों के अनुसार केंद्र सरकार इन सरकारी बैंकों बेचकर राजस्व कमाना चाहती है ताकि उस राशि का उपयोग सरकारी योजनाओं पर किया जा सके।
सरकार बड़े स्तर पर प्राइवेटाइजेशन करने की योजना बना रही है। बैंकिंग सेक्टर में सरकार की बड़ी हिस्सेदारी है। इन बैंकों में हजारों कर्मचारी काम करते हैं। बैंकों का निजीकरण वैसे एक जोखिम भरा कार्य है। इससे काम करने वाले कर्मचारियों पर भी असर हो सकता है।
ग्राहकों पर क्या होगा असर : बैंकिंग विशेज्ञकों के मुताबिक इन बैंकों के प्राइवेट होने पर ग्राहकों के अकाउंट उनमें जमा राशि पर कोई पर खास असर नहीं पड़ेगा। जब बैंकों का निजीकरण होता है तब बैंक पहले की तरह अपनी सर्विस बरकरार रखते हैं। साथ ही होम, पर्सनल और ऑटो लोन की ब्याज दरें और सुविधाएं भी पहले जैसे ही रहती हैं। निजीकरण के बाद ग्राहकों को और बेहतर सुविधाएं मिलती हैं।