अकसर देखने में आता है कि वह लोग जो टैक्स भुगतान के दायरे में नए-नए आए हैं टैक्स रिबेट के लिए चौथे और अंतिम क्वार्टर में परेशान होते हैं। इस समय लोग ताबड़तोड़ एफडी, बीमा, टैक्स सेविंग फंड्ज में निवेश कर टैक्स बचाने की कवायद में लगे रहते हैं। इससे आप पर आर्थिक बोझ पड़ता है और आपका मासिक बजट प्लान भी गड़बड़ा जाता है।
देखा जाए तो यह तरीका पूरी तरह गलत है। नौकरी पेशा लोगों को तो इंक्रिमेंट के समय ही निवेश की प्लानिंग कर लेना चाहिए। इससे उन पर एकदम से आर्थिक बोझ नहीं पड़ता है और उनका बजट भी प्रभावित नहीं होता है।
अगर आप कहीं निवेश करते हैं तो टैक्स प्लानिंग के साथ ही आपको यह भी ध्यान रखना होगा कि इस धन का उपयोग भविष्य में किस तरह से करना है।
टर्म प्लान का फायदा : अगर आप टर्म प्लान लेते हैं तो आपको टैक्स में छूट मिलने के साथ ही आपके परिवार को सिक्यूरिटी भी मिलेगी। लेकिन इसमें आपकों एक उम्र तक ही कवर मिलेगा। 20-22 साल की उम्र में टैक्स बचाने के लिए टर्म प्लान सस्ते में जरूर मिल सकता है पर इसे लेने पर सवाल जरूर उठ सकते हैं। 30 की उम्र में इसे लेने का अलग महत्व है।
चाइल्ड प्लान का यह फायदा होता है : चाइल्ड प्लान लेने पर भी आपको टैक्स रिबैट मिलती है पर उसमें आपका पैसा डूबता नहीं है बल्कि इसमें लाइफ कवर के साथ ही बच्चों का करियर भी बेहतर ढंग से प्लान हो सकता है। बच्चेे जब छोटेे होते हैैं तभी इसे प्लान करना बेहतर होता है।
टैक्स सेविंग प्लांस : टैक्स सेविंग पॉलिसियां लेने पर आपका पैसा तीन साल के लिए ब्लॉक हो जाता है। जरूरत के समय भी आप इसे निकाल नहीं सकते। इस तरह आप भले ही इससे टैक्स में छूट ले लें पर न तो इसमें अन्य निवेशों की तरह ज्यादा रिटर्न नहीं मिलता।
सही प्लानिंग से करें निवेश : बहरहाल आप टैक्स सेविंग के लिए कुछ भी लें पहले अपनी आवश्यकताओं पर विचार जरूर करें। फिर सही प्लानिंग के साथ उसमें निवेश करें ताकि आप और आपके परिवार को इसका लाभ मिल सके और आपको आर्थिक रूप से समस्याओं का सामना भी नहीं करना पड़े।
कुछ छुपाएं नहीं : बेहतर प्लानिंग के लिए आप अपने फाइनेंशियल एक्सपर्ट की सलाह ले सकते हैं। फाइनेंशियल प्लानर एक आर्थिक डॉक्टर की तरह होता है उससे कुछ छुपाएं नहीं। उसकी सही सलाह से न सिर्फ आप टैक्स में छूट ले सकते हैं बल्कि आर्थिक रूप से मजबूत भी हो सकते हैं।