लाल किताब में किसी भी ग्रह के कुंडली के विशेष जगह पर होने पर कुछ बातों की मनाही कई गई है। ग्रहों में यदि सूर्य ग्रह आपकी कुंडली में निम्न जगह पर स्थित है तो आप भूलकर भी यह कार्य ना करें।
1.सूर्य यदि प्रथम भाव में हो तो दिन के समय सहवास से बचें।
2.दूसरा भाव में सूर्य होने पर चावल, चांदी या दूध का दान लेने से बचना चाहिए। हरी वस्तुएं, चावल तथा अनाज कभी भी उधार पर ना लें। जहां तक हो सके जमीन संबंधी झगड़ों से भी बचें।
3.तीसरा भाव में सूर्य होने पर भोजन में नमक का त्याग करना चाहिए।
4.चतुर्थ भाव में सूर्य होने पर लोहे और लकड़ी के साथ जुड़ा व्यापार न करें। लालच, चोरी और भ्रष्टाचार से दूर रहें।
5.पंचम भाव में सूर्य हो तो विवाह के बाद संतान पैदा करने में देरी नहीं करनी चाहिए। संतान को त्रास न दें।
6.छठे भाव में सूर्य होने पर रीति रिवाजों से कभी पीछे नहीं हटें।
7.सातवें भाव में सूर्य होने पर भोजन में कभी भी नमक ऊपर से डालकर ना खाएं। सुबह-शाम को दान नहीं दें।
8.अष्टम भाव में सूर्य होने पर दक्षिणमुखी घर में ना रहें। ताम्बे का दान ना करें। घर में कभी भी सफेद कपड़े न रखें।
9.नवम भाव में सूर्य होने पर दान या तोहफे के रूप में चांदी या सफेद वस्तु ना लें। वादे से मुकरें नहीं।
10.दशम भाव में सूर्य होने पर नीला और काला कपड़ा ना पहनें। मांस-मदिरा से दूर रहें। अपना भेद किसी को ना बताएं। निर्दयी ऋण का उपाय करें।
11.एकादश भाव में सूर्य होने पर चालचलन शुद्ध रखें। मांस-मदिरा से दूर रहें। निर्दयी ऋण का उपाय करें।
12.द्वादश भाव में सूर्य होने पर स्वयं सदचरित्र का पालन करें। अपने दुश्मनों को हमेशा क्षमा करें।
अंत में सूर्य बलवान होने पर सूर्य की वस्तुएं सोना, गेहूं, गुड़ व तांबे का दान नहीं देना चाहिए साथ ही यदि पिता, ताऊ और पूर्वज को सम्मान नहीं देंगे तो बर्बादी तय है।