चंद्रमा वृषभ में उच्च, वृश्चिक में नीच का होता है। लाल किताब में चौथे भाव में चंद्रमा बली और दसवें भाव में मंदा होता है। शनि की राशियों में चंद्र बुरा फल देता है। लेकिन यहां दसवें घर में होने या मंदा होने पर क्या सावधानी रखें जानिए।
कैसा होगा जातक : जहरीला पानी या पहाड़ी की रुकावट से बंद पड़ा पानी। आंकड़े के दूध समान। दूसरों को भी नहीं पड़ने देना और खुद भी नहीं पढ़ेगा। दवाई के कार्य में लाभ हो सकता है। शनि प्रभावित दसवें घर में यदि जातक शनि और चंद्र के मंदे कार्य नहीं करता है तो चंद्र 90 वर्ष की आयु निर्धारित करता है। शनि और चंद्र शत्रु है अत: ऐसा माना जाता है कि रोग होने के समय तरल रूप में ली गई दवाएं असरकार नहीं होगी। लेकिन यदि दवाएं शुष्क है तो तेजी से असर होगा। यदि जातक सर्जन है अकूत धन और प्रसिद्धि अर्जित करेगा। चौथा भाव रिक्त है तो धन की वर्षा होगी। यदि शनि पहले भाव में स्थित है तो विपरीत लिंगी के कारण विनाश होगा। शनि से संबंधित वस्तुएं और व्यवसाय जातक के लिए फायदेमंद साबित होगा।
चंद्र की सावधानियां :
1. रात में दूध ना पिएं।
2. शराब, मांस, और व्यभिचार से बचें।
3. दुधारू पशु ना पालें।
4. माता पिता का ध्यान रखें।
5. नास्तिक विचारों से दूर रहें।
क्या करें :
1. तीर्थ यात्राओं से भाग्य खुलेगा।
2. एकादशी या प्रदोष का व्रत रखें।
3. शनिवार को छाया दान करें।
4. चंद्र से संबंधित वस्तुएं मंदिर में दान करें।
5. बारिश अथवा बहती नदी का जल किसी कंटेनर में भरकर घर के भीतर रखें।