लाल किताब के अनुसार आप यहां जान सकते हैं कि आप किस ग्रह के प्रभाव वाले मकान में रह रहे हैं और यह जानकर आप अपने मकान या घर को वास्तु अनुसार ठीक भी कर सकते हैं या यह जान सकते हैं कि आप सही घर में रह रहे हैं या नहीं। लाल किताब अनुसार जानें स्वयं के मकान की स्थिति और यह भी कि सबसे उत्तम मकान कौनसा होता है।
1. सूर्य का मकान : जिनके मकान की दिशा पूर्व में है और पानी का स्थान मकान के गेट में दाखिल होते ही दाएं हाथ पर है। बड़े-से दरवाजे से प्रकाश आता हो और यदि पास में तेजफल या सूर्य संबंधी कोई पेड़-पौधा हो तो आपके मकान पर सूर्य ग्रह का प्रभाव ज्यादा है। इस मकान में यदि भीतर सभी कुछ वास्तु अनुसार सही है तो ठीक अन्यथा कर्क बढ़ने की संभावना रहती है।
2. चंद्र का मकान : चंद्र का मकान अधिकतर पश्चिम या उत्तर कोण में होता है। यदि आपके मकान से 24-25 कदम दूर या ठीक सामने कुआं, हैंडपंप, तालाब या बहता हुआ पानी हो या दूध वाले वृक्ष हो तो यह पक्के में चंद्र के प्रभाव वाला मकान होगा। यदि भीतर का वास्तु सही है तो यह घर और समृद्धि देने वाला सिद्ध होगा।
3. मंगल का मकान : मंगल की दिशा दक्षिण मानी गई है। दक्षिण में मुख्य द्वार है तो यह मंगल का मकान होगा। इसके शुभ होने की कोई गारंटी नहीं। यह बीमारी का घर है परंतु यदि घर के सामने उचित दूरी पर नीम का पेड़ लगा है तो यह बुरे असर को रोकेगा।
4. बुध का मकान : यदि आपके मकान के चारों ओर खाली जगह है तो यह बुध के प्रभाव का मकान है और यदि आसपास चौड़े पत्ते वाले पेड़ पौधे लगे हैं तो यह पक्के में ही बुध का मकान है। यह मकान सभी मकानों से अलग-थलग अकेला ही हो। यदि इस मकान के आसपास बुध से संबंधित वृक्ष ना होकर गुरु और चंद्र के वृक्ष लगे हों तो यह मकान बुध की दुश्मनी का पुख्ता प्रमाण माना जाएगा। मतलब यह बर्बादी के रास्ते खोलेगा।
5. बृहस्पति का मकान : ईशान कोण का मकान अक्सर बृहस्पति का मकान माना जाता है और यदि इस मकान में सुहानी हवा प्रवेश करती है जो मन को शांत रखती है तो यह पक्के में बृहस्पति का ही मकान होगा। कई घर ईशान या उत्तर के होते हैं परंतु उनके घर में इस दिशा से हवा का प्रवेश बाधित होता तो इसके मतलब यह कि बृहस्पति के शुभ प्रभाव का बाधित होना। यदि इस मकान के पास उचित दूरी पर पीपल का वृक्ष या कोई धर्मस्थान है तो पक्के में यह बृहस्पति का मकान है। इस मकान में रहने वाला सभी तरह से सुखी रहेगा।
6. शुक्र का मकान : घर में यदि कच्चा स्थान ज्यादा है। आगे पीछे आंगन कच्चा है और पूरे घर में फर्श नहीं लगा हो तो यह शुक्र का घर है। मिट्टी की अधिकता शुक्र के प्रभाव को बढ़ाती है। इसके अलावा यदि घर के आसपास आमतौर पर कपास का पौधा नहीं होता फिर भी मनी प्लांट या जमीन पर आगे बढ़ने वाली लेटी हुई कोई भी बेल है तो वह शुक्र के प्रभाव वाला घर होगा। यह घर भी सुख देने वाला होता है।
7. शनि का मकान : इसी दिशा पश्चिम हो सकती है परंतु यदि कीकर आप, खजूर यह शनि से संबंधित वृक्ष अधिक हो तो यह शनि के प्रभाव वाला घर होगा। यदि घर में तलघर हो तो भी यह शनि का घर होगा। यदि पीछे की दीवार कच्ची हो और यह दीवार गिर जाए तो शनि के खराब होने की निशानी मानी जाती है। इस मकान में सुख की कोई गारंटी नहीं।
8. राहु का मकान : वैसे आमतौर पर भारत के दक्षिण इलाके के अलावा अन्य घरों के आसपास नारियल के पेड़ नहीं होते तो केक्टस को भी राहु का कारक माना जाता है। अंदर से बहुत ही भयानक अहसास वाला मकान राहु का मकान माना जाता है फिर वह किसी भी दिशा का हो। कई दिनों से खाली पड़ा डरावना-सा मकान भी राहु का मकान है। भीतर से वास्तु के अनुसार पूरी तरह से गड़बड़ मकान भी राहु का मकान होगा। आसपास शोर करने वाली फैक्ट्री या शराब, मटना आदि की दुकान है तो भी यह राहु का मकान माना जाएंगा। यह मकान जीवन में अचानक होने वाले घटना को अंजाम देता है।
9. केतु का मकान : एकदम कोने का मकान है तो यह केतु के मकान होगा, जिसके तीन तरफ मकान एक तरफ खुला या तीन तरफ खुला हुआ और एक तरफ कोई साथी मकान या खुद उस मकान में तीन तरफ खुला होगा। केतु के मकान में नर संतानें लड़के चाहे पोते हों लेकिन कुल तीन ही होंगे। इस मकान में बच्चों से संबंधित, खिड़कियां, दरवाजे, बुरी हवा, अचानक धोखा होने का खतरा रहता है। हो सकता है कि मकान के आसपास इमली का वृक्ष, तिल के पौधे या केले का वृक्ष हो। ऐसा है तो पक्के में यह केतु का मकान है।
अत: सबसे उत्तम गुरु और चंद्र का घर माना जाता है। अर्थात ईशान, उत्तर, वायव्य और पश्चिम दिशा। इस दिशा में यदि मकान है तो उसे गुरु और चंद्र के वृक्ष और पौधों से सुंदर तथा शांतिदायक बना सकते हैं। इस प्रकार के घर में जल और अग्नि के स्थान को अच्छी तरह से नियुक्त किया जाना चाहिए जिससे सुख और समृद्धि बढ़ती जाए।
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