वृषभ और तुला राशि के स्वामी शुक्र ग्रह मीन में उच्च और कन्या में नीच का होता है। लाल किताब में सप्तम भाव शुक्र का पक्का घर है। सूर्य और चंद्र के साथ या इनकी राशियों में शुक्र बुरा फल देता है। लेकिन यहां चौथे घर में होने या मंदा होने पर क्या सावधानी रखें और क्या करें जानिए।
कैसा होगा जातक : यदि इस खाने में शुक्र है तो वाहन सुख अवश्य मिलेगा। व्यक्ति का उठना बैठना बड़े लोगों में रहेगा। चौथे खाने के शुक्र को खुश्की का सफर कहा गया है अर्थात ऐसे व्यक्ति की यात्राएं बहुत होंगी। यात्राओं से लाभ ही मिलेगा। जमीन-जायजाद संबंधी मामलों में सफलता मिल सकती है।
हो सकता है कि दो पत्नियां हों या दो महिलाओं से संबंध हो। चौथे शुक्र के समय यदि बृहस्पति दसम भाव में हो और जातक धार्मिक हो तो हर तरफ से प्रतिकूल परिणाम मिलेंगे। यदि जातक ने कुएं के ऊपर छ्त ढाल रखी या मकान बना रखा है तो पुत्र प्राप्ति की संभावना क्षीण हो जाएगी। बुध से संबंधित व्यापार नुकसान देय होता है। मंगल से संबंधित व्यापार जातक के लिए फायदेमंद साबित होगा। यह भी कहा जाता है कि चौथे घर का शुक्र और पहले घर का बृहस्पति सास से झगड़ा करवाता है।
शुक्र की सावधानियां :
1. यदि जातक शराब पीता है तो शनि विनाशकारी प्रभाव देगा।
2. पत्नी के स्वास्थ्य के लिए घर की छत को साफ और स्वच्छ बनाए रखें।
3. आसपास या घर में कुआं होतो उसे बंद न करें या उस पर ढक्कन न रखें।
4. दूसरे की बुराइयों पर परदा डालें। मकान की छत दुरुस्त रखें।
5. बहन और बुआ से अच्छे संबंध रखें।
क्या करें :
1. बृहस्पति से संबंधित चीजें जैसे चना, दालें या केसर बहती नदी में बहाएं।
2. अपनी पत्नी का नाम बदलें और उससे औपचारिक रूप से पुनर्विवाह करें।
3. चंद्र के उपाय करें।
4. एकादशी या शुक्रवार का व्रत रखें।
5. चावल, चांदी और दूध बहते पानी में बहाएं अथवा खीर या दूध मां समान महिलाओं को खिलाने से सास और बहू के बीच होने वाले झगड़े शांत होंगे।