लाल किताब और ज्योतिष के अनुसार शनिदेव कब और कैसे प्रसन्न होते हैं। इसके कई कारण है। पहला यह कि कुंडली में शनि की स्थिति बताती है कि शनिदेव आप पर प्रसन्न हैं और दूसरा यह कि आपके कर्म और आपका जीवन बताता है कि शनिदेव आप पर प्रसन्न हैं या नहीं। तो आओ जानते हैं कुंडली में शनि ग्रह की स्थिति अनुसार उनकी प्रसन्नता के संकेत।
शनि ग्रह मकर और कुम्भ का स्वामी होता है। तुला में उच्च का और मेष में नीच का माना गया है। ग्यारहवां भाव उसका पक्का घर है। लाल किताब के अनुसार यदि शनि सातवें भाव में है तो वह शुभ माना गया है। अर्थात मकर, कुंभ और तुला का शनि अच्छा है और सातवें एवं ग्यरहवें भाव का शनि भी अच्छा है। बाकी की कोई गाररंटी नहीं।
शनि ग्रह के कारण बनने वाला शश योग है। यदि आपकी कुंडली में शनि लग्न से अथवा चन्द्रमा से केन्द्र के घरों में स्थित है अर्थात शनि यदि कुंडली में लग्न अथवा चन्द्रमा से 1, 4, 7 अथवा 10वें घर में तुला, मकर अथवा कुंभ राशि में स्थित है तो यह शश योग बनता है।
ऐसा जातक न्यायप्रिय, लंबी आयु और कूटनीति का धनी होता है। यह परिश्रम से अर्जित सफलता को ही अपनी सफलता मानता है। इसीलिए ऐसा जातक निरंतर तथा दीर्घ समय तक प्रयास करते रहने की क्षमता रखते हैं। यह किसी भी क्षेत्र में हार नहीं मानते हैं। इनमें छिपे हुए रहस्यों का भेद जान लेने की क्षमता अद्भुत होती है। यह किसी भी क्षेत्र में सफल होने की क्षमता रखते हैं। सहनशीलता इनका विशेष गुण है, लेकिन अपने शत्रु को यह किसी भी हालत में छोड़ते नहीं हैं।