Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

लाल किताब : हाथ की रेखाओं के अनुसार आइए अपनी कुंडली खुद बनाएं...

हमें फॉलो करें लाल किताब : हाथ की रेखाओं के अनुसार आइए अपनी कुंडली खुद बनाएं...
लाल किताब को प्रचलित ज्योतिष ज्ञान से हटकर व्यावहारिक ज्ञान माना जाता है। लाल किताब के विशेषज्ञों अनुसार वैसे तो कुंडली की कोई आवश्यकता नहीं है, लेकिन वे फिर भी सुविधानुसार कुंडली देखकर समाधान कर देते हैं। समस्या से ही पता चलता है जातक कौन-से ग्रह से पीड़ित है, तब उक्त ग्रह के दोष को दूर कर दिया जाता है।
 
लाल किताब में दो प्रकार से कुंडली बनाई जाती है। पहले प्रकार में हाथ की रेखा, पर्वत, भाव, राशि का निरीक्षण और निशानों को जांच परखकर कुंडली बनाई है और दूसरे प्रकार में प्रचलित ज्योतिष शास्त्र की पद्धति द्वारा बनी हुई कुंडली को परिवर्तित करके नई कुंडली बनाई जाती है।
 
हालांकि लाल किताब के जानकार कुंडली बनाने से पूर्व जातक की वर्तमान परेशानियों तथा अतीत के घटनाक्रम को जानकर ही कुंडली की विवेचना कर फलकथन करते हैं और उपाय बताते हैं। यहां प्रस्तुत है लाल किताब अनुसार कुंडली बनाने की विधि।
 
हाथ की रेखाओं के द्वारा : 
 
पर्वत : हाथ पर अंगूठे और अंगुलियों की जड़ों में बने पर्वत जैसे अंगूठे के नीचे बना शुक्र और मंगल का पर्वत। पहली अंगुली के नीचे बना गुरु का पर्वत। बीच की अंगुली के नीचे बना शनि का पर्वत। अनामिका (रिंग फिंगर) के नीचे बना सूर्य पर्वत। सबसे छोटी अँगुली के नीचे बना बुध पर्वत। हाथ के अन्त में बना चंद्र पर्वत और खराब मंगल का पर्वत। जीवन रेखा की समाप्ति स्थान कलाई के ऊपर पर बना राहु पर्वत आदि यह सभी हाथ में ग्रहों की स्थिति बताते हैं।
 
राशियां : 
1. राशियों के लिए तर्जनी का प्रथम पोर मेष, दूसरा वृषभ और तीसरा मिथुन राशि का होता है।
2. अनामिका का प्रथम पोर कर्क, दूसरा सिंह और तीसरा कन्या राशि का माना जाता है।
3. बीच की अंगुली का प्रथम पोर तुला, दूसरा वृश्चिक और तीसरा पोर धनु राशि का माना जाता है।
4. सबसे छोटी अंगुली का प्रथम पोर मकर, दूसरा कुम्भ और तीसरा मीन राशि का माना जाता है।
 
भाव या खाने : हथेली पर बारह भाव या खाने अलग-अलग प्रकार से होते हैं।
 
1. पहला खाना सूर्य पर्वत के पास।
2. दूसरा खाना गुरु पर्वत के पास।
3. तीसरा खाना अंगूठे और तर्जनी अंगुली की बीच वाली संधि में।
4. चौथा खाना सबसे छोटी अंगुली के सामने हथेली के आखिर में।
5. पांचवां खाना बुध और चंद्र पर्वत के बीच में।
6. छठवां खाना हथेली के मध्य में।
7. सातवां खाना बुध पर्वत के नीचे।
8. आठवां खाना चंद्र पर्वत के नीचे।
9. नवां खाना शुक्र और चंद्र पर्वत की बीच में।
10. दसवां खाना शनि पर्वत के नीचे।
11. ग्यारहवां खाना खराब मंगल और हथेली के बीच में।
12. बारहवां खाना शुक्र पर्वत और हथेली के बीच में जीवन रेखा के नीचे होता है।
 
अन्य निशान :
1. हथेली में सूर्य का निशान सूर्य के समान दिखाई देता है।
2. चंद्र का निशान तारे की तरह नजर आता है।
3. शुभ मंगल का निशान चतुर्भुज के समान होता है।
4. अशुभ मंगल का निशान त्रिभुज के रूप में होता है।
5. बुध का निशान गोलाकार समान होता है।
6. गुरु का निशान किसी ध्वज की तरह होता है।
7. शुक्र का निशान समान्तर में बनी दो लहराती हुई रेखाओं-सा होता है।
8. शनि का निशान धनु के आकार का होता है।
9. राहु का निशान आड़ी-तिरछी रेखाओं से बना जाल-सा होता है।
10. केतु का निशान लम्बी रेखा के नीचे एक अर्धवृत्त-सा होता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

नेम थेरेपी के चमत्कार : क्या नाम बदलने से बदल जाते हैं सितारे