नई दिल्ली। सरकार ने खाद्य तेल के आयत पर निर्भरता कम करने तथा इसके उत्पादन बढाने के लिए 11040 करोड़ रुपए का राष्ट्रीय मिशन शुरू करने का निर्णय लिया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बुधवार की हुई बैठक में कृषि मंत्रालय के इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। सरकार ने पॉम की खेती पर किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी और रोपण सामग्री पर सहायता बढाने का भी निर्णय किया है। पूर्वोत्तर क्षेत्र में पॉम से संबंधित उद्योग लगाने पर 5 करोड़ रुपए तक की सहायता दी जाएगी।
कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने संवाददाताओं को मंत्रिमंडल के निर्णय की जानकारी देते हुए बताया कि सामान्य तौर पर पॉम के रोपण सामग्री पर किसानों को प्रति हेक्टेयर 12 हजार रुपए की सहायता दी जाती थी जिसे बढाकर अब 29 हजार रुपए कर दिया गया है। सामान्य राज्यों में 15 हेक्टेयर में पॉम लगाने पर 80 लाख रुपए तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र में 1 करोड़ रुपये की सहायता दी जाएगी।
तोमर ने कहा कि पॉम की खेती के लिए जमीन के सुधार और खेत की घेराबंदी के लिए भी सहायता राशि दी जाएगी। पूर्वोत्तर क्षेत्र में पॉम से संबंधित उद्योग लगाने पर अधिकतम 5 करोड़ रुपए की सहायता दी जाएगी। सामान्य राज्यों में केन्द्र 60 प्रतिशत और राज्य 40 प्रतिशत की तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र में क्रमश: 90 प्रतिशत और 10 प्रतिशत की सहायता राशि दी जाएगी।
देश में वर्तमान में करीब 3.5 लाख हेक्टेयर में पॉम की खेती की खेती की जाती है जिसके आने वाले वर्षो में बढकर 10 लाख हेक्टेयर हो जाने की आशा है। पॉम तेल का उत्पादन 2025..26 तक 11 लाख टन तथा वर्ष 2029..30 इसका उत्पादन 28 लाख टन हो जाने का अनुमान है। देश में जो खाद्य तेल का आयात किया जाता है उसमें पॉम ऑइल का हिस्सा 56 प्रतिशत है।