असल में चंद्र कोई ग्रह नहीं बल्कि धरती का उपग्रह माना गया है।
चंद्र पृथ्वी की परिक्रमा 27 दिन में पूर्ण कर लेता है। इतने ही समय में यह अपनी धुरी पर एक चक्कर लगा लेता है। 15 दिन तक इसकी कलाएं क्षीण होती हैं तो 15 दिन यह बढ़ता रहता है। इन कलाओं के कारण ही धरती पर उथल-पुथल मचती रहती है।
पुराणों के अनुसार देव और दानवों द्वारा किए गए सागर मंथन से जो 14 रत्न निकले थे उनमें से एक चंद्रमा भी थे जिन्हें भगवान शंकर ने अपने सिर पर धारण कर लिया था। चंद्रमा के अधिदेवता अप् और प्रत्यधि देवता उमादेवी हैं। श्रीमद्भागवत के अनुसार चंद्रदेव महर्षि अत्रि और अनुसूया के पुत्र हैं। इनको सर्वमय कहा गया है।
यदि कुंडली में चंद्र की स्थिति खराब है तो लाल किताब के अनुसार उसे सुधारा जा सकता है। जानिए चंद्र के अशुभ और शुभ प्रभाव के लक्षण और अशुभ के उपाय।
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