धनु और मीन का स्वामी गुरु कर्क में उच्च का और मकर में नीच का होता है। लाल किताब में चौथे भाव में गुरु बलवान और सातवें, दसवें भाव में मंदा होता है। बुध और शुक्र के साथ या इनकी राशियों में बृहस्पति बुरा फल देता है। लेकिन यहां पांचवें घर में होने या मंदा होने पर क्या सावधानी रखें और उपाय करें, जानिए।
कैसा होगा जातक : यहां बैठा गुरु ब्रह्मज्ञानी कहलाता है। सम्मानीय लोगों के बीच बैठा विशिष्ट व्यक्ति। इसके लिए इज्जत ही इसकी दौलत है। जरा सी बात पर गुस्सा होने वाले इस गुरु का कोई मुकाबला नहीं। कहते हैं कि ऐसे व्यक्ति के यहां यदि बृहस्पति के दिन पुत्र हो तो छुपे हुए भाग्य का खजाना खुल जाएगा। अगले-पीछले सारे पाप कट जाएंगे। वास्तव में जातक के जितने अधिक पुत्र होंगे वह उतना ही अधिक समृद्धशाली होगा।
पांचवां घर सूर्य का अपना घर होता है और इस घर में सूर्य, केतु और बृहस्पति मिश्रित परिणाम देंगे। लेकिन यदि बुध, शुक्र और राहु दूसरे, नौवें, ग्यारहवें और बारहवें भाव में हों तो सूर्य, केतु और बृहस्पति खराब परिणाम देंगे। यदि जातक मेहनती, ईमानदार और सच्च बोलने वाला है तो बृहस्पति अच्छे परिणाम देगा।
5 सावधानियां :
1. झूठ ना बोलें और ईमानदान बने रहें।
2. दक्षिणमुखी मकान में न रहें।
3. पिता, दादा और गुरु का अपमान न करें।
4. संतान ही दौलत और सुख-शांति है इसलिए उसे दुखी न करें।
5. केतु ग्यारहवें घर में हो तो धर्म के नाम पर कभी किसी से कुछ भी न मांगे और न ही दें। किस से भी दान या उपहार के रूप में कुछ न लें।
क्या करें :
1. गुरुवार या रविवार का व्रत रखें।
2. सिर पर चंदन या केसर का तिलक लगाएं।
3. घर में धूप-दीप देते रहें।
4. पीपल में गुरु और शनिवार को जल चढ़ाएं।
5. पुजारियों और साधुओं की सेवा करें।